Interview: बेजुबान सारस की मदद करने वाले मोहम्मद आरिफ से खास बातचीत

Mohammad Arif
ANI

उत्तर प्रदेश के जिला प्रशासन ने आरिफ पर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत सारस को छीनकर मुकदमा ठोक दिया है। कानून पचड़े और आरिफ की दोस्ती सारस से कैसे हुई जैसे तमाम पहलुओं पर डॉ. रमेश ठाकुर ने उनसे विस्तृत बातचीत की।

पक्षी प्रेमी मोहम्मद आरिफ और उसके दोस्त सारस की मित्रता की चर्चा बीते कई दिनों से हैं। दोनों की दोस्ती ने ऐसी लकीर खींची है जिसे लांघकर अब हर कोई सारस से दोस्ती करना चाहता है। यूं कहें कि आमजन में बेजुबान पक्षियों के प्रति प्रेमभाव भी बढ़ा है। उनकी दोस्ती ने ना सिर्फ आम लोगों का ध्यान खींचा, बल्कि अखिलेश यादव जैसे बड़े नेता भी उनके पास खिंचे चले गए। लेकिन, शायद सारस-आरिफ की दोस्ती को किसी की नजर लग गई। प्रशासन ने आरिफ पर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत सारस को छीनकर मुकदमा ठोक दिया है। कानून पचड़े और आरिफ की दोस्ती सारस से कैसे हुई जैसे तमाम पहलुओं पर डॉ. रमेश ठाकुर ने उनसे विस्तृत बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य हिस्से-

  

प्रश्नः आपको सारस कब और कैसे मिला?

उत्तर- साल भर पहले की बात है। पड़ोस के खेत में कराह रहा था। दाहिने पैर में खून निकल रहा था। मुंह खुला था। मैंने सबसे पहले उसे पानी दिया, जब उसमें थोड़ी चेतना आई। फिर मैं सोच में पड़ गया, अगर इसे अकेला खेत में छोड़ता हूं तो एकाध घंटों में ये दम तोड़ देगा, या फिर कोई और इसे नुकसान पहुंचा सकता है। तब मैंने घर ले जाने का फैसला किया। घर ले जाकर सबसे घायल पैर का ईलाज करवाया। उसके बाद भी कई बार मैंने इसे छोड़ने का मन बनाया, कोशिश भी की, लेकिन ये नहीं गया, हर बार मेरे पीछे-पीछे घर चला आता था। उसके बाद मैंने इसे अपने साथ रखने का निर्णय लिया। तभी से सारस मेरे साथ लगाव से रहने लगा। खाना-पीना, सोना, टहलना, नहाना सब कुछ मेरे साथ करता था।

  

प्रश्नः सब कुछ ठीक चल रहा था अचानक से ऐसा क्या हुआ जो इतना बखेड़ा खड़ा हो गया?

उत्तर- दूर-दूर से लोग आते थे सारस को देखने। फोटो खिंचवाते, फिर सोशल मीडिया पर शेयर करते। मैंने भी सोशल मीडिया पर इसके फोटो डालने आरंभ किए, उसके बाद सारस के चाहने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी। पर, शायद इसके बाद हमारी दोस्ती को किसी की नजर ही लग गई। मेरा गुनाह क्या है मुझे नहीं पता? पर, इतना अब महसूस होने लगा है कि मुझे एक बेजुबान पक्षी से दोस्ती की सजा मिली है। दोस्त भी बिछड़ गया और कानूनी पचड़े में भी मैं फंस गया, बदनामी हुई सो अलग। सारस के साथ बिताए पलों को शिद्दत से याद करता हूं। दरअसल, वो जिंदगी में कब अहम बन गया, पता ही नहीं चला। प्रशासन ने एक पल में मेरा और सारस का साथ छुड़वा दिया, जरा भी ख्याल नहीं किया।

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प्रश्नः प्रशासन की नजर में तो आपने वन्यजीव संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन कर डाला है?  

उत्तर- मैं इस कानून के संबंध में न पहले जानता था और न अब? लेकिन अब धीरे-धीरे समझने लगा हूं। नोटिस आया, तब पता चला कि मुकदमा दर्ज हुआ है मुझ पर। अगले महीने की दो तारीख को वनाधिकारी के समझ पेश होने का आदेश हुआ है। वहां, जाऊंगा, बात रखूंगा अपनी। लेकिन मैं ज्यादा कानूनी लड़ाई लड़ने के मूड में नहीं हूं। मुझ पर नियमों के उल्लंघन की बात कही जा रही है। जबकि, मैंने एक बेजुबान पक्षी की जान बचाकर कानून की रक्षा की है। बावजूद इसके मुझे लपेटा जा रहा है।

  

प्रश्नः लगता है, जबसे पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आपसे मिले हैं, मामला तभी से तूल पकड़ा है?

उत्तर- देखिए, सत्ता पक्ष और विपक्ष में आपसी खींचतान तो होती ही रहती है। लेकिन, इसमें मेरे जैसे सामान्य आदमी का क्या लेना देना। मुझको लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए। सारस मेरे साथ करीब साल भर से ज्यादा रहा, तब प्रशासन को याद नहीं आई। रही बात अखिलेश यादव से मिलने की, तो ना मैंने किसी को निमंत्रण भेजा और ना किसी को गांव में बुलाया था। स्वतः से कई लोगों का आना हुआ। राजनीतिक लड़ाई में मुझे और मेरे सारस को क्यों घसीटा गया, मेरे समझ में नहीं आता।

प्रश्नः अखिलेश यादव जब आपसे मिले तो उन्होंने क्या कहा था?

उत्तर- उन्होंने कहा कि मैं अच्छा काम कर रहा हूं, इससे लोगों में पक्षी के प्रति प्रेम करने की भावनाएं जगेंगी। सारस संरक्षण अभियान को और बल मिलेगा। अखिलेश सर ने बताया था मुझे कि वह खुद सारस से बहुत प्रेम करते हैं, सैफई में बहुत सारस हैं, वह उनसे हमेशा मिलते हैं। करीब 20 मिनट रुके थे, सारस के साथ फोटो भी खिंचवाई थी। मैं उन्हें लेकर खेतों में भी गया था। उसके बाद चर्चाएं जब प्रशासन स्तर पर होने लगीं, तब उन्होंने एक प्रेसवार्ता की थी जिसमें मुझे भी बुलाया था। इसके बाद प्रदेश सरकार द्वारा जो किया गया, आप सबके सामने है।

  

प्रश्नः सारस की अब क्या स्थिति है?

उत्तर- मैंने प्रशासन से गुहार लगाई है, सारस को मुझे सौंप दिया जाए, पर शायद अब ऐसा ना हो? कानपुर के चिड़िया घर में भेज दिया गया है। मैं वहां गया था उससे मिलने, मुझे देखते ही नाचने लगा, बहुत खुश हुआ, अंदर से मुझे भी ऐसा लगा कि मैं उससे वर्षों से मिला हूं।

प्रश्नः आपके मसले पर राजनीति भी खूब हो रही है?

उत्तर- देखिए, मैं एक बेहद साधारण व्यक्ति हूं। गांव-खेड़े का रहने वाला हूं। बड़ी-बड़ी बातें मेरे समझ से परे हैं। मुझ पर राजनीति करने से भला किसका फायदा और नुकसान होगा।

- डॉ. रमेश ठाकुर

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