राज्यों का राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2015-16 में 4,930 अरब रुपये
देश की सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश और सबसे ज्यादा क्षेत्रफल वाले राजस्थान समेत सभी राज्यों का सकल राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2015-16 में 4,93,360 करोड़ रुपये हो गया है।
मुंबई। देश की सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश और सबसे ज्यादा क्षेत्रफल वाले राजस्थान समेत सभी राज्यों का सकल राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2015-16 में 4,93,360 करोड़ रुपये हो गया है। भारतीय रिजर्व बैंक के नवीनतम आंकड़ों में इसकी तुलना वित्त वर्ष 1990-91 के आंकड़ों से की गई है जब यह 18,790 करोड़ रुपये था। रिजर्व बैंक की आज जारी 'हैंडबुक ऑफ स्टैटिस्टिक्स ऑन स्टेट्स 2016-17' के दूसरे संस्करण के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 के लिए पेश राज्यों के बजट के अनुसार यह बेहतर होकर 4,49,520 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
उत्तर प्रदेश का राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 1990-91 में 3,070 करोड़ रुपये था जो वित्त वर्ष 2015-16 में 64,320 करोड़ रुपये हो गया और वित्त वर्ष 2016-17 में यह सुधरकर 49,960 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। इसी प्रकार राजस्थान का घाटा वित्त वर्ष 1990-91 में 540 करोड़ रुपये था जो वित्त वर्ष 2015-16 में 67,350 करोड़ रुपये हो गया और वित्त वर्ष 2016-17 में यह सुधरकर 40,530 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। महाराष्ट्र का घाटा भी सुधरकर वित्त वर्ष 2016-17 में 35,030 करोड़ रुपये होने का अनुमान है जो वित्त वर्ष 2015-16 में 37,950 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 1990-91 में यह 1,020 करोड़ रुपये था। गुजरात का घाटा वित्त वर्ष 1990-91 में 1,800 करोड़ रुपये था जो 2015-16 में 22,170 करोड़ रुपये हो गया और वित्त वर्ष 2016-17 में इसके बढ़कर 24,610 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
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