मालदीव प्रकरण से सबक ले दुनिया, पड़ोस प्रथम की नीति पर चलने वाले भारत को छेड़ा तो खैर नहीं

Modi Mohamed Muizzu
ANI

जहां तक मालदीव के मंत्रियों की टिप्पणियों पर भारत के आधिकारिक रुख की बात है तो भारतीय उच्चायोग के स्तर पर तत्काल ही आपत्ति जता दी गयी थी लेकिन अब भारत में मालदीव के राजदूत को विदेश मंत्रालय में तलब कर भी अच्छी तरह से सुना दिया गया है।

भारत हमेशा ‘पड़ोस प्रथम नीति’ को आगे रखकर चलता है लेकिन यदि पड़ोसी ही आंख दिखाने लगे तो उसे लगे हाथ तगड़ा जवाब भी दे दिया जाता है। कर्ज में डूब चुके मालदीव को भारत ने लगातार आर्थिक मदद देकर उबारा, वहां बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में अपना पैसा लगाया, भुखमरी और महामारी के समय वहां भोजन और वैक्सीन पहुँचाई। वहां के पर्यटन क्षेत्र को खड़ा करने के लिए भारतीयों ने ऐसा योगदान दिया कि माले के सरकारी खजाने में डॉलरों का ढेर लग गया। लेकिन अब वहां जो चीन समर्थक नई सरकार आई है वह लगातार भारत को अपमानित करने का काम कर रही है। भारत ने पहले तो बेहद संयमित रुख अपनाया लेकिन जब मालदीव के तीन मंत्रियों ने भारत के प्रधानमंत्री के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणियां कर दीं और भारतीय पर्यटन क्षेत्र का मजाक उड़ाया तो पूरे देश ने एक साथ खड़े होकर मालदीव को ऐसा सबक सिखाया कि वह नजीर बन गया।

प्रधानमंत्री के खिलाफ मालदीव के तीन मंत्रियों की टिप्पणियों से गुस्साये भारतीयों ने मालीदव की यात्रा रद्द करनी शुरू कर दी। होटलों और हवाई टिकटों की बुकिंग रद्द होने लगी और सोशल मीडिया पर बॉयकॉट मालीदव ट्रेंड होने लगा तो माले सरकार घबरा गयी और आनन-फानन में उन तीनों मंत्रियों को निलंबित कर दिया जिन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री पर निशाना साधा था। साथ ही मालदीव सरकार ने एक बयान जारी कर यह भी कहा कि मंत्रियों के बयान मालदीव की नीति के अनुरूप नहीं हैं। यही नहीं, मालदीव की पूर्व सरकार के मंत्रियों और पूर्व राष्ट्रपतियों ने भी अपने ही देश की सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और भरोसेमंद पड़ोसी भारत के खिलाफ की गयी टिप्पणियों को 'अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने' के समान बताया।

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जो लोग 'नया भारत' क्या है, यह बात आज तक नहीं समझे हैं उन्हें जरा उन टिप्पणियों पर गौर फरमा लेना चाहिए जो 'बॉयकॉट मालीदव' या 'पहले भारत के द्वीपों की सैर करो' जैसे हैशटैग के साथ लिखी गयी हैं। जिस तरह फिल्म उद्योग, खेल जगत और अन्य क्षेत्रों की हस्तियों ने प्रधानमंत्री के समर्थन में टिप्पणियां करते हुए मालदीव को खरी खरी सुनाई है उससे माले के पूरे पर्यटन उद्योग को दिन में तारे दिख गये हैं। भारतीयों के रुख को देखते हुए अन्य देशों ने भी बड़ी प्रेरणा ली होगी क्योंकि आज के समय में भारतीय नागरिक ही कई देशों की पर्यटन अर्थव्यवस्था में जान फूंक रहे हैं। इसके अलावा इस पूरे प्रकरण से लक्षद्वीप के पर्यटन को भी नये पंख लगना तय हो गया है क्योंकि अधिकतर लोगों ने वहां की यात्रा की इच्छा जताई है। आने वाले दिनों में संभव है कि वहां के लिए अधिक से अधिक फ्लाइटें शुरू हो जाएं ताकि लोग आसानी से वहां पहुँच सकें।

जहां तक मालदीव के मंत्रियों की टिप्पणियों पर भारत के आधिकारिक रुख की बात है तो भारतीय उच्चायोग के स्तर पर तत्काल ही आपत्ति जता दी गयी थी लेकिन अब भारत में मालदीव के राजदूत को विदेश मंत्रालय में तलब कर भी अच्छी तरह से सुना दिया गया है और मालदीव के कई मंत्रियों द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई टिप्पणियों पर कड़ी चिंता व्यक्त की गई। हालांकि मालदीव सरकार अपने बचाव में तर्क दे रही है कि मोदी के खिलाफ अपमानजनक सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर रविवार को ही तीन उप मंत्रियों को निलंबित कर दिया गया है। हम आपको बता दें कि तीनों उप मंत्रियों ने लक्षद्वीप की यात्रा के बाद ‘एक्स’ पर प्रधानमंत्री की ओर से की गयी पोस्ट के लिए उनकी आलोचना की थी और कहा था कि यह केंद्र शासित प्रदेश को मालदीव के वैकल्पिक पर्यटन स्थल के रूप में पेश करने का एक प्रयास है। मालदीव की मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, युवा मंत्रालय में उप मंत्रियों- मालशा शरीफ, मरियम शिउना और अब्दुल्ला महज़ूम माजिद को उनके पदों से निलंबित कर दिया गया है।

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि यह विवाद ऐसे दिन शुरू हुआ, जब मालदीव के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू एक सप्ताह की चीन यात्रा पर रवाना हुए। देखा जाये तो मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के प्रमुख समुद्री पड़ोसियों में से एक है और माले की पिछली सरकार में दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्रों सहित समग्र द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति देखी गई थी। नये राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू को चीन का करीबी माना जाता है। पदभार संभालने के तुरंत बाद मुइज्जू ने मालदीव से भारतीय सैन्यकर्मियों की वापसी का आह्वान किया था। माना जा रहा है कि चीन समर्थक और मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के करीबी सहयोगी माने जाने वाले मुइज्जू ने चीन की उम्मीदें बढ़ा दी हैं कि भारत के दक्षिणी तट के करीब हिंद महासागर में रणनीतिक रूप से स्थित द्वीपीय देश उसके समर्थन में अब नीतियों को आगे बढ़ाएगा। 

बहरहाल, जहां तक मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की चीन यात्रा की बात है तो उसके बारे में बताया जा रहा है कि इस दौरान शी जिनपिंग तथा मुइज्जू दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने पर चर्चा करेंगे। दोनों नेता कई समझौतों पर हस्ताक्षर भी करेंगे। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने पिछले सप्ताह कहा था कि राष्ट्रपति शी आठ से बारह जनवरी तक राजकीय यात्रा पर आ रहे मुइज्जू के स्वागत में भोज देंगे। दोनों राष्ट्राध्यक्ष बातचीत करेंगे और ‘सहयोग दस्तावेजों के हस्ताक्षर समारोह’ में भाग लेंगे। यहां यह भी ध्यान रखे जाने की जरूरत है कि मालदीव के राष्ट्रपति पद पर रहने के दौरान इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने ‘पहले भारत’ की नीति का पालन किया था और भारत के साथ घनिष्ठ संबंध स्थापित किए थे।

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