एनबीसीसी पूरी करेगी आम्रपाली की अधूरी परियोजनाएं, DRT बेचेगी संपत्तियां
उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को सरकारी क्षेत्र की निर्माण कंपनी एनबीसीसी को आम्रपाली समूह की अधूरी पड़ी परियोजनाएं पूरी करने की जिम्मेदारी सौंप दी।
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को सरकारी क्षेत्र की निर्माण कंपनी एनबीसीसी को आम्रपाली समूह की अधूरी पड़ी परियोजनाएं पूरी करने की जिम्मेदारी सौंप दी। न्यायालय ने इसके साथ ही ऋण वसूली न्यायाधिकरण को निर्देश दिया है कि वह आम्रपाली की कर्जमुक्त संपत्तियों की नीलामी करे। उच्चतम न्यायालय ने एक एस्क्रो खाता भी खोलने को कहा है जिसमें आम्रपाली समूह की संपत्तियों की बिक्री से मिला धन जमा किया जाएगा और इसमें से ही एनबीसीसी को निर्माण शुरू करने के लिए भुगतान किया जाएगा।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और यू यू ललित की पीठ ने इस मामले में जोतिंद्र स्टील समेत सभी 46 कंपनियों की 2008 के बाद की बैलेंस शीट, बैंक खाते एवं कागजात फोरेंसिक लेखा-परीक्षकों को देने के भी निर्देश दिए हैं। न्यायालय ने कहा, ‘‘एनबीसीसी को परियोजनाएं पूरी करने तथा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के लिए नियुक्त किया जाता है। कंपनी इन परियोजनाओं को कर्ज देने के इच्छुक बैंकों के समूह की भी तलाश कर सकती है।’’
न्यायालय ने एनबीसीसी को सवाधान करते हुए कहा, ‘‘एक बार हमने परियोजनाओं की जिम्मेदारी आपको दे दी, आप उन्हें पूरा करने से पीछे नहीं हट सकते। हम आपको इनके साथ बांध देंगे।’’अदालत ने आम्रपाली समूह को भी अटकी परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए बैंकों, हुडको और अन्य वित्तीय संस्थाओं से बात करने की आजादी दी है।
न्यायालय ने इस बात का भी उल्लेख किया है कि बिना बिकी पड़ी सम्पत्तियों को बेच कर भी 1590 करोड़ रुपए जुटाए जा सकते हैं। न्यायालय ने कहा, ‘‘ऋण वसूली न्यायाधिकरण के अधिकारी धर्मेन्द्र सिंह राठोड़ को वाणिज्यक संपत्तियों की सूची में शामिल संपत्तियों की बिक्री का काम दिया गया है।’’
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