एअर इंडिया को खरीदने में लोगों की काफी दिलचस्पी, दुनिया भर से आ रहे हैं फोन: विमानन मंत्री
विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि लोगों की एअर इंडिया के अधिग्रहण में काफी रूचि है और उनके पास इस संबंध में जानकारी लेने के लिये दुनिया भर से फोन आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि राष्ट्रीय एयरलाइन का पूरी तरह निजीकरण होना चाहिए और हमें कम-से-कम समय में इसका सबसे बेहतर सौदा करना होगा। यह नकदी संकट से जूझ रहे एअर इंडिया के निजीकरण की मोदी सरकार की दूसरी कोशिश है।
नयी दिल्ली। विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि लोगों की एअर इंडिया के अधिग्रहण में काफी रूचि है और उनके पास इस संबंध में जानकारी लेने के लिये दुनिया भर से फोन आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि राष्ट्रीय एयरलाइन का पूरी तरह निजीकरण होना चाहिए और हमें कम-से-कम समय में इसका सबसे बेहतर सौदा करना होगा। यह नकदी संकट से जूझ रहे एअर इंडिया के निजीकरण की मोदी सरकार की दूसरी कोशिश है। इससे पहले 2018 में 76 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की सरकार की कोशिश नाकाम रही थी।
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नागर विमानन मंत्रालय कवर करने वाले पत्रकारों के लिए आयोजित कार्यशाला के बाद मंत्री ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, क्या लोगों को एअर इंडिया के अधिग्रहण में दिलचस्पी है? मैं कहूंगा -हां। बहुत अधिक। वे इसे क्यों खरीदना चाहते हैं?इसलिए क्योंकि यह प्रथम श्रेणी की एयरलाइन है और इसे अधिग्रहण करने वाला बहुत खुशकिस्मत होगा, वह इसे निजी क्षेत्र के सिद्धांतों के हिसाब से चला पाएगा।
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मंत्री ने बृहस्पतिवार को कहा, अभिरुचि पत्र जारी किये जाने के बाद औपचारिक तौर पर दिलचस्पी दिखानी होगी। बहुत से लोग प्रदीप (खारोला) एवं अश्विनी (लोहानी) के पास आते हैं और मुझे दुनियाभर से फोन आ रहे हैं। प्रदीप सिंह खारोला नागर विमानन मंत्रालय में सचिव हैं जबकि अश्विनी लोहानी एअर इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक हैं।
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सरकार एयर इंडिया को खरीदने के लिये इच्छुक निवेशकों से अक्टूबर में रुचि पत्र आमंत्रित करेगी। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि इसका पूरी तरह से निजीकरण किया जायेगा। हमें बेहतर सौदा करना हैं। हमें यह काम कम से कम समय में करना है। हम इसमें किसी तरह की पुरानी बातों को नहीं दोहरायेंगे, तब हम ऐसी स्थिति में पड़ गये थे जिसमें हमें 24 प्रतिशत वापस रखना पड़ता। एयर इंडिया को 2018- 19 को 7,600 करोड़ रुपये घाटा हुआ था। वर्ष की समाप्ति पर कंपनी पर 58,300 करोड़ रुपये का कर्ज बोझ था।
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