वाराणसी से प्रियंका वाड्रा की जीत के दावे करने वाले नेता कांग्रेस से अपनी दुश्मनी निकाल रहे हैं

Priyanka Vadra
ANI

प्रियंका गांधी वाड्रा के वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़ने की सुगबुगाहट 2019 में भी हुई थी। लेकिन इस बार तो उनके पति रॉबर्ट वाड्रा भी कह चुके हैं कि प्रियंका गांधी को 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ना चाहिए। इसलिए माना जा रहा है कि प्रियंका गांधी वाड्रा इस बार चुनाव लड़ेंगी।

अभी तक तो विपक्षी दलों के बीच होड़ मची थी कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद से हटाना है। लेकिन अब यह होड़ इस बात पर लग गयी है कि वाराणसी संसदीय क्षेत्र से नरेंद्र मोदी को संसद नहीं पहुँचने देना है। विपक्षी गठबंधन इंडिया चाहता है कि वाराणसी में नरेंद्र मोदी को इस तरह घेरा जाये कि वह अपने चुनाव क्षेत्र में प्रचार करने तक सीमित होकर रह जायें। लेकिन ऐसा सोचने वाले शायद जानते नहीं कि पिछली बार भी नरेंद्र मोदी ने वाराणसी से सिर्फ नामांकन ही दाखिल किया था वहां उनके लिए चुनाव जनता ने लड़ा था और परिणाम भी जनता के मन की भावनाओं के पक्ष में आया था।

लेकिन लोकतंत्र में किसी को भी कहीं से भी और किसी के भी खिलाफ चुनाव लड़ने का अधिकार है इसलिए वाराणसी में मजबूत विपक्षी उम्मीदवार उतारे जाने की कवायद तेज हो गयी है। इस कड़ी में उत्तर प्रदेश कांग्रेस के नये अध्यक्ष बनाये गये पूर्व विधायक अजय राय ने कहा है कि यदि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा चाहेंगी तो उन्हें वाराणसी से जिताने के लिए पार्टी कार्यकर्ता जान लगा देंगे। लेकिन अजय राय यह नहीं बता पा रहे कि पार्टी कार्यकर्ता आयेंगे कहां से? देखा जाये तो उत्तर प्रदेश कांग्रेस का कोई भी कार्यक्रम हो तो भीड़ जुटाने के लिए पड़ोसी राज्यों से कार्यकर्ता बुलाये जाते हैं। इसके अलावा, यह भी आश्चर्यजनक है कि वाराणसी से नरेंद्र मोदी को हराने की बात वह अजय राय कर रहे हैं जोकि पिछला लोकसभा चुनाव मोदी से हार चुके हैं। यही नहीं, अजय राय लगातार दो बार से विधानसभा चुनाव भी हार रहे हैं। इसलिए सवाल उठता है कि लगातार हार का सामना कर रहे अजय राय कैसे कांग्रेस की नैय्या पार लगायेंगे? सवाल यह भी उठता है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि अजय राय को इसलिए लाया गया हो ताकि लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की हार की वह जिम्मेदारी ले सकें?

इसे भी पढ़ें: वाराणसी में मोदी से हार चुके अजय राय यूपी में कैसे देंगे कांग्रेस के सपनों को उड़ान

वैसे, प्रियंका गांधी वाड्रा के वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़ने की सुगबुगाहट 2019 में भी हुई थी। लेकिन इस बार तो उनके पति रॉबर्ट वाड्रा भी कह चुके हैं कि प्रियंका गांधी को 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ना चाहिए। इसलिए माना जा रहा है कि प्रियंका गांधी वाड्रा इस बार चुनाव लड़ेंगी। वह अमेठी अथवा रायबरेली से लड़ेंगी या वाराणसी से, यह तो समय आने पर ही पता चलेगा। जहां तक चुनाव परिणाम की बात है तो वह तय करना जनता का काम है। वैसे हम आपको यह भी बता दें कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के समय तृणमूल कांग्रेस की ओर से भी कहा जा चुका था कि यदि भाजपा और प्रधानमंत्री बंगाल में इतनी ताकत झोंकेंगे तो मोदी को हराने के लिए ममता बनर्जी वाराणसी जाएंगी। ममता बनर्जी भी वाराणसी से चुनाव लड़ेंगी या नहीं यह तो समय ही बतायेगा लेकिन उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के समय जरूर ममता बनर्जी ने अखिलेश यादव के साथ वाराणसी में समाजवादी पार्टी की रैली को संबोधित किया था और यूपी में भी खेला होबे का नारा दिया था। लेकिन ममता की अपील का मतदाताओं पर कोई असर नहीं पड़ा था। इसी प्रकार प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में वाराणसी के अलावा पूरे पूर्वांचल में जबरदस्त ताकत झोंकी थी लेकिन नतीजा शून्य रहा था।

बहरहाल, अजय राय के बयान के बाद वाराणसी को लेकर राजनीतिक प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया है। सोशल मीडिया पर भी तमाम तरह के ट्रेंड चलने लगे हैं। लेकिन इस तरह से वाराणसी की जनता को प्रभावित नहीं किया जा सकता। वाराणसी की जनता के मन में क्या है इसका पता आपको काशी की धरती पर कदम रखते ही चल जायेगा। पिछले लोकसभा चुनावों में देखने को मिला था कि जनता को यही पता नहीं था कि नरेंद्र मोदी के खिलाफ कौन-कौन उम्मीदवार चुनाव लड़ रहा है। प्रभासाक्षी की देशव्यापी चुनाव कवरेज के तहत वाराणसी में कई दिन बिताने पर लोगों से बातचीत में यही सामने आया था कि जनता इस बात पर अपना समय नहीं व्यर्थ करना चाहती थी कि और कौन-कौन चुनाव लड़ रहा है। वोट किधर देना है यह मतदाता 2019 में भी पहले से तय करके बैठे थे और 2024 के लिए भी तय करके बैठे हैं। इसलिए विपक्षी गठबंधन इंडिया के जो नेता दावा कर रहे हैं कि वाराणसी से मोदी को हराने में प्रियंका गांधी वाड्रा कामयाब हो जायेंगी वह एक तरह से कांग्रेस से दुश्मनी निकाल रहे हैं। यह सही है कि अपने सहयोगी या वरिष्ठ नेता का उत्साह बढ़ाना चाहिए लेकिन उसे अति आत्मविश्वास के ऐसे समुद्र में नहीं ढकेलना चाहिए जहां से बाहर नहीं निकला जा सकता।

-नीरज कुमार दुबे

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़