आईबीबीआई के प्रमुख ने कहा, दिवाला कानून में संशोधन से कंपनियों को राहत मिलेगी
आईबीबीआई के चेयरमैन एम एस साहू ने कहा कि इससे कंपनियों को अपने कारोबार को नए माहौल के अनुकूल ढालने में मदद मिलेगी। कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन से आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुईं। इसके बीच सरकार ने शुक्रवार को दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता में संशोधन के लिए अध्यादेश जारी किया है।
नयी दिल्ली। भारतीय दिवाला एवं शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई)ने शुक्रवार को कहा कि कोरोना वायरस की वजह से कर्ज चूक के नए मामलों में दिवाला कार्रवाई पर कम से कम छह माह की रोक के फैसले से कंपनियों को राहत की सांस मिलेगी। आईबीबीआई के चेयरमैन एम एस साहू ने कहा कि इससे कंपनियों को अपने कारोबार को नए माहौल के अनुकूल ढालने में मदद मिलेगी। कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन से आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुईं। इसके बीच सरकार ने शुक्रवार को दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता में संशोधन के लिए अध्यादेश जारी किया है।
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इसके तहत सरकार 25 मार्च से एक साल तक के लिए दिवाला कार्रवाई के तहत नए मामले दर्ज करने में रोक लग गई है। इसकी अवधि के बारे में फैसला सरकार को करना है। लॉकडाउन की शुरुआत 25 मार्च से हुई है। यदि यह छह माह या अधिक समय (एक साल तक)जारी रहता है तो इससे यह कहानी और आगे बढ़ेगी। यह अध्यादेश इस तरह की कर्ज चूक को संहिता के दायरे से हटाता है। साहू ने कहा कि इस अध्यादेश में इस तरह की चूक को संहिता के दायरे से बाहर किया गया है। उन्होंने कहा कि इसका मतबल है कि इस तरह का डिफॉल्ट किसी भी समय दिवाला कार्रवाई शुरू करने का आधार नहीं हो सकता।
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