शेयर बाजारों में रौनक लौटी, सेंसेक्स 335 अंक चढ़ा, निफ़्टी भी 22,146 पर क्लोज

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बीएसई का 30 शेयरों पर आधारित सूचकांक सेंसेक्स 335.39 अंक यानी 0.46 प्रतिशत चढ़कर 73,097.28 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 602.41 अंक उछलकर 73,364.30 अंक तक पहुंच गया था।

मुंबई। सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और धातु कंपनियों के शेयरों में लिवाली से बृहस्पतिवार को घरेलू शेयर बाजार पिछले सत्र की भारी गिरावट से उबरने में सफल रहे और मानक सूचकांक करीब आधा प्रतिशत चढ़कर बंद हुए। बीएसई का 30 शेयरों पर आधारित सूचकांक सेंसेक्स 335.39 अंक यानी 0.46 प्रतिशत चढ़कर 73,097.28 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 602.41 अंक उछलकर 73,364.30 अंक तक पहुंच गया था। 

नेशनल स्टॉक एक्सचेज (एनएसई) का मानक सूचकांक निफ्टी भी 148.95 अंक यानी 0.68 प्रतिशत बढ़कर 22,146.65 अंक पर पहुंच गया। इसके साथ ही निफ्टी ने फिर से 22,000 अंक का स्तर हासिल कर लिया। इस तरह घरेलू शेयर बाजारों ने पिछले कारोबारी सत्र में हुए भारी नुकसान की कुछ भरपाई कर ली। बुधवार को सेंसेक्स 906.07 अंक यानी 1.23 प्रतिशत गिरकर 72,761.89 अंक और निफ्टी 338 अंक यानी 1.51 प्रतिशत गिरकर 21,997.70 अंक पर बंद हुआ था। 

सेंसेक्स की कंपनियों में से एचसीएल टेक्नोलॉजीज, इन्फोसिस, विप्रो, भारती एयरटेल, लार्सन एंड टुब्रो, महिंद्रा एंड महिंद्रा, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और एशियन पेंट्स प्रमुख रूप से लाभ में रहीं। दूसरी तरफ एक्सिस बैंक, इंडसइंड बैंक, बजाज फाइनेंस, जेएसडब्ल्यू स्टील, भारतीय स्टेट बैंक और टाटा स्टील के शेयरों में गिरावट रही। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘बाजार पिछले सत्र में हुई गिरावट की करीब आधी भरपाई करने में सक्षम रहा। संस्थागत खरीदारी जारी रहने से इसे गति मिली। 

थोक मुद्रास्फीति के फरवरी में चार महीने के निचले स्तर पर आने से खुदरा मुद्रास्फीति के आगामी आंकड़ों में राहत मिलने की उम्मीद बढ़ी है।’’ बृहस्पतिवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, फरवरी में थोक मुद्रास्फीति मामूली गिरावट के साथ 0.2 प्रतिशत पर आ गई, जबकि जनवरी में यह 0.27 प्रतिशत थी। इसके अलावा मजबूत घरेलू मांग और व्यापार एवं उपभोक्ता भरोसा की वजह से फिच रेटिंग्स ने अगले वित्त वर्ष के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि का अनुमान बढ़ाकर सात प्रतिशत कर दिया है। व्यापक बाजारों में भी खासा सुधार देखा गया। 

बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक में 3.11 प्रतिशत और मिडकैप में 2.28 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई। विश्लेषकों का कहना है कि छोटी एवं मझोली कंपनियों के शेयर बड़ी कंपनियों को पीछे छोड़ रहे हैं। इसकी वजह यह है कि छोटी एवं मझोली कंपनियों के शेयरों का इस्तेमाल सौदेबाजी की रणनीति के तौर पर किया जा रहा है। रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (तकनीकी शोध) अजित मिश्रा ने कहा, ‘‘बाजार बुधवार की गिरावट से उबरकर आधा प्रतिशत की बढ़त के साथ बंद हुए। 

व्यापक सूचकांकों में तेजी आने से बाजार पर बने दबाव में कमी आई।’’ क्षेत्रवार सूचकांकों के स्तर पर सेवा खंड में 3.99 प्रतिशत, दूरसंचार खंड में 3.81 प्रतिशत और तेल एवं गैस खंड में 3.11 प्रतिशत की बढ़त रही। सिर्फ बैंकिंग खंड के शेयरों में ही गिरावट रही। शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बृहस्पतिवार को 4,595.06 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों की शुद्ध बिकवाली की थी। 

एशिया के अन्य बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी और जापान निक्की बढ़कर बंद हुए जबकि चीन का शंघाई कम्पोजिट और हांगकांग का हैंगसेंग नुकसान में रहे। दोपहर के कारोबार में यूरोपीय बाजार ज़्यादातर बढ़त के साथ कारोबार कर रहे थे। बुधवार को अमेरिकी बाजार मिले-जुले रुख के साथ बंद हुए थे। इस बीच, अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.76 प्रतिशत चढ़कर 84.67 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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