Interview: ध्रुव तारा सीरियल की अभिनेत्री रेखा सिंह से विविध विषयों पर बातचीत

Rekha Singh
Prabhasakshi

टीवी अभिनेत्री रेखा सिंह ने कहा कि अभिनय की दुनिया में हर पल संघर्ष करना पड़ता है। देखिए, अभिनय कोई फिक्स जॉब तो हैं नहीं कि एक परीक्षा पास कर लो और हो जाओ जिंदगी भर के लिए सेट? कलाकार को प्रत्येक प्रोजेक्ट व रोल के लिए ऑडिशन से गुजरना होता है।

‘सोनी-सब’ टीवी के नए सीरियल ‘ध्रुव तारा’ में अपनी एक्टिंग का जौहर बिखेर रहीं मॉडल, डांसर व अभिनेत्री रेखा सिंह की पहचान ठेठ देसीपन से रमी बसी हैं। जमीनी और ग्रामीण स्तर की भूमिकाएं उन्हें भाती हैं। इस सीरियल में भी वो गांव की महिला के रोल में हैं। इससे पहले भी उन्होंने तमाम टीवी सीरियलों में बेहतरीन काम करके दर्शकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करवाया है। मायानगरी में रेखा सिंह की संघर्ष यात्रा पर डॉ. रमेश ठाकुर ने उनसे विस्तृत बातचीत की, पेश हैं बातचीत के मुख्य हिस्से। 

  

प्रश्नः सीरियल ‘ध्रुव तारा’ में अपनी भूमिका के संबंध में बताएं जो इस वक्त सोनी-सब टीवी प्रकाशित हो रहा है?

उत्तर- ’ध्रुव-तारा’ एक बेहतरीन विषय है जिसे दर्शक खूब पसंद कर रहे हैं। हास्य, व्यंग्य, पारिवारिक किस्से आदि देखने को मिलेंगे। सीरियल में मेरी भूमिका एक गांव की महिला की है। बहुत सकारात्मक चरित्र है, जिसे निभाने में बहुत मज़ा आ रहा है, क्योंकि इस चरित्र के भीतर गांव की ख़ुशबू आती है। दरअसल, चरित्र मेरे पसंद का है। हमारा समाज आज भी गांवों में बसता है, महानगर के लोग गांव के रीति-रिवाज, संस्कृति से दूर हो गए हैं। सीरियल में उन्हीं को दर्शाने का प्रयास किया जा रहा है।

प्रश्नः इंडस्ट्री में आपका संघर्ष कैसा रहा और किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा?

उत्तर- देखिए, प्रत्येक अब क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा है। सरलता कहीं नहीं है और शॉर्टकट से कोई सफल नहीं होता। फिल्म इंडस्ट्री में पहले के मुकाबले अब जबरदस्त प्रतिस्पर्धा है। काम कम है और भीड़ अधिक है। लेक़िन जो लगातार प्रयास करते हैं, संघर्षों के आगे घुटने नहीं टेकते, बल्कि हिम्मत से मुकाबला करते हैं, उन्हें सफलता हर हाल में नसीब होती है। सफलता पाने के लिए अपने स्वाभिमान के साथ समझौता नहीं करना चाहिए। जो लोग अपने मूल उद्देश्यों से भटक जाते हैं उन्हें इंडस्ट्री में टिकना बहुत कठिन होता है।

इसे भी पढ़ें: Interview: दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय ने बताईं शहर के लिए अपनी प्राथमिकताएँ

प्रश्नः मायानगरी में बने रहने के लिए एक कलाकार को क्या चाहिए?

उत्तर- हौसला और खुद का विश्वास कभी टूटने नहीं देना चाहिए। क्योंकि यहां हर पल संघर्ष करना पड़ता है। देखिए, अभिनय कोई फिक्स जॉब तो हैं नहीं कि एक परीक्षा पास कर लो और हो जाओ जिंदगी भर के लिए सेट? कलाकार को प्रत्येक प्रोजेक्ट व रोल के लिए ऑडिशन से गुजरना होता है। वह भी एक बार नहीं, बल्कि कई-कई मर्तबा। फ़िर अंत में सलेक्शन और रिजेक्शन का दौर आता है। जाहिर है रिजेक्शन के बाद आर्टिस्ट का मनोबल टूटता है। पर, टूटने नहीं देना चाहिए, बल्कि उससे सीख लेकर और बेहतर करने का संकल्प लेना चाहिए।

प्रश्नः किस तरह के रोल पसंद हैं आपको?

उत्तर- मुझे हर तरह के रोल करना पसंद हैं। किसी ख़ास रोल में बंधे रहना मुझे पसंद नहीं। क्राइम, सस्पेंस मेरे फेवरेट हैं। इसके अलावा मेरी पहचान ग्रामीण आधारित रोल्स पर ज्यादा रही है। धूमिल भारतीय संस्कृति पर जब कोई सीरियल बनते हैं, तो मुझे अंदर से ऐसा महसूस होता है कि वह सब्जेक्ट मेरे लिए ही गढ़ा गया है।

प्रश्नः छोटे कस्बों से पहुंचने वाली अभिनेत्रियों के प्रति इंडस्ट्री का नजरिया कैसा होता है?

उत्तर- एक फिल्म का डायलॉग था कि ‘जरूरी नहीं राजा का ही बेटा राजा बनेगा, अल्कि वो बनेगा जो उसका हकदार होगा’ मायानगरी में कोई किसी से नहीं पूछता कि आप छोटे जगह से हो या बड़े? यहां लोगों को अपने काम से मतलब होता है। टैलेंट देखा जाता है, अगर आप उनके प्रोजेक्ट के लिए फिट हैं तो ठीक है नहीं तो आप अपने रास्ते वे अपने रास्ते। कद्र हमेशा हुनर की हुई है आगे भी होती रहेगी।

प्रश्नः आपकी पृष्ठभूमि क्या है, कहां से है?

उत्तर- मूलरूप से मैं पटना बिहार से ताल्लुक रखती हूं। पेशे से रंगमंच और फिल्म-टेलीविजन कलाकार हूं। वर्षों से लोग विभिन्न टीवी सीरियल्स में देखते आए हैं। काम को पसंद करते हैं दर्शक। ठिकाना मुंबई है। नाट्य विद्यालय से कोर्स किया है। विभिन्न वस्तुओं और जगहों पर रिसर्च करने के अलावा पढ़ने-लिखने का शौक बचपन से रहा है।

प्रश्नः अच्छे रोल के लिए आपको अगर बिकनी पहनने कहा जाए, तो?

उत्तर- सब्जेक्ट पर डिपेंड करता है। परिधान कोई खराब या बुरा नहीं होता। पर, सभ्यता में रहकर पहना जाए, तो बुरा नहीं। खाली पीली में मेरे नापसंद के रोल्स या बिना वजह के लिए मुझे अगर कोई छोटे कपड़े पहनने के लिए कहेगा, तो मेरा जवाब ‘ना’ में होगा। शार्टकट के लिए हमें ऐसा रास्ता नहीं चुनना चाहिए जिससे हमारे पारिवारिक सदस्यों और चाहने वालों को शर्मिंदगी उठानी पड़े।

-डॉ. रमेश ठाकुर

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़