IMF ने कोरोना वायरस महामारी से निपटने में भारत के नीतिगत कदमों की सराहना की
आइएमएफ ने कोरोना वायरस महामारी से निपटने में भारत के नीतिगत कदमों की सराहना की है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के एशिया प्रशांत विभाग के निदेशक चांग योंग री ने कहा कि आईएमएफ वित्तीय स्थिरता ओर भारतीय अर्थव्यवस्था को महामारी से बाहर निकलने में मदद के लिये रिजर्व बैंक के नीतिगत पहल का भी समर्थन करता है।
वाशिंगटन। आईएमएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कोरोना वायरस महमारी को लेकर भारत के वित्तीय प्रोत्साहन और ‘लॉकडाउन’ (बंद) समेत नीतिगत कदमों की सराहना की है। उन्होंने यह भी कहा कि इस अप्रत्याशित संकट ने देश में स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की जरूरतको रेखांकित किया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के एशिया प्रशांत विभाग के निदेशक चांग योंग री ने कहा कि आईएमएफ वित्तीय स्थिरता ओर भारतीय अर्थव्यवस्था को महामारी से बाहर निकलने में मदद के लिये रिजर्व बैंक के नीतिगत पहल का भी समर्थन करता है। भारत में कोरोना वायरस संक्रमित मामलों की संख्या 12,380 पहुंच गयी है जबकि 414 लोगों की मौत हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘हम महामारी की रोकथाम के लिये देशव्यापी बंद और उसके प्रभाव से बचाव के लिये वित्तीय पैकेज समेत अन्य नीतिगत कदमों का पुरजोर समर्थन करते हैं।’’
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री ने कहा, ‘‘नीतिगत दर में कमी के साथ नकदी बढ़ाने के नियामकीय उपायों से कर्ज लेने वालों और वित्तीय संस्थानों को कुछ राहत मिलेगी’’ उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 26 मार्च को 1.70 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की। इसमें गरीबों और जरूरतमंदों को मुफ्त राशन के साथ रसोई गैस सिलेंडर उपलब्ध कराना शामिल हैं। सरकार ने संक्रमण रोकने के लिये बंद की मियाद बढ़ाकर 3 मई कर दी है। री ने कहा कि सरकार के लिये तत्काल प्राथमिकता दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश के लोगों की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिये हर जरूरी कदम उठाने की है। आईएमएफ के निदेशक ने कहा, ‘‘ मध्यम अवधि में समावेशी और भरोसेमंद वृद्धि हासिल करने के लिये व्यापक संरचनात्मक सुधारों को आगे बढ़ाने की जरूरत है। इस महामारी ने स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की जरूरत को रेखांकित किया है। यह निर्धारित करना महत्वपूर्ण है कि चिकित्सा उपकरणों के लिये खर्च हो, डाक्टर और नर्स को पर्याप्त पारितोषिक मिले।
साथ ही यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि प्रभावी तरीके से काम करने के लिये अस्पताल और अस्थायी क्लिनिक पर्याप्त हों।’’ री ने यह भी कहा कि कंपनियों तथा कम आय वाले परिवार के समर्थन के लिये अतिरिक्त प्रोत्साहन की गुंजाइश है। उन्होंने कहा, ‘‘कोरोना वायरस का आर्थिक प्रभाव और संबद्ध नीतिगत उपायों के व्यापक होने की संभावना है लेकिन वायरस संक्रमण काबू में आने के बाद पुनरूद्धार लंबे समय तक कायम रहना चाहिए।’’ कोरोना वायरस के भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव के बारे मेंपूछे जाने पर री ने कहा कि मांग पक्ष के अधार पर प्रमुख कारोबार भागीदारों की तरफ से बाह्य मांग कमजोर, पर्यटन में कमी और वैश्विक वत्तीय झटकों से वृद्धि प्रभावित होगी। इन सबसे घरेलू वित्तीय स्थिति तंग होगी। तेल के दाम में नरमी और राजकोषीय, मौद्रिक तथा अन्य वित्तीय कदमों से कुछ राहत मिलने की उम्मीद है।’’ उन्होंने कहा कि आपूर्ति पक्ष की तरफ से देखा जाए तो सेवा, विनिर्माण और निर्माण क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। री ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष कई बाहरी और आंतरिक चुनौतियां और जोखिम हैं। बाह्य चुनौतियों में लंबे समय तक जारी रहने वाली नरमी और बड़े स्तर पर पूंजी निकासी है। इससे घरेलू वित्तीय क्षेत्र पर दबाव पड़ेगा और कंपनियों के लिये विदेशों से कर्ज लेना कठिन होगा।
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वहीं घरेलू जोखिम महामारी को लेकर अनिश्चितता और इसे काबू में करने को लेकर जारी उपायों की प्रभावित तथा स्वास्थ्य के क्षेत्र में नीतिगत पहल से जुड़े हैं। री ने कहा कि अगर संक्रमित लोगों की संख्या बड़े पैमाने पर बढ़ती है तो बंद की अवधि बढ़ेगी। इससे कइयों जीवन पर प्रतिकूल असर होगा। खासकर इससे वंचित तबकों पर बुरा असर पड़ेगा। स्वास्थ्य प्रणाली पर असर होगा और बेरोजगारी बढ़ेगी तथा वृद्धि कमजोर होगी। उन्होंने कहा कि व्यापक संरचनात्मक सुधारों से और समावेशी तथा मध्यम अवधि मेंसतत वृद्धि दर हासिल करने में मदद मिलेगी। प्राथमिकताओं में बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश, भूमि, उत्पाद बाजार, श्रम और अन्य सुधार शामिल हैं।
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