स्वच्छ भारत अभियान जीवन रक्षा के साथ ही जीवन स्तर को ऊपर उठाने में भी सफल
हमारी सामाजिक चेतना, समाज के रूप में हमारे आचार-व्यवहार में स्थाई परिवर्तन आया है। बार-बार हाथ धोना हो, हर कहीं थूकने से बचना हो, कचरे को सही जगह फेंकना हो, ये तमाम बातें सहज रूप से, बड़ी तेजी से सामान्य भारतीय तक हम पहुंचा पाए हैं।
‘स्वच्छ भारत अभियान’ को जन आंदोलन बनाने में भारत के प्रत्येक व्यक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। समाज और राष्ट्र के निर्माण में स्वच्छता की बुनियादी भूमिका के बारे में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचारों को भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने विजन से एक सुनियोजित अभियान का रूप दिया है। गांधी जी कहते थे कि, “स्वराज सिर्फ साहसी और स्वच्छ जन ही ला सकते हैं।” स्वच्छता और स्वराज के बीच के रिश्ते को लेकर गांधी जी इसलिए आश्वस्त थे, क्योंकि उन्हें विश्वास था कि गंदगी अगर सबसे ज्यादा नुकसान किसी का करती है, तो वो गरीब है। गंदगी, गरीब से उसकी ताकत छीन लेती है। शारीरिक ताकत भी और मानसिक ताकत भी। गांधी जी जानते थे कि भारत को जब तक गंदगी में रखा जाएगा, तब तक भारतीय जनमानस में आत्मविश्वास पैदा नहीं हो पाएगा। जब तक जनता में आत्मविश्वास पैदा नहीं होता, तब तक वो आजादी के लिए खड़ी नहीं हो सकती। इसलिए दक्षिण अफ्रीका से लेकर चंपारण और साबरमती आश्रम तक, उन्होंने स्वच्छता को ही अपने आंदोलन का बड़ा माध्यम बनाया।
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स्वच्छ भारत अभियान की यात्रा हर देशवासी को गर्व से भर देने वाली है। देश ने स्वच्छ भारत मिशन के माध्यम से जो हासिल किया है, वो हमें आश्वस्त करता है कि हर भारतवासी अपने कर्तव्यों के लिए कितना संवेदनशील है। जन आंदोलन की ये भावना स्वच्छ भारत मिशन की सफलता का आधार है। 2014 में देशवासियों ने भारत को खुले में शौच से मुक्त करने का संकल्प लिया था। 10 करोड़ से ज्यादा शौचालयों के निर्माण के साथ देशवासियों ने ये संकल्प पूरा किया है। करोड़ों माताएं, बहनें अब एक असहनीय पीड़ा से, अंधेरे के इंतजार से मुक्त हुई हैं। उन लाखों मासूमों का जीवन अब बच रहा है, जो भीषण बीमारियों की चपेट में आकर हमें छोड़ जाते थे। स्वच्छता की वजह से गरीब के इलाज पर होने वाला खर्च अब कम हुआ है। इस अभियान ने ग्रामीण इलाकों, आदिवासी अंचलों में लोगों को रोजगार के नए अवसर दिए हैं। पहले शहरों में कचरा सड़कों पर होता था, गलियों में होता था, लेकिन अब घरों से न केवल वेस्ट कलेक्शन पर बल दिया जा रहा है, बल्कि वेस्ट सेग्रीगेशन पर भी जोर है। बहुत से घरों में अब लोग गीले और सूखे कूड़े के लिए अलग अलग डस्टबिन रख रहे हैं। घर ही नहीं, घर के बाहर भी अगर कहीं गंदगी दिखती है, तो लोग स्वच्छता ऐप से उसे रिपोर्ट करते हैं और दूसरे लोगों को जागरूक भी करते हैं।
स्वच्छ भारत अभियान से हमारी सामाजिक चेतना, समाज के रूप में हमारे आचार-व्यवहार में भी स्थाई परिवर्तन आया है। बार-बार हाथ धोना हो, हर कहीं थूकने से बचना हो, कचरे को सही जगह फेंकना हो, ये तमाम बातें सहज रूप से, बड़ी तेजी से सामान्य भारतीय तक हम पहुंचा पाए हैं। हर तरफ गंदगी देखकर भी सहजता से रहना, इस भावना से अब देश बाहर आ रहा है। अब घर पर या सड़क पर गंदगी फैलाने वालों को एक बार टोका जरूर जाता है। देश के बच्चे-बच्चे में पर्सनल और सोशल हाइजीन को लेकर जो चेतना पैदा हुई है, उसका बहुत बड़ा लाभ कोरोना के विरुद्ध लड़ाई में भी हमें मिल रहा है। आज भारत हर दिन करीब एक लाख टन वेस्ट प्रोसेस कर रहा है। 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर ये अभियान शुरू किया गया था, तब देश में हर दिन पैदा होने वाले वेस्ट का 20 प्रतिशत से भी कम प्रोसेस होता था। आज हम करीब-करीब 70 प्रतिशत डेली वेस्ट प्रोसेस कर रहे हैं। लेकिन अब हमें इसे 100 प्रतिशत तक लेकर जाना है। और ये काम केवल वेस्ट डिस्पोजल के जरिए नहीं होगा, बल्कि 'वेस्ट टू वेल्थ क्रिएशन' के जरिए होगा। इसके लिए भारत ने हर शहर में 100 प्रतिशत वेस्ट सेग्रीगेशन के साथ-साथ इससे जुड़ी आधुनिक मैटेरियल रिकवरी फेसिलिटीज बनाने का लक्ष्य तय किया है। इन आधुनिक फेसिलिटीज में कूड़े-कचरे को छांटा जाएगा, रीसायकिल हो पाने वाली चीजों को प्रोसेस किया जाएगा। इसके साथ ही, शहरों में बने कूड़े के पहाड़ों को प्रोसेस करके पूरी तरह समाप्त किया जाएगा।
हमें यह याद रखना है कि स्वच्छता, एक दिन का, एक पखवाड़े का, एक साल का या कुछ लोगों का ही काम नहीं है। स्वच्छता हर किसी का, हर दिन, हर पखवाड़े, हर साल, पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाला महाअभियान है। स्वच्छता जीवनशैली है, जीवन मंत्र है। जैसे सुबह उठते ही दांतों को साफ करने की आदत होती है, वैसे ही साफ-सफाई को हमें अपने जीवन का हिस्सा बनाना होगा। स्वच्छ भारत अभियान जीवनरक्षक भी सिद्ध हो रहा है और जीवन स्तर को ऊपर उठाने का काम भी कर रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है कि स्वच्छ भारत अभियान ने अपनी कार्यक्रम अवधि के दौरान ही 3 लाख लोगों का जीवन बचाया है। दीर्घकाल में इससे प्रति वर्ष डेढ़ लाख लोगों का जीवन बचेगा।
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यूनीसेफ के एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2014 से 2019 के बीच में स्वच्छ भारत से भारत की अर्थव्यवस्था पर 20 लाख करोड़ रुपये से अधिक का सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इससे 75 लाख से अधिक रोजगार के अवसर भारत में बने हैं, जिनमें से अधिकतर गांवों के लोगों को मिले हैं। इससे बच्चों की शिक्षा के स्तर पर, हमारी उत्पादन क्षमता पर, उद्यमशीलता पर सकारात्मक असर पड़ा है। देश में बेटियों और बहनों की सुरक्षा और सशक्तिकरण की स्थिति में अद्भुत बदलाव आया है। गांव, गरीब और महिलाओं के स्वावलंबन और सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करने वाला ऐसा ही मॉडल तो महात्मा गांधी चाहते थे। स्वच्छता, पर्यावरण सुरक्षा और जीव सुरक्षा-ये तीनों महात्माा गांधी के प्रिय विषय थे। प्लास्टिक इन तीनों के लिए बहुत बड़ा खतरा है। हमें वर्ष 2022 तक देश को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करने का लक्ष्य हासिल करना है। देशभर में करोड़ों लोगों ने सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न करने का संकल्प लिया है। यानी वो प्लास्टिक जिसका हम एक बार उपयोग करते हैं और फिर फेंक देते हैं, ऐसे प्लास्टिक से हमें देश को मुक्त करना है। इससे पर्यावरण का भी भला होगा, हमारे शहरों की सड़कों और सीवेज को ब्लॉक करने वाली बड़ी समस्या का समाधान भी होगा और हमारे पशुधन की और समुद्री जीवन की भी रक्षा होगी।
स्वच्छता को प्रभावी और स्थाई बनाने के लिए जरूरी है कि यह सभी नागरिकों की आदत, स्वभाव और व्यवहार का हिस्सा बने। जीने का तरीका स्वच्छता पर आधारित हो, सोचने का तरीका स्वच्छता पर केंद्रित हो। बहुत से लोग व्यक्तिगत सफाई, अपने घर और परिसर की सफाई पर बहुत ध्यान देते हैं, लेकिन सार्वजनिक और सामुदायिक सफाई के प्रति उदासीन रहते हैं। इस मानसिकता में बदलाव जरूरी है। सर्वत्र स्वच्छता ही प्रभावी स्वच्छता होती है। स्वच्छता की जड़ों को मजबूत बनाने के लिए स्वच्छता की संस्कृति को नागरिकों के जीवन का अभिन्न अंग बनाना होगा। स्वच्छता को लेकर लोगों में गर्व की भावना होनी चाहिए। इसके लिए जागरूकता बढ़ाने के प्रयासों पर और अधिक बल देना होगा। सभी विद्यालयों और उच्च-शिक्षण संस्थानों में स्वच्छता को पाठ्यक्रम का महत्वपूर्ण विषय बनाना चाहिए। सभी शिक्षण तथा सांस्कृतिक संस्थानों द्वारा स्वच्छता की मुहिम को और मजबूत बनाने के लिए रोचक और प्रेरक समारोह आयोजित करने चाहिए।
स्वच्छ भारत का वास्तविक अर्थ है साफ-सुथरा भारत। संकल्प और दृढ़-निश्चय की भावना से भारत इस क्षेत्र में अग्रसर हुआ है। स्वच्छ भारत, हमारी आंखों के सामने घटित हो रही क्रांतिकारी घटना है। सामूहिक एकजुटता के साधन के रूप में, एक जन आंदोलन के रूप में और एक राष्ट्रीय लक्ष्य जिसके लिए लगभग पूरी प्रतिबद्धता दिखाई दे रही है, स्वच्छ भारत हमारे स्वतंत्रता आंदोलन की भावना का प्रतिबिंब है। आज पूरी दुनिया स्वच्छ भारत अभियान के हमारे इस मॉडल से सीखना चाहती है, उसको अपनाना चाहती है। स्वच्छ भारत अभियान में हासिल हमारी सफलताएं, स्वच्छता के क्षेत्र में हमारी उपलब्धियां, हमारी पद्धतियां और हमारी व्यवस्थाएं आज पूरे विश्व के लिए प्रेरणादायक हैं। भारत अपनी नई योजनाओं और पर्यावरण के लिए प्रतिबद्धता के माध्यम से दुनिया को कई चुनौतियों से लड़ने में मदद कर रहा है। महात्मा गांधी कहा करते थे कि हम उन भावी पीढ़ियों के लिए भी जिम्मेदार हैं, जिन्हें हम नहीं देख पाएंगे। आज हमारी पीढ़ी के सामने यह अवसर है कि हम अगली पीढ़ियों के लिए एक पूर्णतः स्वच्छ भारत का निर्माण करें। ‘स्वच्छ भारत’ की नींव पर ही ‘स्वस्थ भारत’ और ‘समृद्ध भारत’ का निर्माण होगा।
-प्रो. संजय द्विवेदी
(लेखक भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली के महानिदेशक हैं)
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