हिन्दुत्व की राह पर चल रही कांग्रेस कहीं राह से भटक न जाए

Congress is going on the path of Hindutva
फ़िरदौस ख़ान । Jan 13 2018 11:17AM

हाल में हुए हिमाचल प्रदेश और गुजरात के विधानसभा चुनावों के दौरान न सिर्फ़ राहुल गांधी मंदिर गए, बल्कि उन्होंने अपने गले में रुद्राक्ष की माला भी पहनी। उन्होंने ख़ुद कहा कि वे और उनका पूरा परिवार शिवभक्त है।

गले में रुद्राक्ष की माला, माथे पर चंदन का टीका और होठों पर शिव का नाम। ये है कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी का नया अवतार। हाल में हुए हिमाचल प्रदेश और गुजरात के विधानसभा चुनावों के दौरान न सिर्फ़ राहुल गांधी मंदिर गए, बल्कि उन्होंने अपने गले में रुद्राक्ष की माला भी पहनी। उन्होंने ख़ुद कहा कि वे और उनका पूरा परिवार शिवभक्त है। मगर सोमनाथ मंदिर में ग़ैर हिन्दुओं के लिए रखी गई विज़िटर्स बुक में दस्तख़्त करने पर उठे विवाद के बाद कांग्रेस ने राहुल गांधी के जनेऊ धारण किए तस्वीरें जारी कर उनके ब्राह्मण होने का सबूत दिया। राहुल गांधी के निर्वाचन क्षेत्र अमेठी में पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनके पोस्टर जारी कर उन्हें परशुराम का वंशज तक बता दिया।

दरअसल, भारतीय जनता पार्टी को कड़ी टक्कर देने के लिए कांग्रेस ने हिन्दुत्व की ओर क़दम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। सियासी गलियारे में कहा जाता है कि कांग्रेस पहले से ही हिन्दुत्व की समर्थक पार्टी रही है। ये और बात है कि उसने कभी खुलकर हिन्दुत्व का कार्ड नहीं खेला। बाबरी मस्जिद का ताला खुलवाना इसकी एक मिसाल है। हालांकि कांग्रेस पर तुष्टिकरण की सियासत करने के आरोप भी ख़ूब लगते रहे हैं। शाहबानो मामले में कांग्रेस की केंद्र सरकार मुस्लिम कट्टरपंथियों के सामने झुक गई थी और इसकी वजह से शाहबानो को अनेक मुसीबतों का सामना करना पड़ा था।

बहरहाल, कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी की तर्ज़ पर हिन्दुत्व की राह पकड़ ली है। कांग्रेस को इसका सियासी फ़ायदा भी मिला है। गुजरात विधानसभा चुनाव की 85 दिन की मुहिम के दौरान कांग्रेस के स्टार प्रचारक राहुल गांधी ने 27 मंदिरों में पूजा-अर्चना की थी। उन्होंने जिन मंदिरों के दर्शन किए, उन इलाक़ों के 18 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस ने जीत का परचम लहराया। जो सीटें कांग्रेस को मिलीं, उनमें से आठ पर 2012 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ही जीती थी, लेकिन इस बार उसने 10 सीटें भारतीय जनता पार्टी को कड़ी शिकस्त देकर हासिल की हैं। इनमें दांता विधानसभा, नॉर्थ गांधीनगर विधानसभा, बेचराजी विधानसभा, गधाधा विधानसभा, पाटन विधानसभा, उंझा विधानसभा, भिलोडा विधानसभा, थारसा विधानसभा, पेटलाड विधानसभा, दाहोद विधानसभा, वंसडा विधानसभा, राधनपुर विधानसभा, कापडवंज विधानसभा, देदियापाड़ा विधानसभा, वेव विधानसभा और चोटिला विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। क़ाबिले-ग़ौर है कि राज्य की तक़रीबन 87 सीटों पर मंदिरों का सीधा असर पड़ता है और इनमें से आधी से ज़्यादा यानी 47 सीटें कांग्रेस को हासिल हुई हैं।

हालांकि भारतीय जनता पार्टी ने राहुल गांधी पर इल्ज़ाम लगाया था कि वे चुनावी फ़ायदे के लिए मंदिर जा रहे हैं। इसके जवाब में राहुल गांधी ने कहा था कि उन्हें जहां मौक़ा मिलता है वहां मदिर जाते हैं, वे केदारनाथ भी गए थे, क्या वो गुजरात में है। राहुल गांधी के क़रीबियों का कहना है कि वे अकसर मंदिर जाते हैं। राहुल गांधी अगस्त 2015 में दस किलोमीटर पैदल चलकर केदारनाथ मंदिर गए थे। वे उत्तर प्रदेश के अमेठी ज़िले के गौरीगंज में दुर्गा भवानी के मंदिर में भी जाते रहते हैं। इसके अलावा भी बहुत से ऐसे मंदिर हैं, जहां वे जाते रहते हैं, लेकिन वे इसका प्रचार बिल्कुल नहीं करते।

इस साल देश के आठ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिनमें मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, त्रिपुरा, मेघालय, मिज़ोरम और नागालैंड शामिल हैं। इनमें से कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है, जबकि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी सत्ता में हैं। फिर अगले ही साल लोकसभा चुनाव होना है। कांग्रेस ने चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि राहुल गांधी राजस्थान के मंदिरों में भी दर्शन करने जाएंगे। वे मकर संक्रांति पर स्नान भी कर सकते हैं। अगले साल जनवरी के अर्द्ध कुंभ में भी राहुल गांधी की एक नई छवि जनता को नज़र आ सकती है। ऐसा नहीं है कि कांग्रेस पहली बार इस तरह के प्रयोग कर रही है। क़ाबिले-ग़ौर है कि सोनिया गांधी ने साल 2001 के कुंभ में संगम में स्नान करके ये साबित कर दिया था कि जन्म से विदेशी होने के बावजूद वे एक आदर्श भारतीय बहू हैं। देश की अवाम ने सोनिया गांधी को दिल से अपनाया और इस तरह भारतीय जनता पार्टी द्वारा पैदा विदेशी मूल का मुद्दा ही ख़त्म हो गया।

पिछले लोकसभा चुनाव में हुकूमत गंवाने के बाद कांग्रेस को लगने लगा था कि भारतीय जनता पार्टी हिन्दुत्व का कार्ड खेलकर ही सत्ता तक पहुंची है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटनी का कहना था कि कांग्रेस को चुनाव में अल्पसंख्यकवाद का ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ा है। इस चुनाव में कांग्रेस 44 सीट तक सिमट गई थी।

दरअसल, भारतीय जनता पार्टी के पास नरेन्द्र मोदी सहित बहुत से ऐसे नेता हैं, जिनकी छवि कट्टर हिन्दुत्ववादी है। भारतीय जनता पार्टी हिन्दुत्व का कार्ड खेलने के साथ-साथ मुस्लिमों को रिझाने का भी दांव खेलना जानती है। तीन तलाक़ और हज पर बिना मेहरम के जाने वाली महिलाओं को लॉटरी में छूट देकर मोदी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं का दिल जीतने का काम किया है।

राहुल गांधी की हिन्दुववादी छवि को लेकर कांग्रेस नेताओं में एक राय नहीं है। कई नेताओं का मानना है कि पार्टी अध्यक्ष की हिन्दुववादी छवि से कुछ राज्यों में भले ही कांग्रेस को ज़्यादा मिल जाएं, लेकिन पूर्वोत्तर के राज्यों में पार्टी को इसका नुक़सान भी झेलना पड़ सकता है। कांग्रेस की मूल छवि सर्वधर्म सद्भाव की रही है। ऐसे में हिन्दुत्व की राह पर चलने से पार्टी का अल्पसंख्यक और सेकुलर वोट क्षेत्रीय दलों की झोली में जा सकता है। ऐसे में क्षेत्रीय दलों को फ़ायदा होगा। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी मुसलमानों की पसंदीदा पार्टी है। इसी तरह पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और केरल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी को अल्पसंख्यकों का भरपूर समर्थन मिलता है।

बहरहाल, राहुल गांधी को सिर्फ़ मंदिरों तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए, उन्हें अन्य मज़हबों के धार्मिक स्थानों पर भी जाना चाहिए, ताकि कांग्रेस की सर्वधर्म सद्भाव, सर्वधर्म समभाव वाली छवि बरक़रार रहे। कांग्रेस, कांग्रेस ही बनी रहे, तो बेहतर है। देश के लिए भी, अवाम के लिए भी और ख़ुद कांग्रेस के लिए भी यही बेहतर रहेगा।

-फिरदौस खान

(लेखिका स्टार न्यूज़ एजेंसी में संपादक हैं।)

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़