कॉरपोरेट कर में कमी से भारत निवेश की और बहुत अच्छी जगह बन गया है: RBI गवर्नर
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर पांच प्रतिशत रही। यह छह साल की न्यूतनम तिमाही वृद्धि है। कॉरपोरेट कर कटौती से सरकारी खजाने पर करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपये का असर पड़ने का अनुमान है।
नई दिल्ली। कॉरपोरेट कर में कमी करने के हाल के निर्णय को सरकार का एक साहसिक कदम बताते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मंगलवार को कहा कि इससे भारत विदेशी निवेश के लिए ‘बहुत आकर्षक स्थल ’ बन गया है।कर में पिछले 28 वर्ष की सबसे बड़ी कटौती करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कॉरपोरेट कर की प्रभावी दर में करीब करीब 10 प्रतिशत की कटौती की घोषणा की। यह निर्णय अर्थव्यवस्था को नरमी के वर्तमान दौर से उबारने के लिए एक बाद एक कई प्रोत्साहन पैकेज की घोषणाओं के बीच किया गया है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर पांच प्रतिशत रही। यह छह साल की न्यूतनम तिमाही वृद्धि है। कॉरपोरेट कर कटौती से सरकारी खजाने पर करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपये का असर पड़ने का अनुमान है।
Reserve Bank of India (RBI) Governor, Shaktikanta Das:
— ANI (@ANI) September 24, 2019
So far as international investors are concerned, so far as FDI is concerned, I think India stands definitely in a very competitive position, and should be able to attract higher investments. 2/3 https://t.co/WoDrh76Qy2 pic.twitter.com/MFyIZQFr5f
राजधानी में वित्त मंत्री सीतारमण के साथ मुलाकात के बाद गवर्नर दास ने कहा, ‘यह बहुत साहसिक और सकारात्मक कदम है। जहां तक अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का सवाल है तो भारत में कॉरपोरेट कर की दरें आसियान और एशिया के अन्य हिस्सों के उभरते बाजारों के मुकाबले बहुत प्रतिस्पर्धापूर्ण हो गयी हैं। मेरी राय में आज भारत प्रतिस्पर्धा के बीच बहुत मजबूत स्थिति में पहुंच गया है। इससे और अधिक निवेश आकर्षित होगा।’ घरेलू निवेश के बारे में उन्होंने कहा कि कंपनियों के पास अब पूंजीगत निवेश बढ़ाने के लिए पहले से अधिक पैसा बचेगा। बचत होने पर कुछ कंपनियां निवेश बढ़ाएंगी और कुछ अपना कर्ज घटा सकती हैं। इससे उनकी ‘बैलेंसशीट’ सुधरेगी।दास ने कहा कि वित्त मंत्री के साथ उनकी यह मुलाकात मौद्रिक नीति समीक्षा से पहले की एक परंपरागत भेंट थी। उन्होंने कहा , ‘इस तरह की मुलाकात की परंपरा बहुत पुरानी है। इसमें देश के वृहद आर्थिक परिदृश्य पर चर्चा होती है।’
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की तीन दिन की समीक्षा बैठक एक अक्टूबर को शुरू हो रही है। समीक्षा की घोषणा चार अक्टूबर को होगी। उम्मीद है कि रिजर्व बैंक आर्थिक नरमी को दूर करने के लिए नीतिगत ब्याज दर में और कटौती कर सकता है। इस साल रिजर्व बैंक चार बार में अपनी नीतिगत दर ‘रेपो’ कुल मिलाकर 1.10 प्रतिशत घटा चुका है ताकि कर्ज सस्ता कर निवेश तथा उपभोग की मांग को बढ़ाया जा सके और आर्थिक गतिविधियों में सुधार लाने में मदद मिले। दास ने कहा,‘आज हम देख रहे हैं कि कीमतें स्थिर हैं। मुद्रास्फीति चार प्रतिशत से काफी नीचे है। हमें उम्मीद है कि अगले 12 महीनों तक मुद्रास्फीति नीचे बनी रहेगी। ऐसे में, विशेष रूप से ऐसे समय जबकि वृद्धि नरम पड़ गयी है, नीतिगत दर में और कमी की कुछ गुंजाइश है। ’ लेकिन उन्होंने चालू वित्त वर्ष की वृद्धि को लेकर रिजर्व बैंक के अनुमान के बारे में कुछ बोलने से मना किया। उन्होंने कहा कि इस बारे में जो कुछ भी कहना है, चार अक्टूबर को मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा के साथ ही सार्वजनिक किया जाएगा।’
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