जरा भी असावधानी बरती तो कोरोना की तीसरी लहर की चपेट में आ जाएँगे
योगी सरकार प्रदेश को कोरोना की मार से बचाने के लिए जब पूरा जतन कर रही है तो हमें भी एक जागरूक नागरिक होने के नाते सरकार का सहयोग करना चाहिए। यह सहयोग कोई पैसे-कौड़ी से नहीं किया जाना है। बस मास्क लगा कर रहें, शारीरिक दूरी बना कर रखें।
कोरोना का संकट फिर से गहराने लगा है। वजह मौसम में बदलाव और तीज-त्योहार एवं शादी-ब्याह के मौके पर लोगों द्वारा बरती जा रही लापरवाही दोनों ही हैं। करीब 90 प्रतिशत आबादी द्वारा न तो दो गज की दूरी का ख्याल रखा जा रहा है न मास्क है जरूरी यह बात समझी जा रही है। दिल्ली के हाल सबसे बुरे हैं तो अन्य राज्यों की भी स्थिति बिगड़ती जा रही है। खासकर पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और विशेष तौर पर उत्तर प्रदेश में हालत कुछ ज्यादा ही खराब हैं। पहले कोरोना पॉजिटिव होने वालों से अधिक कोरोना निगेटिव हो रहे थे, लेकिन पिछले करीब 10-12 दिनों से सक्रिय मामले जिस अनुपात में बढ़ रहे हैं, उस अनुपात में लोग ठीक नहीं हो रहे हैं। बात उत्तर प्रदेश की कि जाए तो प्रदेश हालात बेकाबू होते देख प्रदेश की योगी सरकार एलर्ट हो गई है। योगी की टीम-11 के कंधों पर एक बार फिर से जिम्मेदारी बढ़ गई है। इसी जिम्मेदारी का निर्वाहन करते हुए सबसे पहले शादी समारोह में मेहमानों की अधिकतम संख्या एक बार फिर दो सौ से कम करके सौ तक सीमित कर दी गई है, वहीं दिल्ली से आने वाले सभी लोगों की कोरोना जांच पर भी बल दिया जा रहा है। मास्क नहीं लगाने वालों के खिलाफ भी सख्ती की जा रही है। चालान काटे जा रहे हैं, लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि आम नागरिक कोरोना के खिलाफ जंग में अपनी भूमिका ही नहीं समझ पा रहा है। कुछ लोग तो अज्ञानतावश मास्क और दो गज दूरी की महत्ता को नहीं समझ पाते हैं तो समाज का एक धड़ा ऐसा भी है जो कोरोना की गंभीरता को जानते-समझते हुए भी कोरोना के खिलाफ जरूरी सुरक्षा उपायों की अनदेखी कर रहा है।
इसे भी पढ़ें: 2022 विधानसभा चुनाव के लिए 'अगेन योगी, सीएम योगी' का नारा देगी यूपी बीजेपी
योगी सरकार प्रदेश को कोरोना की मार से बचाने के लिए जब पूरा जतन कर रही है तो हमें भी एक जागरूक नागरिक होने के नाते सरकार का सहयोग करना चाहिए। यह सहयोग कोई पैसे-कौड़ी से नहीं किया जाना है। बस मास्क लगा कर रहें, शारीरिक दूरी बना कर रखें। अन्यथा सरकार को कोरोना महामारी से बचाव के लिए पूर्व की भांति एक बार फिर सख्त कदम उठाने को मजबूर होना पड़ जाएगा, जो कोई नहीं चाहेगा। क्योंकि ऐसा होता है तो इससे लोगों की रोजी-रोटी छिन जाने से लेकर उद्योग-धंधों, किसानों, व्यापारियों सबको ठेस लगेगी। पिछली बार लॉकडाउन के चलते प्रदेश के हालात कितने खराब हो गए थे, यह किसी से छिपा नहीं है। इसीलिए कोरोना की दूसरी लहर के दौर में योगी सरकार किसी तरह की सख्त पाबंदियां शायद ही लगाए। सरकार को जनता को जितना जागरूक करना था, उतना कर चुकी है। अब वह जिस तरह से बच्चों के पीछे दूध की बोतल लेकर भागा जाता है, उस तरह से वह हमारे-आपके पीछे नहीं भागेगी। सब कुछ खुल चुकने के बाद अब स्कूल-कालेज भी खुलने लगे हैं। हालांकि इसके लिए एक अनिवार्य शर्त भी रखी गई है। इसके मुताबिक, शिक्षण संस्थानों में छात्रों की उपस्थिति किसी भी सूरत में 50 फीसदी से अधिक नहीं होगी। यानि सिर्फ आधे छात्र ही अपने-अपने कैंपस जाकर क्लास में शामिल हो सकेंगे। वहीं बाकी छात्र पहले की तरह ही ऑनलाइन क्लासेज के जरिए पढ़ाई करते रहेंगे। इसी प्रकार से सभी बंद संस्थानों में 50 फीसदी क्षमता एवं अधिकतम 200 व्यक्तियों की अनुमति का भी नियम बनाया गया है। फेस मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, थर्मल स्कैनिंग, सैनिटाइजर और हैंडवॉश की उपलब्धता अनिवार्य होगी।
योगी सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देशों के मुताबिक स्कूलों को सैनिटाइजर, हैंडवॉश, थर्मल स्कैनिंग व प्राथमिक उपचार की व्यवस्था करनी होगी। अगर किसी विद्यार्थी, शिक्षक या अन्य कर्मचारी को खांसी-जुकाम या बुखार के लक्षण होंगे तो उसे प्राथमिक उपचार देकर तत्काल घर भेज दिया जाएगा। स्कूल में प्रवेश करने से पहले विद्यार्थियों को हैंडवॉश या सैनिटाइजर से हाथ साफ करने होंगे। स्कूल प्रशासन को बच्चों के स्कूल में प्रवेश और छुट्टी के समय मुख्य गेट पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाना होगा। स्टूडेंट्स को एक साथ स्कूल से बाहर नहीं निकाला जाएगा। अगर विद्यालयों में एक से अधिक प्रवेश द्वार हैं तो उनका प्रयोग किया जाना बेहतर होगा।
उधर, कोरोना वायरस की सेकंड वेव को लेकर लोग डरे हुए हैं। दिल्ली के बाद यूपी में भी मामले बढ़ने लगे हैं। ऐसे में अब शिक्षण संस्थान खुलने को लेकर अभिभावकों ने विरोध शुरू कर दिया है। अभिभावकों का कहना है कि शिक्षण संस्थानों के खुलने से कोरोना वायरस के मामले बढ़ सकते हैं। क्योंकि बच्चों से यह उम्मीद नहीं की जा सकती है कि वह सभी तरह की गाइडलाइन का पालन करेंगे। अभिभावकों की चिंता गलत भी नहीं है। उत्तर प्रदेश में कोरोना मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। प्रदेश में कोरोना के नए मरीज अधिक मिले, जबकि मरीजों के ठीक होने की संख्या कम रही। 21 नवंबर को प्रदेश में कोरोना के 2,326 नए मरीज मिले, वहीं 2,097 मरीज ठीक हुए हैं। इसके साथ ही प्रदेश में बीते तीन दिनों में 36 मरीजों की मौत हुई है।
इसे भी पढ़ें: गुपकार की पुकार पर चीनी हथियार लेकर आ गये जैश के आतंकवादी !
कोरोना महामारी की दूसरी लहर आने के बाद लाख टके का सवाल यही है कि हम यह कैसे भूल सकते हैं कि जहां हमारा संविधान हमें कई तरह की आजादी देता है तो वही संविधान यह भी बताता है कि हमें-आपको कुछ कर्तव्यों का पालन भी करना ही पड़ेगा। अनुच्छेद 51 (क) में हमारा मूल कर्तव्य हैं कि ‘प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा करें। वन, झील, नदी और वन्य जीवों की भी रक्षा करें।’ किसी महामारी या आपदा के समय भी हमारी कुछ जिम्मेदारियां तय हैं। परंतु इन बातों की निरंतर अवहेलना हो रही है, जो न तो देश हित में है, न समाज हित में।
बहरहाल, बात पूरे देश की कि जाए तो पिछले 24 घंटों में हालात कुछ बेहतर होते दिख रहे हैं। भारत में कोराना वायरस का संक्रमण कम होता दिख रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में संक्रमण के 44,059 नए मामले आए। इस दौरान कोरोना से 511 लोगों की मौत हुई है। स्वास्थ्य मंत्रालय रोजाना सुबह 8 बजे कोरोना के ताजा आंकड़े जारी करता है। देश में अभी कोरोना के एक्टिव मामलों की संख्या 4,43,486 पर है। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना से कुल मौतों की संख्या 1,33,738 हो गई है। देश में संक्रमण के मामले 91,39,866 तक पहुंच गए हैं। कुल मिलाकर यह तय है कि कोरोना की दूसरी लहर तभी थम सकती है, जब हम इसके खतरे के प्रति सचेत रहेंगे।
-अजय कुमार
अन्य न्यूज़