राजनीतिक व्यक्तियों को होगी Loan लेने में आसानी, RBI ने KYC नियमों में किया बदलाव

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पीईपी से संबंधित पुराने मानदंड में स्पष्टता की कमी होने से बैंक अधिकारियों, सांसदों और अन्य लोगों को कई बार मुश्किलों का सामना करना पड़ा। कई बार पीईपी के लिए कर्ज जुटाना या बैंक खाते खोलना मुश्किल हो रहा था। इस समस्या को देखते हुए आरबीआई ने राजनीतिक रूप से संबद्ध लोगों के लिए केवाईसी मानक संशोधित किए हैं।

मुंबई, पांच जनवरी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपने मानदंडों के तहत राजनीतिक रूप से संबद्ध व्यक्तियों (पीईपी) की परिको बदल दिया है। इससे उन्हें कर्ज लेने समेत बैंक से जुड़े विभिन्न लेनदेन करने में सहूलियत होगी। इसके लिए आरबीआई के अपने ग्राहक को जानो (केवाईसी) नियमों में कुछ बदलाव किए गए हैं।

पीईपी से संबंधित पुराने मानदंड में स्पष्टता की कमी होने से बैंक अधिकारियों, सांसदों और अन्य लोगों को कई बार मुश्किलों का सामना करना पड़ा। कई बार पीईपी के लिए कर्ज जुटाना या बैंक खाते खोलना मुश्किल हो रहा था। इस समस्या को देखते हुए आरबीआई ने राजनीतिक रूप से संबद्ध लोगों के लिए केवाईसी मानक संशोधित किए हैं।

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संशोधित केवाईसी निर्देशों के तहत पीईपी ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें किसी दूसरे देश ने प्रमुख सार्वजनिक कार्यों की जिम्मेदारी सौंपी है। इनमें राज्यों/ सरकारों के प्रमुख, वरिष्ठ राजनेता, वरिष्ठ सरकारी या न्यायिक या सैन्य अधिकारी, सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारी और महत्वपूर्ण राजनीतिक दलों के अधिकारी भी शामिल हैं। नए नियमों में उस व्यक्ति को भी शामिल किया गया है जिसे किसी विदेशी देश ने सार्वजनिक समारोह की जिम्मेदारी सौंपी है।

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पीईपी के बैंक खातों में मौजूदा प्रावधानों के तहत अतिरिक्त केवाईसी मानदंड हैं और एक वरिष्ठ बैंक अधिकारी को इस बारे में विशेष सावधानी बरतनी पड़ती है। आरबीआई ने 25 फरवरी, 2016 को जारी एक परिपत्र में केवाईसी मानदंडों में शामिल एक उप-खंड को हटा दिया है। केंद्रीय बैंक ने बैंकों और अन्य वित्तीय सेवाओं के चेयरमैन एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारियों से इन बदलावों को तत्काल लागू करने के लिए कहा है। पिछले साल केंद्र सरकार ने रिपोर्टिंग संस्थाओं द्वारा गैर-सरकारी संगठनों के बारे में अधिक जानकारी देने के लिए धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) में संशोधन किया था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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