ई-कॉमर्स नीति के नये प्रारूप में पारदर्शिता पर रहेगा जोर: प्रभु
प्रभु ने से कहा, ‘‘नीति का मुख्य भाग ई-कॉमर्स क्षेत्र में कारोबार सुगमता को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। इससे खुदरा कारोबारियों तथा उपभोक्ताओं दोनों को फायदा होना चाहिये।
नयी दिल्ली। ई-कॉमर्स नीति के नये प्रारूप में कीमत निर्धारण तथा छूट में पारदर्शिता को बढ़ावा देने और खुदरा कारोबारियों समेत उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा जैसे कई मुद्दों पर ध्यान दिया जाएगा। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने शुक्रवार को यह बात कही। उन्होंने कहा कि औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) नये मसौदे पर काम कर रहा है और इसे अगले दो-तीन सप्ताह में विभिन्न संबद्ध पक्षों की राय के लिये सार्वजनिक पटल पर रख दिया जाएगा।
इसे भी पढ़ें- अमेरिका के रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने ट्रंप के साथ मतभेद को लेकर इस्तीफा दिया
प्रभु ने से कहा, ‘‘नीति का मुख्य भाग ई-कॉमर्स क्षेत्र में कारोबार सुगमता को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। इससे खुदरा कारोबारियों तथा उपभोक्ताओं दोनों को फायदा होना चाहिये। कीमत निर्धारण तथा छूट के संदर्भ में ई-कॉमर्स कारोबार में पूरी तरह से पारदर्शिता होनी चाहिये।’’ उन्होंने कहा कि इसमें गलत करने वालों के लिये तथा उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिये भी कुछ नियामकीय प्रावधान होने चाहिये।
इसे भी पढ़ें- इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र प्रमुख से की फोन पर बातचीत, उठाया कश्मीर मुद्दा
Had a meeting with @DrSubhashMoS ji, Minister of State for Defence. Discussed matters related to APEDA. Have directed concerned officials at APEDA to look into the same pic.twitter.com/PmdcXeqDns
— Suresh Prabhu (@sureshpprabhu) December 21, 2018
उन्होंने कहा, ‘‘हम यह नहीं कह रहे कि ऑनलाइन कारोबारियों द्वारा छूट दी जानी चाहिये या नहीं लेकिन इसमें पारदर्शिता होनी चाहिये।’’ केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नये प्रारूप को वाणिज्य विभाग द्वारा तैयार किये गये पुराने प्रारूप के सुझावों को ध्यान में रखते हुए अंतिम रूप दिया जाना चाहिये।
उल्लेखनीय है कि एक कार्यबल द्वारा ई-कॉमर्स नीति के लिये तैयार पहले प्रारूप के कुछ चुनिंदा प्रस्तावों पर आपत्तियों के सामने आने के बाद यह प्रयास किया जा रहा है। पहले प्रारूप में ई-कॉमर्स क्षेत्र की वृद्धि के लिये कुछ कदम उठाने का सुझाव दिया गया था। इसमें सुरक्षा एवं गोपनीयता की आशंकाओं को लेकर उपभोक्ताओं की सूचनाएं देश में ही भंडारित करने का सुझाव था।
अन्य न्यूज़