क्या हैं वॉलंटियरी व्हीकल स्क्रैपिंग पॉलिसी ? जिसका वित्त मंत्री ने बजट भाषण में किया उल्लेख

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नई पॉलिसी के मुताबिक व्यक्तिगत वाहन 20 साल और व्यावसायिक वाहन 15 साल तक ही सड़कों पर चल सकेंगे और इसके बाद उनकी ऑटोमेटिक फिटनेस केंद्र पर जांच जरूरी होगी।

नयी दिल्ली। आम बजट 2021-22 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पुरानी गाड़ियों के निस्तारिकरण के लिए एक नई नीति का ऐलान किया है। इस नई नीति का उद्देश्य इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा देना और वायु प्रदूषण को कम करने के लिए पुरानी गाड़ियों को निपटाना है। इस नई पॉलिसी को वॉलंटियरी व्हीकल स्क्रैपिंग पॉलिसी का नाम दिया गया है। विशेषज्ञों की मानें तो इस नई पॉलिसी से सुस्त पड़े ऑटो सेक्टर को बूस्ट मिलेगा। 

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बजट में जिस वॉलंटियरी व्हीकल स्क्रैपिंग पॉलिसी का जिक्र किया गया है उसके बारे में जल्द ही केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय विस्तृत जानकारी देगा। मोटे तौर पर बताया जाए तो इस नई पॉलिसी के मुताबिक व्यक्तिगत वाहन 20 साल और व्यावसायिक वाहन 15 साल तक ही सड़कों पर चल सकेंगे और इसके बाद उनकी ऑटोमेटिक फिटनेस केंद्र पर जांच जरूरी होगी। आपको बता दें कि स्क्रैपिंग पॉलिसी एक अप्रैल, 2022 से लागू हो जाएगी। इस पॉलिसी पर करीब पांच साल से विचार चल रहा था लेकिन अब जाकर सरकार इस पर निर्णय ले पाई है।

ऑटो सेक्टर को होगा फायदा

इस नई पॉलिसी की वजह से बाजार में गाड़ियों की मांग बढ़ेगी। जिसका मतलब है कि इस पॉलिसी के माध्यम से लंबे समय से सुस्त पड़े ऑटो सेक्टर को बूस्ट मिलने वाला है। इसके अलावा इस पॉलिसी से वायु प्रदूषण की भी स्थिति में भी सुधार होगा क्योंकि जब खराब फिटनेस (यानी जो धुआं ज्यादा देती हैं/ प्रदूषण फैलाती हैं) वाली गाड़ियां सड़कों पर नहीं चलेंगी तो खुद-ब-खुद वायु प्रदूषण का स्तर धीरे-धीरे सुधरने लगेगा। 

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नितिन गडकरी ने पॉलिसी का किया स्वागत

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने स्क्रैपिंग पॉलिस का स्वागत किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि इस नीति के दायरे में 20 साल से अधिक पुराने 51 लाख हल्के वाहनों के आने का अनुमान है। इसके अलावा 15 साल से पुराने 34 लाख हल्के वाहन और 17 लाख मध्यम व भारी वाहन भी इस नीति के दायरे में आएंगे।

उन्होंने नई पॉलिसी के फायदे गिनाते हुए कहा कि यह व्यर्थ धातुओं के पुनर्चक्रण, बेहतर सुरक्षा, वायु प्रदूषण में कमी, नए वाहनों की बेहतर ईंधन दक्षता के चलते आयात लागत में कमी तथा निवेश के सही इस्तेमाल का मार्ग प्रशस्त करेगी।

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