सबसे खराब अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था को बेहद सरल बनाकर दिखाया

arun-jaitley-defends-govt-steps-on-gst
अरूण जेटली । Dec 26 2018 11:35AM

भारत में दुनिया की सबसे खऱाब अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था थी। केन्द्र और राज्य सरकारों को भी कई तरह के टैक्स लगाने के अधिकार थे। कुल मिलाकर 17 तरह के टैक्स थे। इसलिए किसी भी कारोबारी को 17 इंसपेक्टरों, 17 रिटर्न और 17 एसेसमेंट से जूझना पड़ता था।

गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) को पहली जुलाई 2017 से लागू किया गया था। अब तक इसने पूरे 18 महीने पूरे कर लिये हैं। लेकिन इसकी आलोचना वो लोग कर रहे हैं जिन्हें इसकी पूरी जानकारी भी नहीं है। कुछ तो जानबूझकर किसी खास इरादे से भी कर रहे हैं। आइए देखें इसका प्रदर्शन कैसा रहा।

जीएसटी के पहले की हालत

भारत में दुनिया की सबसे खऱाब अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था थी। केन्द्र और राज्य सरकारों को भी कई तरह के टैक्स लगाने के अधिकार थे। कुल मिलाकर 17 तरह के टैक्स थे। इसलिए किसी भी कारोबारी को 17 इंसपेक्टरों, 17 रिटर्न और 17 एसेसमेंट से जूझना पड़ता था। इसके अलावा टैक्स की दरें बहुत ऊंची थीं। वैट और केन्द्रीय उत्पाद शुल्क की सामान्य दरें क्रमशः 14.5% और 12.5% थीं। इतना ही नहीं, इन पर सीएसटी भी लगता था और अंततः टैक्स दर अधिकतर वस्तुओं पर 31 प्रतिशत तक पहुंच जाती थी। करदाता के पास दो ही विकल्प थे, या तो वह ऊंची दरों पर टैक्स दे या फिर उसकी चोरी करे। उस समय टैक्स की चोरी बड़े पैमाने पर होती थी। भारत में कई तरह के बाज़ार थे। हर राज्य एक अलग तरह का बाज़ार था क्योंकि वहां टैक्स की दरें अलग-अलग थीं। अंतर्राज्यीय टैक्स अप्रभावी हो गए क्योंकि ट्रकों को राज्यों की सीमाओं पर घंटों और कई बार तो कई दिनों तक इंतज़ार करना पड़ता था। 

इसे भी पढ़ें- रियल एस्टेट: 2018 में मकान बिक्री में वृद्धि, नकदी संकट ने रोकी तेज उड़ान

पहली जुलाई 2017 से जीएसटी का प्रभाव

जीएसटी लागू होने के दिन से ही हालात में आमूल-चूल परिवर्तन आया। सभी 17 टैक्सों का एकीकरण हो गया। पूरा भारत एक बाज़ार हो गया। अंतरराज्यीय नाके हटा दिए गए। इंट्री टैक्स खात्मे के बाद शहरों में इंट्री सुगम हो गई। विभिन्न राज्य मनोरंजन के नाम पर 35% से 110% तक टैक्स वसूल रहे थे। इसमें भारी कमी हुई। 235 आयटमों पर पहले या तो 31 प्रतिशत टैक्स लग रहा था या उससे भी ज्यादा। इनमें से 10 को छोड़कर सभी पर टैक्स तुरंत घटाकर 28 प्रतिशत कर दिया गया। उन 10 आयटमों पर तो टैक्स घटाकर और भी कम यानी 18 प्रतिशत कर दिया गया। बहुत थोड़े समय के लिए कई स्लैब बनाए गए थे ताकि किसी भी वस्तु की कीमत ऊपर जाने ना पाए। इससे कीमतें बढ़ने से रुक गईं। आम आदमी के इस्तेमाल की वस्तुएं शून्य या 5% टैक्स दायरे में लाई गईं। रिटर्न ऑनलाइन हो गए, एसेसमेंट भी ऑनलाइन हो गया और इंसपेक्टरों की फौज गायब हो गई। राज्यों को गारंटी दी गई कि पहले 5 सालों के लिए उन्हें उनके राजस्व में 14% की बढ़ोतरी होगी।

राजस्व संग्रह के संकेत

यह अक्सर कहा जाता है कि राजस्व की स्थिति निराशाजनक है। ऐसी टिप्पणी का मुख्य कारण राजस्व के लक्ष्य तथा राजस्व में बढ़ोतरी के बारे में जानकारी न होना है। जीएसटी में राज्यों के लिए राजस्व संग्रह का जो लक्ष्य रखा गया है, वह निःसंदेह काफी अधिक है। हालांकि जीएसटी की शुरूआत 01 जुलाई 2017 को हुई लेकिन राजस्व में बढ़ोतरी की गणना का आधार वर्ष 2015-16 ही रखा गया। हर साल के लिए राजस्व में 14 प्रतिशत की वृद्धि की गारंटी है। इस तरह से हालांकि अभी जीएसटी लागू हुए 18 महीनें भी पूरे नहीं हुए हैं, इसके बावजूद प्रत्येक राज्य के सामने अपने राजस्व को आधार वर्ष 2015-16 की तुलना में 14% सालाना की दर से राजस्व वृद्धि का लक्ष्य है। यह बढ़कर दूसरे साल में ही 50% तक पहुंच जाएगा। हालांकि यह अपने आप में असंभव-सा लक्ष्य लगता था। लेकिन छह राज्यों ने इसे पा लिया है और सात अन्य पाने के करीब हैं। 18 अन्य लक्ष्य से 10% दूर हैं। तीसरे, चौथे और पांचवें साल में वैट की ही तरह राजस्व बढ़ाने और लक्ष्य से दूरी खत्म करने की क्षमता उल्लेखनीय रूप से बढ़ेगी। वो राज्य जो 14% का लक्ष्य भी पूरा नहीं कर सकेंगे, उन्हें मुआवजा दिया जाएगा। दूसरे साल में मुआवजा सेस पहले साल की तुलना से काफी कम होगा। टैक्स वसूली में बढ़ोतरी और जीएसटी लागू होने के बाद टैक्स में भारी कटौती के सकारात्मक असर को दिमाग में रखना होगा। कटौती की कुल राशि लगभग 80,000 करोड़ रुपए प्रति वर्ष होगी। इस भारी कटौती के बाद भी साल के पहले छह महीने में जीएसटी वसूली में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई। पहले साल में औसतन हर महीने जीएसटी वसूली 89,700 करोड़ रुपए थी जबकि दूसरे साल में यह प्रति माह 97,100 करोड़ रुपए रही। 

इसे भी पढ़ें- विधानसभा चुनाव परिणामों ने मोदी को GST दर घटाने को बाध्य किया

टैक्स दर का सुव्यवस्थीकरण

जीएसटी काल के पहले, देश में बड़े पैमाने पर वस्तुओं पर भारी टैक्स लगा हुआ था। कांग्रेस के ज़माने में तो अप्रत्यक्ष कर की दर 31 प्रतिशत थी। बहुत थोड़े समय के लिए हमने उन्हें 28% के स्लैब में डाल दिया। जैसे-जैसे राजस्व बढ़ने लगा हमने दरों को घटाना शुरू कर दिया। ज्यादातर वस्तुओं पर टैक्स घटा दिए गए। आज तंबाकू उत्पादों, महंगी गाड़ियों, शीरा, एयर कंडीशनर, एयरेटेड वाटर, बड़े टीवी सेट और डिश वाशर को छोड़कर 28% की ज़द में आने वाले सभी 28 आयटमों को 28% के स्लैब से 18 तथा 12 के स्लैब में डाल दिया गया। सींमेंट और ऑटो पार्ट्स ही ऐसी वस्तुएं हैं जो आम खपत की हैं जो 28% के स्लैब में हैं।

काम में आने वाली 1216 वस्तुओं में से करीब 183 पर कोई टैक्स नहीं है, 308 पर 5%, 178 पर 12% और 517 पर 18% है। 28 प्रतिशत का स्लैब अब मृतप्राय है। इस समय रेस्तरां पर कुल मिलाकर सिर्फ 5% ही टैक्स है। 20 लाख रुपए तक के कारोबार पर टैक्स में छूट है। 1 करोड़ रुपए तक का कारोबार करने वाले महज 1 प्रतिशत टैक्स देकर कंपोजीशन पा सकते हैं। छोटे करदाताओं के लिए कंपोजीशन स्कीम पर अभी विचार हो रहा है। सिनेमा टिकटों पर टैक्स 35% से 100% था जिसे घटाकर 12% और 18% कर दिया गया है। जीएसटी ने मुद्रास्फीति को कम रखने में मदद की। टैक्स चोरी में भारी कमी आई है।

कुल प्रभाव

कम टैक्स दर, बढ़ा हुआ टैक्स आधार, सरल एसेसमेंट, टैक्स सरलीकरण वगैरह से विकास दर के प्रतिशत में वृद्धि होगी। यह परिवर्तन 18 महीने में हुआ। अचानक किया गया बदलाव राजस्व या कारोबार के लिए हानिकारक हो सकता था।


इसे भी पढ़ें- देशवासियों को नववर्ष पर GST परिषद का तोहफा, मॉनिटर-टीवी और पावर पर घटा टैक्स

जीएसटी काउंसिल

जीएसटी काउंसिल ने कुल 31 बैठकें कीं। यह भारत के केन्द्रीय संस्थान के साथ पहला प्रयोग है। यह ऐसा संगठन है जो पूरी जिम्मेदारी के साथ काम कर रहा है। कई हजार निर्णय जिनमें विधायिका व नियमों के प्रारूप भी हैं, नोटिफिकेशन, आरंभिक दर निश्चित करना और अंतिम दरों का निर्धारण करना वगैरह शामिल रहे, से जुड़े फैसले सर्वसम्मति से किए गए। काउंसिल के बाहर के शोर-शराबा के विपरीत अंदर सद्भाव बना रहा।

भविष्य के रोडमैप पर मेरे व्यक्तिगत विचार

जीएसटी का रूपातंरण पूरा हो गया है और इसके साथ ही हम लग्ज़री और वैसी वस्तुओं, जिन्हें सिन गुड्स कहते हैं, के अलावा अन्य पर से 28 प्रतिशत टैक्स दर ख़त्म करने की ओर है। आने वाले समय में 12 और 18 प्रतिशत के दो स्लैब रखने की बजाय सिर्फ 12 प्रतिशत का एक टैक्स स्लैब बनाने की ओर हम आगे बढ़ रहे हैं। शायद यह 12 और 18 के बीच की दर हो। जाहिर है कि इसमें काफी समय लग सकता है। देश में अंततः जीएसटी की दरें शून्य, 5 प्रतिशत और स्टैण्डर्ड दर होगी। लग्ज़री और सिन गुड्स इसमें अपवाद रहेंगे।

उपसंहार

जिन लोगों ने भारत पर 31 प्रतिशत टैक्स का भार लादा था और जीएसटी की खिलाफत की थी, उन्हें गंभीरता से आत्ममंथन करना चाहिए। गैर-ज़िम्मेदार राजनीति और गैर-ज़िम्मेदार अर्थशास्त्र रसातल की ओर जाने वाली होती है।

-अरुण जेटली

(लेखक केंद्रीय वित्त मंत्री हैं)

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़