दिवाला कानून: सरकार ने विभिन्न मुद्दों की पहचान के लिये 14 सदस्यीय समिति बनाई

Insolvency law: Government sets up 14-member panel to identify issues

दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता कानून के तहत मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुये सरकार ने कानून के अमल में आ रही दिक्कतों को दूर करने और विभिन्न मुद्दों की पहचान करने के लिये 14 सदस्यीय समिति गठित की है।

नयी दिल्ली। दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता कानून के तहत मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुये सरकार ने कानून के अमल में आ रही दिक्कतों को दूर करने और विभिन्न मुद्दों की पहचान करने के लिये 14 सदस्यीय समिति गठित की है। आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार कार्पोरेट कार्य मंत्रालय में सचिव इंजेती श्रीनिवास की अध्यक्षता वाली दिवाला कानून समिति इस कानून के क्रियान्वयन में आ रही दिक्कतों पर गौर करेगी और उनके समाधान के बारे में भी अपनी सिफारिशें देगी।

सरकार की तरफ से यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब इस कानून के तहत विभिन्न मामलों में इस बात को लेकर चिंता जताई जा रही है कि दिवाला मामलों में फंसी संपत्ति के मालिक प्रक्रिया के तहत फिर से संपत्ति का नियंत्रण लेने का प्रयास कर रहे हैं। इसको लेकर चिंता व्यक्त की गई है। समिति के सदस्यों में भारत दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता (आईबीबीआई) के चेयरमैन एम.एस. साहू, रिजर्व बैंक के कार्यकारी निदेशक सुदर्शन सेन, लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष टी.के. विश्वनाथन, एडेलवीस ग्रुप चेयरमैन एवं सीईओ राशेश शाह, शार्दुल अमरचंद मंगलदास एण्ड कंपनी के कार्यकारी चेयरमैन शार्दुल श्रॉफ और एक्सप्रो इंडिया चेयरमैन सिद्धार्थ बिड़ला शामिल हैं।

समिति के अन्य सदस्यों में एजैडबी एण्ड पार्टनर्स बहराम वकील, एसबीआई फंसी संपत्ति समाधान समूह के प्रबंध निदेशक बी. श्रीराम, वित्तीय सेवाओं के विभाग में अतिरिक्त सचिव (बैंकिंग) और कार्पोरेट कार्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव शामिल हैं। चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इंस्टीट्यूट और कंपनी सेक्रटरीज संस्थान के अध्यक्ष भी समिति का हिस्सा हैं। नेशनल कंपनी लॉ ट्राब्यूनल में 300 से अधिक मामलों को समाधान के लिये दर्ज किया गया है। कंपनी कार्य मंत्रालय के हाल के एक आदेश में कहा गया है कि समिति कंपनियों के दिवाला मामलों के समाधान में आड़े आने वाले प्रावधानों की समिति पहचान करेगी और उनके समाधान के बारे में भी सुझाव देगी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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