कृत्रिम मेधा के क्षेत्र में हो रही क्रांति की अगुवाई करे भारत: Amitabh Kant, जी-20 शेरपा

Amitabh Kant
प्रतिरूप फोटो
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अमिताभ कांत ने कहा कि मौजूदा कृत्रिम मेधा (एआई) क्रांति में भारत को न केवल भाग लेना चाहिए, बल्कि उसका नेतृत्व करना चाहिए तथा देश को वैश्विक मंच पर आगे लाने के लिए इस प्रौद्योगिकी पर जमकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में चल रही एआई क्रांति के साथ हम वास्तव एक अनूठे समय में हैं।

नयी दिल्ली । देश के जी-20 शेरपा अमिताभ कांत ने कहा कि मौजूदा कृत्रिम मेधा (एआई) क्रांति में भारत को न केवल भाग लेना चाहिए, बल्कि उसका नेतृत्व करना चाहिए तथा देश को वैश्विक मंच पर आगे लाने के लिए इस प्रौद्योगिकी पर जमकर काम करना चाहिए। उन्होंने यहां ग्लोबल-इंडिया एआई शिखर सम्मेलन में कहा, ‘‘वर्तमान में चल रही एआई क्रांति के साथ हम वास्तव एक अनूठे समय में हैं। विभिन्न क्षेत्रों में इसकी निरंतर बढ़ती क्षमताएं, नागरिकों में इसकी बढ़ती स्वीकार्यता और सबसे महत्वपूर्ण उद्योग और समाज के ढांचे को फिर से परिभाषित करने की इसकी क्षमता इसे एक बदलावकारी युग के रूप में चिह्नित करती है।’’ 

नीति आयोग के पूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) कांत ने उद्योग संगठन नैसकॉम का हवाला देते हुए कहा कि 70 प्रतिशत भारतीय स्टार्टअप अपने विकास को गति देने के लिए एआई को प्राथमिकता दे रहे हैं। यह स्टार्टअप परिवेश में एआई की महत्वपूर्ण भूमिका को बताता है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम इस क्रांति को स्वीकार करते हैं, तो हमारे सामने सवाल केवल यह नहीं है कि हम कैसे भाग ले सकते हैं, बल्कि यह भी है कि हम दुनिया का नेतृत्व कैसे कर सकते हैं। यह हमारा अवसर है और वास्तव में हमारी जिम्मेदारी है कि हम भारतीय कंपनियों को वैश्विक मंच पर सबसे आगे लाने के लिए इस महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी का उपयोग करें।’’ 

कांत ने कहा, ‘‘...जिस तरह पहली औद्योगिक क्रांति ने भाप इंजन की शुरुआत के साथ विभिन्न उद्योगों को जन्म दिया, उसी तरह एआई में भारत में कई क्षेत्रों में क्रांति लाने की क्षमता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘स्वास्थ्य सेवा, लॉजिस्टिक, कृषि और दैनिक उपयोग का सामान बनाने (एफएमसीजी) जैसे क्षेत्रों में एआई... बिजली उद्योग के मूलभूत ढांचे को तैयार करने के समान है।’’ सरकार के अगले डेढ़ से दो साल के भीतर 10,000 जीपीयू (ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट) की खरीद के बारे में कांत ने कहा कि यह एक रणनीतिक निवेश है। इससे भारत की प्रसंस्करण क्षमता को उल्लेखनीय रूप से बढ़ावा मिलेगा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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