जेरीऐट्रिक केयर में तलाश सकते हैं अपने भविष्य की संभावनाएं

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एक जेरीऐट्रिक केयर प्रोफेशनल्स को एल्डरकेयर के रूप में भी जाना जाता है। इनका मुख्य काम बुजुर्ग व्यक्ति या अन्य शारीरिक और मानसिक रूप से दुर्बल लोगों की देखभाल और को−ऑर्डिनेशन करते हैं। इस क्षेत्र में करियर देख रहे छात्रों को विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।

जब बच्चा छोटा होता है तो उसे अपने माता−पिता या किसी अन्य बड़े व्यक्ति की देखभाल की जरूरत होती है। ठीक उसी तरह, जब व्यक्ति बूढ़ा हो जाता है तो भी उसकी देख−रेख के लिए किसी व्यस्क व्यक्ति की आवश्यकता पड़ती है। लेकिन पिछले कुछ समय में एकल परिवारों का चलन बढ़ा है, जिसके कारण घर के वृद्ध व्यक्ति अलग−थलग पड़ जाते हैं। वहीं ऐसे भी बहुत से वृद्ध व्यक्ति जिनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है। यही कारण है कि आज के समय में बूढ़े व्यक्ति की सेवा करना अब एक अलग कॅरियर बनता जा रहा है। अगर आप भी बड़ों की सेवा करके मानसिक शांति का अनुभव करते हैं तो आप जेरीऐट्रिक केयर में अपन भविष्य की संभावनाएं तलाश सकते हैं−

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स्किल्स

यह एक बेहद संवेदनशील क्षेत्र है, इसलिए इस क्षेत्र में कॅरियर देख रहे छात्रों के भीतर धैर्य, मजबूत निर्णय लेने की क्षमता, परिपक्वता जैसे गुण होने चाहिए। वैसे भी इस क्षेत्र में पैसे से अधिक सेवाभाव को अधिक महत्व दिया जाता है, इसलिए यह जरूरी है कि आपके मन में बड़ों के प्रति आदर हो और आपको वास्तव में उनकी सेवा करने में आनंद आता हो, तभी आप इस दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। उम्र बढ़ने के साथ−साथ कई तरह की शारीरिक व मानसिक समस्याएं पैदा हो जाती हैं, इसलिए आपका इस तरह की समस्या के प्रति जागरूक होना और उसे निपटने के बरे में भी पूर्ण ज्ञान होना चाहिए।

क्या होता है काम

एक जेरीऐट्रिक केयर प्रोफेशनल्स को एल्डरकेयर के रूप में भी जाना जाता है। इनका मुख्य काम बुजुर्ग व्यक्ति या अन्य शारीरिक और मानसिक रूप से दुर्बल लोगों की देखभाल और को−ऑर्डिनेशन करते हैं। इस क्षेत्र में करियर देख रहे छात्रों को विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। वह न सिर्फ बुजुर्ग व्यक्ति बल्कि उनके परिवार के अन्य सदस्यों को भी परामर्श व सहायता प्रदान करता है। वह उनकी शारीरिक जरूरतों के साथ−साथ भावनात्मक जरूरतों को भी समझकर अपना सहयोग देता है।

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योग्यता

फिलहाल भारत में कुछ ही जगहों पर जेरीऐट्रिक मेडिसिन केयर से संबंधित प्रोफेशनल कोर्स करवाया जाता है। कुछ कॉलेज पीजी डिप्लोमा करवाते हैं तो कहीं पर जेरीऐट्रिक केयर में एमबीए की सुविधा भी उपलब्ध है। इस क्षेत्र में कॅरियर देख रहे छात्र 12वीं के बाद सोशल वर्क, नर्सिंग, साइकोलॉजी, पब्लिक हेल्थ में बैचलर डिग्री कर सकते हैं। इसके बाद आपको जेरीऐट्रिक केयर में मास्टर डिग्री हासिल करनी होगी। 


संभावनाएं

जेरीऐट्रिक केयर में कॅरियर देख रहे छात्रों के लिए संभावनाओं की कोई कमी नहीं है। आप अस्पतालों से लेकर सीनियर हाउसिंग कम्युनिटीज, सोशल सर्विस प्रोवाइडर, चिकित्सक व हेल्थ प्रोफेशनल्स, जेरीऐट्रिक केयर मैनेजर आदि के रूप में काम कर सकते हैं। वहीं अगर आप फुलटाइम जॉब नहीं करना चाहते तो आप अपने आसपास या अकेले रहने वाले वृद्धों को फ्रीलांस सेवाएं भी दे सकते हैं। इस क्षेत्र में स्वरोजगार भी एक अच्छा ऑप्शन है। वैसे विदेशों में जेरीऐट्रिक केयर प्रोफेशनल्स की मांग बनी रहती है।

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आमदनी

इस क्षेत्र में आपकी आमदनी इस बात पर निर्भर करती है कि आप किस देश में किस आर्गेनाइजेशन के लिए काम करते हैं। वैसे सामान्य तौर पर, आप 15 हजार से 20 हजार प्रतिमाह आसानी से कमा सकते हैं। वहीं अगर आप स्व−नियोजित हैं, तो आप किसी प्रोजेक्ट के लिए प्रति घंटा या मासिक के आधार पर काम कर सकते हैं।

प्रमुख संस्थान

एडीएन इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल साइंस एंड हॉस्पिटल्स।

अंबेडकर उच्च शिक्षा संस्थान।

भ्रामजी जीजीभोय सरकारी मेडिकल कॉलेज।

डीसीएम इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड पैरामेडिकल टेक्नोलॉजी।

धन्वंतरी इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल एजुकेशन।

डीएस इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल साइंस।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय।

राष्ट्रीय सामाजिक रक्षा संस्थान।

वरूण क्वात्रा

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