Shahjahanpur में काले गेहूं की खेती की तरफ बढ़ रहा है किसानों का रुझान
हालांकि, फायदे का सौदा होने के बावजूद स्थानीय स्तर पर बाजार की अनुपलब्धता यहां के किसानों को निराश भी कर रही है। शाहजहांपुर जिले में काले गेहूं की खेती अब प्रचुर मात्रा में होने लगी है। पूरे जिले के लगभग 250 एकड़ क्षेत्र में इसे उगाया गया है। स्थानीय प्रशासन भी किसानों को इस बेहद पोषक अनाज माने जा रहे गेहूं की खेती के लिये प्रोत्साहित कर रहा है।
शाहजहांपुर जिले में किसानों का रुझान काले गेहूं की खेती की ओर बढ़ रहा है। इस बार यहां के किसानों द्वारा भारी मात्रा में काले गेहूं का उत्पादन किया गया है। हालांकि, फायदे का सौदा होने के बावजूद स्थानीय स्तर पर बाजार की अनुपलब्धता यहां के किसानों को निराश भी कर रही है। शाहजहांपुर जिले में काले गेहूं की खेती अब प्रचुर मात्रा में होने लगी है। पूरे जिले के लगभग 250 एकड़ क्षेत्र में इसे उगाया गया है। स्थानीय प्रशासन भी किसानों को इस बेहद पोषक अनाज माने जा रहे गेहूं की खेती के लिये प्रोत्साहित कर रहा है।
जिलाधिकारी उमेश प्रताप सिंह ने रविवार को पीटीआई- को बताया कि जिले में काले गेहूं की पैदावार काफी बढ़ी है। इस बार जिले में 200 से अधिक किसानों ने 250 एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में काले गेहूं का उत्पादन किया है। स्थानीय स्तर पर इसे छह हजार रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर खरीदा जा रहा है जबकि बड़े शहरों में इसकी कीमत 10 से 12 हजार रुपये तक मिल रही है। जिला प्रशासन का प्रयास है कि किसानों को स्थानीय स्तर भी उनकी उपज का भरपूर लाभ मिले। तिलहर के राजापुर गांव के किसान प्रेम शंकर गंगवार ने बताया कि उन्होंने इस बार परीक्षण के तौर पर एक एकड़ क्षेत्र में काले गेहूं की पैदावार की है।
उन्होंने काले गेहूं से संबंधित एक प्रसंस्करण इकाई भी लगाई है जिसमें मैदे की जगह काले गेहूं के आटे से बिस्कुट बनाये जा रहे हैं। मैदे का बेहतरीन विकल्प होने की वजह से लोग इसे काफी पसंद भी कर रहे हैं। गंगवार ने बताया कि काले गेहूं में कुदरती एंटी ऑक्सिडेंट और एंटीबायोटिक गुण हैं जो मधुमेह, दिल की बीमारी, कैंसर, मानसिक तनाव, घुटनों के दर्द और एनीमिया जैसे रोगों के निदान में काफी कारगर है। काले गेहूं का आटा छिलकेयुक्त चने के सत्तू की तरह दिखता है और इसका स्वाद साधारण गेहूं की अपेक्षा अलग होता है। मगर यह काफी पौष्टिक है।
इसकी फसल साधारण गेहूं की तरह ही होती है मगर पकने पर इसकी बालियां काली हो जाती हैं। मुख्य विकास अधिकारी श्याम बहादुर सिंह ने बताया कि जिले के हर गांव में किसानों को काले गेहूं की खेती के बारे में जानकारी दी जा रही है। उन्हें बीज उपलब्ध कराने के अलावा कृषि विभाग की एक टीम बनाई है जो कृषकों को इस खास जिंस के उत्पादन के लिये प्रशिक्षित भी कर रही है तथा समय-समय पर काले गेहूं की फसल का निरीक्षण करने के अलावा कृषकों को फसल के रखरखाव के लिए आवश्यक दिशानिर्देश भी यही टीम दे रही है।
कृषि क्षेत्र में कार्यरत एक संस्था के संचालक राकेश पांडे ने बताया कि वह 2020 से ही शाहजहांपुर के किसानों को काले गेहूं की फसल उगाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं और इसमें प्रशासन भी सहयोग कर रहा है। इसी का नतीजा है कि आज जिले की कलान, तिलहर तथा पुवायां तहसीलों में एक बड़े क्षेत्रफल में किसान काले गेहूं की फसल उगा रहे हैं। जिलाधिकारी उमेश प्रताप सिंह ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा कृषि मित्रों तथा कृषि विभाग के अधिकारियों के जरिये किसानों को लगातार काले गेहूं की पैदावार की तकनीक और इसकी बिक्री से होने वाले वित्तीय लाभ की जानकारी दी जा रही है।
हालांकि, राकेश पांडे का कहना है कि जिले में काले गेहूं की मुनाफेभरी बिक्री की कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं है, इसलिए वह खुद किसानों का गेहूं खरीद कर बाहर भेज रहे हैं। अगर यहां पर प्रसंस्करण इकाइयां लग जाएं या फिर बाजार की व्यवस्था हो जाए तो किसानों की आय दोगुनी से भी ज्यादा हो जाएगी। ददरौल क्षेत्र के हसनपुर गांव के किसान अवधेश वर्मा ने भी स्थानीय स्तर पर काले गेहूं का बाजार नहीं होने पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा, इस बार हमने 10 बीघा क्षेत्रफल में काले गेहूं की पैदावार की है, मगर यहां बाजार की समस्या होने के कारण हमारा गेहूं बहुत ही कम मूल्य में ही बिक रहा है, जबकि यही गेहूं ऑनलाइन 80 से 100 रुपये प्रति किलो बिकता है। जिलाधिकारी ने इस समस्या के बारे में पूछने पर बताया, हम प्रयास कर रहे हैं कि यहां काले गेहूं से संबंधित प्रसंस्करण की इकाई भी लगाई जाए जिसके लिए उद्योग बंधु की बैठक में इसे रखेंगे अगर यह इकाई यहां लग जाती है तो किसानों को उनकी उपज का भरपूर लाभ मिल सकेगा।
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