पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी को कड़ी टक्कर दे रही है सपा, त्रिशंकु विधानसभा के आसार
राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि वेस्ट यूपी के लिए हरित प्रदेश की मांग, मेरठ में उच्च न्यायालय के बेंच की मांग, गन्ना किसानों का मुद्दा, साम्प्रदायिक दंगों का सवाल, लव जिहाद, कैराना से हिंदुओं का पलायन वैसे मुद्दे हैं, जो राजनीति की अंतर्धारा को प्रभावित कर रही है।
फरवरी-मार्च के महीने में सात चरणों में हो रहे उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाला एनडीए गठबंधन और प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के नेतृत्व वाला महागठबंधन के बीच भले ही सीधी टक्कर की बात कही जा रही हो। लेकिन सीट दर सीट के जमीनी हालात इस बात की चुगली कर रहे हैं कि कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी (बसपा), एआईएमआईएम आदि पार्टियों के या उनके नेतृत्व द्वारा समर्थित उम्मीदवार मजबूत टक्कर देते हुए कहीं त्रिकोणात्मक तो कहीं चतुष्कोणीय मुकाबले की स्थिति पैदा कर रहे हैं। जिससे यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव के साथ-साथ कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी, बसपा नेत्री सुश्री मायावती और एआईएमआईएम नेता ओवैसी की सियासी पेशानी पर बल पड़ने लगा है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के तहत पश्चिमी यूपी की 11 जिलों की 58 सीटों के लिए 10 फरवरी को चुनाव होंगे, जहां से 623 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। पहले चरण में होने वाले इस चुनाव से जुड़ी इन सभी सीटों पर चुनाव प्रचार जोर पकड़ चुके हैं, जिससे तस्वीर अब धीरे-धीरे साफ होने लगी है। इस चरण की खास बात यह है कि दिल्ली से जुड़े यूपी-एनसीआर की कई महत्वपूर्ण सीटें शामिल हैं, जहां के लोग यूपी के पूरे चुनावों को पर्दे के पीछे से अपने नेटवर्क और धनबल से प्रभावित करते आये हैं। इसलिए यहां पर होने वाली सियासी उठापटक और इस हेतु की जा रही जोर आजमाइश का संदेश पूरे प्रदेश में जा रहा है। वर्चुअल चुनाव प्रचार, मीडिया बहस, सोशल मीडिया कैंपेन, डोर टू डोर चुनाव प्रचार और मैन टू मैन कॉन्टेक्ट से चुनावी फिंजा हर रोज बदल रही है। दिग्गज नेताओं के वार पलटवार से हर रोज गड़े मुद्दे उखड़ रहे हैं।
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राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि वेस्ट यूपी के लिए हरित प्रदेश की मांग, मेरठ में उच्च न्यायालय के बेंच की मांग, गन्ना किसानों का मुद्दा, साम्प्रदायिक दंगों का सवाल, लव जिहाद, कैराना से हिंदुओं का पलायन वैसे मुद्दे हैं, जो राजनीति की अंतर्धारा को प्रभावित कर रही है। वहीं, शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाओं का त्रासदीपूर्ण निजीकरण, बढ़ती बेरोजगारी, आम आदमी का काम-धंधे का ठप्प होना, कोरोना त्रासदी में समाजसेवियों द्वारा मुख मोड़ लेना, बढ़ती महंगाई आदि दर्जनाधिक ऐसे मुद्दे हैं, जो सिटिंग विधायक प्रत्याशियों और सत्ताधारी दल के उम्मीदवारों के होश उड़ा रहे हैं। बावजूद इसके पूरे चुनाव की धुरी मंडल और कमंडल बनते जा रहे हैं। एक ओर जहां सीएम योगी का सुशासन और विकास मतदाताओं के सिर पर चढ़कर बोल रहा है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी वोटों के बिखराव से योगी सरकार की दोबारा वापसी के कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि, बीजेपी से ब्राह्मणों के छिटकने की चर्चा, मुसलमानों की ओवैसी से बढ़ती सहानुभूति और ओबीसी वोटों के बिखराव की चर्चाओं ने त्रिशंकु विधानसभा की संभावनाओं को बल दिया है। यही सोचकर सभी मुख्य दलों के रणनीतिकार परेशान हैं, क्योंकि यदि ऐसा हुआ तो सत्ता की चाभी कांग्रेस, बसपा या एआईएमआईएम जैसे दलों के हाथों में चली जायेगी।
बता दें कि पहले चरण में कुल 11 जिलों में शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, हापुड़, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर (नोएडा), बुलंदशहर, मथुरा, आगरा और अलीगढ़ में 10 फरवरी को चुनाव होंगे। इन सभी जिलों के नोएडा, दादरी, जेवर, सिंकदराबाद, बुलंदशहर, मेरठ कैंट, मेरठ, मेरठ साउथ, छपरौली, बरौत, बागपत, लोनी, मुरादनगर, साहिबाबाद, गाजियाबाद, मोदीनगर, दौलाना, हापुड़, कैराना, थाना भवन, शामली, बुढ़ाना, छरतावल, पुरकाजी, मुजफ्फरनगर, खतौली, मीरापुर, सिवालखास, सरधना, हस्तीनापुर, किठौर, गढ़मुक्तेश्वर, सयाना, अनूपशहर, देबाई, शिकारपुर, खुर्जा, खैर, बरौली, अतरौली, छर्रा, कोइल, अलीगढ़, इगलास, छाता, मंत, गोवर्धन, मथुरा, बलदेव, एतमादपुर, आगरा कैंट, आगरा साउथ, आगरा नॉर्थ, आगरा रूरल, फतेहपुर सीकरी, फतेहाबाद और बाह विधानसभा सीट पर मतदान होगा।
चुनाव विश्लेषक अशोक कौशिक बताते हैं कि इस चुनाव में कई सीटों पर एक दर्जन से ज्यादा उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं, तो अधिकांश सीटों पर आधा दर्जन से ज्यादा प्रत्याशी चुनावी खम्म ठोके हुए हैं, जिससे जीत-हार का अंतर भी काफी कम रहने वाला है। कहीं कहीं पर राजनीतिक झड़प होने के भी आसार हैं, क्योंकि पहले चरण में मदन भैया-आरएलडी-लोनी विधानसभा क्षेत्र, अमरपाल शर्मा-सपा-साहिबाबाद विधानसभा क्षेत्र, नाहिद हसन-सपा- कैराना, योगेश वर्मा-सपा-हस्तिनापुर जैसे बाहुबली उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में हैं। इससे प्रशासन भी सतर्क है। वहीं पहले चरण में मृगांका सिंह-बीजेपी-कैराना, सुरेश राणा-बीजेपी-थानाभवन, संगीत सोम-बीजेपी-सरधना, पंकज सिंह-बीजेपी-नोएडा, पंखुड़ी पाठक-कांग्रेस-नोएडा, अवतार सिंह भड़ाना-आरएलडी-जेवर, संदीप सिंह-बीजेपी-अतरौली, श्रीकांत शर्मा-बीजेपी-मथुरा, बेबी रानी मौर्या-बीजेपी-आगरा रूरल जैसे वीआईपी उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में हैं, जिससे अंदरखाने में धनबल के प्रयोग के भी आसार हैं।
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गौरतलब है कि इन सीटों के लिए 810 कैंडिडेट्स ने नामांकन भरा था। जिनमें से 153 प्रत्याशियों के नामांकन पत्र जांच के दौरान खारिज कर दिए गए थे। जबकि 35 उम्मीदवारों ने अपना नाम, नाम वापसी के अंतिम दिन तक वापस ले लिया। बता दें कि उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव आयोग ने 7 चरणों में चुनाव कराने की घोषणा की है और चुनाव के लिए मतदान की तिथि 10 फरवरी, 14 फरवरी, 20 फरवरी, 23 फरवरी, 27 फरवरी, 3 मार्च और 7 मार्च मुकर्रर की है। पूरे प्रदेश में मतगणना एक साथ 10 मार्च को कराई जाएगी।
- कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार
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