उच्चतम न्यायालय ने TDS के खिलाफ दूरसंचार विभाग की अर्जी को खारिज किया
टीडीसैट ने अपने आदेश में स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (एसयूसी) से संबंधित पूर्व बकाये की देनदारी रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) पर निर्धारित की थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि दूरसंचार विभाग की याचिका का कोई आधार नहीं है और उसे खारिज कर दिया।
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने दूरसंचार विवाद निपटान अपीलीय न्यायाधिकरण (टीडीसैट) के खिलाफ दूरसंचार विभाग की अर्जी मंगलवार को खारिज कर दी। टीडीसैट ने अपने आदेश में स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (एसयूसी) से संबंधित पूर्व बकाये की देनदारी रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) पर निर्धारित की थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि दूरसंचार विभाग की याचिका का कोई आधार नहीं है और उसे खारिज कर दिया।
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टीडीसैट ने 26 फरवरी के आदेश में कहा कि पूर्व एसयूसी बकाये की देनदारी केवल आरकॉम पर बनती है और न कि रिलायंस जियो पर। रिलायंस जियो कंपनी के 800 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम खरीदने पर गौर कर रही थी। न्यायाधीश आर एफ नरीमन और न्यायाधीश सूर्या कांत की पीठ ने कहा कि टीडीसैट के आदेश के खिलाफ दूरसंचार विभाग की अर्जी का कोई आधार नहीं है। दूरसंचार विभाग की तरफ से पेश अतिरिक्त सोलिसीटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने कहा कि न्यायाधिकरण ने विभाग से आरकॉम की ‘गैर-अनापत्ति प्रमाणनपत्र’ के लिये अर्जी पर पुनर्विचार करने को कहा था जिससे कंपनी को अपना स्पेकट्रम बेचने की अनुमति मिल जाती।
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केंद्र ने कहा कि न्यायाधिकरण ने ‘अतिरिक्त सेवा प्रदाताओं द्वारा अतिरिक्त स्पेक्ट्रम के कारोबार के लिये दिशानिर्देश’ के विश्लेषण में और शीर्ष अदालत के पूर्व के आदेश की उपेक्षा करते हुए अपना अधिकार क्षेत्र बढ़ाया। दूरसंचार विभाग के एनओसी देने से इनकार के बाद टीडीसैट के समक्ष आरकॉम ने स्पेक्ट्रम कारेबार नियमों के बारे में स्पष्टीकरण मांगा। विभाग ने यह कहा कि या तो कंपनी को या उसके स्पेक्ट्रम खरीदने वालों को हलफनामा देना होगा कि वे पूर्व के बकाये के लिये देनदार होंगे। इससे पहले, दूरसंचार विभाग ने जोर दिया था कि आरकॉम 3,000 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी दे। विभाग ने इस राशि के एवज मेंकंपनी की जमीन गिरवी रखने की पेशकश खारिज कर दी थी। आरकॉम 46,000 करोड़ रुपये कका कर्ज भुगतान में विफल रहने के कारण अब ऋण शोधन प्रक्रिया के अंतर्गत है।
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