Swiggy देने वाला है अपने कस्टमर्स को झटका, अब Instamart से डिलिवरी करवाना होगा महंगा

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प्रतिरूप फोटो
ANI

स्विगी इंस्टामार्ट के डिलिवरी चार्ज बढ़ाने की तैयारी हो गई है। तीन दिसंबर को ही कंपनी के चीफ फाइनेंशियक ऑफिसर राहुल बोथरा की ओर से ये जानकारी साझा की गई है। सीएफओ का कहना है कि कंपनी अपनी प्लेटफॉर्म फीस को बढ़ाने पर विचार कर रही है।

फूड और ग्रॉसरी डिलिवरी प्लेटफॉर्म स्विगी से सामान मंगाना अब कस्टमर्स को महंगा होगा। कस्टमर्स को बड़ा झटका लगने वाला है। स्विगी इंस्टामार्ट के जरिए कस्टमर्स ग्रॉसरी, फूड आइटम्स से लेकर अन्य घरेलू सामान भी मंगवाते है। स्विगी इंस्टामार्ट प्लेटफॉर्म का उपयोग करने वाले यूजर्स को सामान मंगवाने के लिए अपनी जेब अधिक ढीली करनी होगी।

जानकारी के मुताबिक स्विगी इंस्टामार्ट के डिलिवरी चार्ज बढ़ाने की तैयारी हो गई है। तीन दिसंबर को ही कंपनी के चीफ फाइनेंशियक ऑफिसर राहुल बोथरा की ओर से ये जानकारी साझा की गई है। सीएफओ का कहना है कि कंपनी अपनी प्लेटफॉर्म फीस को बढ़ाने पर विचार कर रही है। 

 

कंपनी ने इसलिए लिया ये फैसला

मनीकंट्रोल की रिपोर्ट की मानें तो स्विगी का ये फैसला मुनाफे को बढ़ाने के लिए लिया गया है। कंपनी सीएफओ का कहना है कि कंपनी के फीस कंस्ट्रक्शन मॉडल को देखने पर पता चलता है कि सब्सिडी के तौर पर स्विगी सब्सक्रिप्शन कार्यक्रम और यूजर से ली हुई फीस पर लागू होगा। डिलिवरी फीस का बढ़ना समय के साथ जरुरी होता है। डिलिवरी फीस बढ़ाने के फैसले को सीएफओ ने समय की मांग बताया है।

 

इतने बढ़ सकते हैं दाम

स्विगी की ओर से इंस्टामार्ट की कीमत या कमीशन को मौजूदा 15 फीसदी से बढ़ा सकती है। आने वाले समय में ये कीमत बढ़कर 20 से 22 फीसदी तक हो सकती है। प्लेटफॉर्म पर आने वाले एड्स के जरिए भी कमाई को बढ़ाने पर जोर दे रही है। इस फैसले से कंपनी का मार्जिन भी बढ़ेगा। हालांकि अब तक ये नहीं बताया गया है कि बढ़े हुए प्लेटफॉर्म रेट कब से लागू होने वाले है।

 

दूसरी तिमाही में कम हुआ स्विगी का घाटा

स्विगी का चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में एकीकृत घाटा कम होकर 625.53 करोड़ रुपये रह गया। स्विगी ने मंगलवार को शेयर बाजारों को जुलाई-सितंबर, 2024 तिमाही के वित्तीय नतीजों की सूचना दी। जुलाई-सितंबर तिमाही में स्विगी का परिचालन राजस्व बढ़कर 3,601.45 करोड़ रुपये हो गया, जो पिछले साल की इसी अवधि में 2,763.33 करोड़ रुपये था। समीक्षाधीन तिमाही में इसका कुल खर्च भी बढ़कर 4,309.54 करोड़ रुपये हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 3,506.63 करोड़ रुपये था। 

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