वाराणसी में मोदी से हार चुके अजय राय यूपी में कैसे देंगे कांग्रेस के सपनों को उड़ान
बता दें कि, पंजाब में जब कांग्रेस की सरकार थी तब मुख्तार अंसारी को जेल में वीवीआईपी ट्रीटमेंट की खबर ने भी खूब सुर्खियां बटोरी थीं। तब भी अजय राय ने इस पर सवाल खड़े किए थे। अजय राय, प्रियंका गांधी वाड्रा के काफी करीबी नेता हैं।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की बागडोर एक बार फिर बदल दी गई। अबकी से पूर्वांचल के दबंग नेता और वाराणसी में बीजेपी के खिलाफ मुरली मनोहर जोशी से लेकर मोदी तक के खिलाफ लोकसभा चुनाव में ताल ठोंक चुके अजय राय कभी भारतीय जनता पार्टी के नेता हुआ करते थे। अजय राय ने अपनी राजनीति की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी की छात्र इकाई से की थी और पार्टी ने उन्हें विधायक तक की कुर्सी पर पहुंचाया था। 2012 में दिग्विजय सिंह यूपी के प्रभारी और कांग्रेस महासचिव थे। उन्होंने अजय राय की कांग्रेस में एंट्री कराने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अजय 2012 के विधानसभा उपचुनाव में वाराणसी की पिंडरा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े और पांचवीं बार विधायक बने। अजय राय एक दबंग नेता हैं। माफिया मुख्तार अंसारी को सजा दिलाने में अजय राय का बड़ा हाथ रहा है। अवधेश राय हत्याकांड में अजय पैरोकार थे। इसी हत्याकांड में मुख्तार को पहली बार सजा हुई है। मुख्तार उम्रकैद की सजा काट रहा है।
बता दें कि, पंजाब में जब कांग्रेस की सरकार थी तब मुख्तार अंसारी को जेल में वीवीआईपी ट्रीटमेंट की खबर ने भी खूब सुर्खियां बटोरी थीं। तब भी अजय राय ने इस पर सवाल खड़े किए थे। अजय राय, प्रियंका गांधी वाड्रा के काफी करीबी नेता हैं। अब अजय राय के सहारे कांग्रेस यूपी में अपनी खोई जमीन पाने में जुटेगी। कांग्रेस ने बृजलाल खाबरी को हटा कर अजय राय को नया यूपी अध्यक्ष बनाया है। पिछले काफी दिनों से इस बात की चर्चाएं थीं कि कांग्रेस बृजलाल खाबरी को हटा सकती है। कांग्रेस ने पिछले साल अक्टूबर में बृजलाल खाबरी को यूपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। अजय राय को उत्तर प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने के साथ यह भी तय किया है कि यूपी में अब प्रियंका वाड्रा की ही चलेगी। वही यहां के सभी राजनैतिक निर्णय लेंगी। ऐसा इसलिए भी कहा जा सकता है क्योंकि अजय राय 2017 और 2022 में विधानसभा चुनाव जीतने में नाकाम रहे, लेकिन, वह सालों से कांग्रेस में महत्वपूर्ण संगठनात्मक जिम्मेदारियां निभा रहे हैं। कांग्रेस नेतृत्व के उन पर भरोसे का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हाल ही में महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा द्वारा राज्य इकाई के फेरबदल में, उन्हें प्रयागराज क्षेत्र के लिए पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया था। इसमें पूर्वी यूपी के करीब 12 जिलों की जिम्मेदारी उन्हे सौंपी गई थी। प्रियंका गांधी इस समय उत्तर प्रदेश में पार्टी मामलों की महासचिव हैं और यूपी की सियासत तय करने में कांग्रेस में उनकी राय सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। माना जा रहा है कि अजय राय को इस महत्त्वपूर्ण भूमिका में लाने के लिए सबसे ज्यादा प्रियंका गांधी ने ही जोर लगाया था।
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अजय राय ने बनारस संसदीय क्षेत्र से दो बार चुनाव लड़ा। 2009 में समाजवादी पार्टी के सिंबल पर लोकसभा का चुनाव लड़ा था, लेकिन मुरली मनोहर जोशी से चुनाव हार गए। फिर अजय राय ने कांग्रेस का दामन थामा और 2014 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ा।
बहरहाल, वाराणसी क्षेत्र के ताकतवर नेता राय ने कई बार अपनी पार्टी संबद्धता बदली है। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी की छात्र शाखा के सदस्य के रूप में की। उन्होंने 1996 से 2007 के बीच बीजेपी के टिकट पर लगातार तीन बार कोलासला निर्वाचन क्षेत्र से विधान सभा चुनाव जीता। लोकसभा टिकट नहीं मिलने के बाद उन्होंने पार्टी छोड़ दी। इसके बाद वह समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए और 2009 के लोकसभा चुनाव में असफल रहे। इसके बाद, उन्होंने 2009 में कोलासला निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय के रूप में विधान सभा उपचुनाव जीता। 2012 में अजय कांग्रेस में शामिल हो गये थे। परिसीमन के बाद कोलासला निर्वाचन क्षेत्र का अस्तित्व समाप्त होने के बाद, उन्होंने 2012 के विधानसभा चुनाव में नव निर्मित पिंडरा निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की, जिसमें पूर्व कोलअसला निर्वाचन क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा शामिल है।
-स्वदेश कुमार
(वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व राज्य सूचना आयुक्त उ0प्र0)
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