रिलायंस इंडस्ट्रीज ने सरकार के खिलाफ वाद को वापस लिया
मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज तथा उसकी ब्रितानी भागीदार बीपी पीएलसी ने गैस कीमत संशोधन में देरी को लेकर सरकार के खिलाफ जारी कानूनी चुनौती को वापस ले लिया है।
मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज तथा उसकी ब्रितानी भागीदार बीपी पीएलसी ने गैस कीमत संशोधन में देरी को लेकर सरकार के खिलाफ जारी कानूनी चुनौती को वापस ले लिया है। यह चुनौती तीन साल पहले दी गई थी। मध्यस्थता के लिये किये गये मुकदमे को वापस लिए जाने से अब इन दोनों कंपनियों को नये गहरे क्षेत्रों से उत्पादित प्राकृतिक गैस की विपणन व कीमत तय करने की आजादी होगी। इसमें वह गैस है जिसका उत्पादन 2022 तक 40,000 करोड़ रुपए के निवेश से शुरू किया जाना है।
सूत्रों ने कहा कि दोनों कंपनियों ने इस अंतरराष्ट्रीय पंचाट वाद को वापस लेने की प्रक्रिया 15 जून को अंबानी व बीपी के सीईओ बॉब डुडले की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात से पहले ही शुरू की थी। इसे कुछ ही दिन में पूरा कर लिया गया। प्रधानमंत्री से मुलाकात के दिन ही अंबानी व डुडले ने एक संवाददाता सम्मेलन में अपने केजी डी6 ब्लाक में निवेश चक्र आठ साल के बाद फिर शुरू करने की घोषणा की और कहा कि कंपनियां गहरे समुद्र में खोजों के तीन सैट के विकास में 40000 करोड़ रुपए निवेश करेंगी।
उल्लेखनीय है कि डुडले ने जनवरी 2015 में मोदी के साथ अपनी पिछली मुलाकात में गैस कीमत में स्वतंत्रता की सुविधा दुरूह क्षेत्रों में अविकसित गैस क्षेत्रों को भी देने का पक्ष लिया था। सरकार ने इस पर सहमति जताई और शर्त रखी की कंपनियां सरकार की गैस कीमत नीति को चुनौती देने वाले किसी भी पंचाट वाद या कानूनी चुनौती को वापस लेंगी। आरआईएल ने इसको लेकर कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई जबकि बीपी ने अपनी मंशा 10 मार्च 2016 के फैसले के कुछ ही दिन में जता दी थी। कंपनी के प्रवक्ता ने आज पुष्टि की कि कानूनी चुनौती वापस ले ली गई है। उल्लेखनीय है कि आरआईएल केजी डी6 ब्लाक की परिचालक है। इसमें उसकी 60 प्रतिशत जबकि बीपी की 30 प्रतिशत हिस्सेदारी है। दस प्रतिशत हिस्सेदारी निको कनाडा के पास है।
अन्य न्यूज़