गुर्दे से जुड़ा कॅरियर है नेफ्रोलॉजी, जानिए विस्तार से
नेफ्रोलॉजी एक स्पेशल शाखा है जो खासतौर से गुर्दे व इससे संबंधित समस्याओं पर ही काम करती है। एक नेफ्रोलॉजिस्ट किडनी को प्रभावित करने वाली बीमारियों का पता लगाने के लिए रक्त परीक्षण, मूत्र परीक्षण और बायोप्सी जैसे विभिन्न परीक्षण करते हैं।
नेफ्रोलॉजी शब्द से शायद बहुत से लोग अनजान हों, लेकिन वास्तव में यह एक बेहद आकर्षक और जिम्मेदारी भरा कॅरियर है। नेफ्रोलॉजी ग्रीक शब्द 'नेफ्रोस' से लिया गया है जिसका अर्थ है 'किडनी' और 'लॉजी', 'का अध्ययन', जिसका अर्थ है किडनी का अध्ययन। यह विज्ञान है जो गुर्दे से संबंधित है, विशेष रूप से उनके कार्यों या बीमारियों से। नेफ्रोलॉजी चिकित्सा विशेषता है जो किडनी की स्थिति और असामान्यताओं पर ध्यान केंद्रित करती है, जिसमें गुर्दे के सामान्य कार्य, गुर्दे की समस्याओं और गुर्दे की रिप्लेसमेंट थेरेपी के उपचार यानी डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण शामिल हैं। एक नेफ्रोलॉजिस्ट, जिसे रीनल फिजिशियन भी कहा जाता है, एक मेडिकल डॉक्टर है जो मानव किडनी से संबंधित बीमारियों और स्थितियों में एक्सपर्ट है। नेफ्रोलॉजिस्ट गुर्दे की बीमारी, इलेक्ट्रोलाइट डिसआर्डर, गुर्दे की विफलता, उच्च रक्तचाप और गुर्दे की पथरी जैसी कई स्थितियों का निदान और उपचार करते हैं। तो चलिए विस्तार से जानते हैं इस कॅरियर के बारे में−
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क्या होता है काम
नेफ्रोलॉजी एक स्पेशल शाखा है जो खासतौर से गुर्दे व इससे संबंधित समस्याओं पर ही काम करती है। एक नेफ्रोलॉजिस्ट किडनी को प्रभावित करने वाली बीमारियों का पता लगाने के लिए रक्त परीक्षण, मूत्र परीक्षण और बायोप्सी जैसे विभिन्न परीक्षण करते हैं। उनके उपचार में इलेक्ट्रोलाइट और रक्तचाप, दवा और डायलिसिस का विनियमन शामिल है। गुर्दे की बायोप्सी और कैथेटर प्लेसमेंट जैसी प्रक्रियाओं को छोड़कर, वे सर्जरी नहीं करते हैं, हालांकि वे अक्सर यूरोलॉजिस्ट के साथ मिलकर काम करते हैं।
योग्यता
एजुकेशन एक्सपर्ट बताते हैं कि नेफ्रोलॉजी पाठ्यक्रमों को अधिकांश मेडिकल स्कूलों में विशेषज्ञता के रूप में पेश किया जाता है। नेफ्रोलॉजिस्ट बनने के लिए छात्रों को पहले आवश्यक बुनियादी योग्यता एमबीबीएस डिग्री करना जरूरी है जिसे मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थान से प्राप्त किया जाता है। एमबीबीएस पूरा करने के बाद, उन्हें जनरल मेडिसिन में एमडी की डिग्री के लिए जाना चाहिए। एमडी प्रवेश भी प्रवेश परीक्षा पर आधारित है। जिन उम्मीदवारों ने जनरल मेडिसिन में एमडी पूरा कर लिया है, वे नेफ्रोलॉजी में डीएम की डिग्री या नेफ्रोलॉजी में डीएनबी के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस डिग्री को प्राप्त करने के बाद, वे नेफ्रोलॉजिस्ट के रूप में अभ्यास कर सकते हैं। नेफ्रोलॉजिस्ट को अभ्यास करने के लिए लाइसेंस की आवश्यकता होती है।
व्यक्तिगत कौशल
एजुकेशन एक्सपर्ट के अनुसार, एक नेफ्रोलॉजिस्ट में अपने रोगियों और डॉक्टरों के साथ प्रभावी ढंग से संपर्क करने के लिए अच्छे पारस्परिक कौशल रखने चाहिए। इसके अलावा, दृढ़ संकल्प, और टीम भावना उनके काम को अधिक आसान बनाती है। वहीं धैर्य, आत्म प्रेरणा और दबाव में काम करने की क्षमता नेफ्रोलॉजिस्ट के लिए आवश्यक लक्षण हैं। इतना ही नहीं, उन्हें हमेशा जागरूक होना चाहिए और इस क्षेत्र में उपलब्ध नवीनतम उपचारों के बारे में अपडेट रहना चाहिए।
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रोजगार की संभावनाएं
नेफ्रोलॉजिस्ट निजी व सरकारी अस्पतालों, गुर्दे और डायलिसिस केंद्रों और सामान्य चिकित्सा केंद्रों में काम कर सकते हैं। लगभग सभी अस्पतालों में नेफ्रोलॉजी विभाग हैं और इसलिए एक अनुभवी नेफ्रोलॉजिस्ट की जरूरत हर अस्पताल में महसूस की जाती है। इसके अलावा अनुभवी नेफ्रोलॉजिस्ट अपने स्वयं के क्लीनिक खोल सकते हैं। वे विभिन्न मेडिकल स्कूलों और कॉलेजों में शिक्षण कार्य का विकल्प भी चुन सकते हैं। यहां तक कि अनुसंधान भी कर सकते हैं।
आमदनी
निजी अस्पतालों में, नेफ्रोलॉजिस्ट प्रति माह 1,00,000−1,50,000 रुपये के बीच वेतन प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि, अनुभव के आधार पर आपकी आमदनी इससे भी अधिक हो सकती है। वहीं, सरकारी क्षेत्र में नेफ्रोलॉजिस्ट को अपने अनुभव और विशेषज्ञता के आधार पर 60,000 रुपये से 80,000 रुपये के बीच वेतन मिल सकता है। वेतन के अलावा उन्हें पेंशन, मुफ्त आवास और कई अन्य भत्तों की सुविधाएं भी प्राप्त होती हैं।
प्रमुख संस्थान
एम्स, नई दिल्ली
सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज, जयपुर
नेफ्रो यूरोलॉजी संस्थान, बैंगलोर
श्री वेंकटेश्वर चिकित्सा विज्ञान संस्थान, तिरुपति
श्री अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, इंदौर
किंग एडवर्ड मेमोरियल हॉस्पिटल और सेठ गोर्धनदास सुंदरदास मेडिकल कॉलेज, मुंबई
- वरूण क्वात्रा
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