टेलीकॉम संकट पर निर्मला सीतारमण ने कहा- दूरसंचार कंपनियों को डूबने नहीं दिया जाएगा
सीतारमण ने कहा कि हम नहीं चाहते कोई भी कंपनी अपना परिचालन बंद करे। हम चाहते हैं चाहे किसी भी क्षेत्र की कंपनी हो, वह आगे बढ़े। सिर्फ दूरसंचार क्षेत्र ही नहीं, बल्कि हर क्षेत्र में सभी कंपनियां कारोबार करने में सक्षम हों। अपने बाजार में ग्राहकों को सेवाएं दें और कारोबार में बनी रहें।
नयी दिल्ली। सरकार दूरसंचार क्षेत्र की चिंताओं को लेकर गंभीर है और वह चाहती है कि क्षेत्र की किसी भी कंपनी को कारोबार बंद नहीं करना पड़े और सभी कंपनियां आगे बढ़ें। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार शाम को सरकार की इस मंशा से अवगत कराया। उल्लेखनीय है कि दूरसंचार क्षेत्र में समायोजित सकल राजस्व (एजीआर)के मामले में उच्चतम न्यायालय के हाल के निर्णय के बाद कंपनियों पर पुराने सांविधिक बकाये के भुगतान का दबाव बढ़ गया है। इस पुराने बकाये के चलते निजी क्षेत्र की वोडाफोन आइडिया लिमिटेड और भारतीय एयरटेल का दूसरी तिमाही घाटा बढ़कर कुल 74,000 करोड से ऊपर पहुंच गया।
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सीतारमण ने कहा कि हम नहीं चाहते कोई भी कंपनी अपना परिचालन बंद करे। हम चाहते हैं चाहे किसी भी क्षेत्र की कंपनी हो, वह आगे बढ़े। सिर्फ दूरसंचार क्षेत्र ही नहीं, बल्कि हर क्षेत्र में सभी कंपनियां कारोबार करने में सक्षम हों। अपने बाजार में ग्राहकों को सेवाएं दें और कारोबार में बनी रहें। इसी धारणा के साथ वित्त मंत्रालय हमेशा बातचीत करता रहता है और दूरसंचार उद्योग के लिए भी हमारा यही दृष्टिकोण है।
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दूरसंचार क्षेत्र की कंपनियों वोडाफोन आइडिया और एयरटेल ने बृहस्पतिवार को जारी अपने दूसरी तिमाही के परिणामों में भारी घाटा दिखाया है। पिछले महीने न्यायालय ने दूरसंचार कंपनियों के एजीआर की सरकार द्वारा तय परिभाषा को सही माना था। इसके तहत कंपनियों की दूरसंचार सेवाओं से इतर कारोबार से प्राप्त आय को भी उनकी समायोजित सकल आय का हिस्सा मान लिया गया है। एजीआर पर न्यायालय के फैसले के बाद वोडाफोन-आइडिया, एयरटेल और अन्य दूरसंचार सेवा प्रदाताओं पर सरकार की कुल 1.4 लाख करोड़ रुपये की पुरानी सांविधिक देनदारी बनती है।
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न्यायालय का निर्णय आने के कुछ दिन के भीतर ही सरकार ने कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की समिति गठित की है। इसे दूरसंचार उद्योग पर वित्तीय दबाव से निपटने के उपाय सुझाने के लिए कहा गया है। सीतारमण ने कहा कि सरकार उन सभी लोगों की चिंताओं का समाधान करना चाहती है जो न्यायालय के निर्णय के बाद भारी संकट से गुजर रहे हैं और जिन्होंने सरकार से संपर्क किया है। उन्होंने कहा कि हम इस बात को लेकर भी सचेत हैं कि उच्चतम न्यायालय ने हमारे पक्ष में आदेश दिया है और ऐसे में दूरसंचार क्षेत्र की चिंताओं पर भी विचार किया जाना है। इसलिए इस संबंध में सरकार की वित्तीय स्थिति और फैसले के दूरसंचार उद्योग के लिए निहितार्थों को समझकर निर्णय लेना होगा।
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सचिवों की समिति के बारे में सीतारमण ने कहा कि अभी उसका अंतिम फैसला लेना बाकी है। उन्होंने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र पर बकाया को लेकर किसी भी बैंक ने वित्त मंत्रालय को अपनी चिंता जाहिर नहीं की है। उल्लेखनीय है कि वोडाफोन ने जहां दूसरी तिमाही में 50 हजार करोड़ रुपये का कारपोरेट इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा तिमाही घाटा दिखाया है, वहीं एयरटेल ने इस दौरान 23 हजार करोड़ रुपये से अधिक का तिमाही घाटा बताया है।
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