आरबीआई के ताजा फैसलों से आपकी जेब पर क्या असर पड़ने वाला है?
आरबीआई के फैसलों की बड़ी बातों का जिक्र करें तो आपको बता दें कि बढ़ती महंगाई को काबू में लाने के लिये प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 4.9 प्रतिशत कर दिया गया है। आरबीआई के इस कदम से कर्ज महंगा होगा और कर्ज की मासिक किस्त यानी ईएमआई बढ़ेगी।
भारतीय रिजर्व बैंक का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है और वैश्विक चिंताओं से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिये बेहतर स्थिति में है। साथ ही यह भी राहत भरी खबर है कि आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिये वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। लेकिन प्रमुख नीतिगत दर रेपो में वृद्धि का जो फैसला किया गया है उससे महंगाई तो कम हो जायेगी लेकिन आपने यदि होम लोन या कार लोन लिया हुआ है तो आपकी ईएमआई फिर से बढ़ने वाली है। आरबीआई ने इसके साथ ही क्रेडिट कार्ड को यूपीआई से जोड़ने की अनुमति देने का जो फैसला किया है उससे डिजिटल भुगतान की संख्या में और तेज वृद्धि होना निश्चित है। साथ ही उन लोगों को भी बड़ी सुविधा मिलने वाली है जो बैंक अकाउंट की जगह क्रेडिट कार्ड से भुगतान करने को ज्यादा तरजीह देते हैं।
आरबीआई के फैसलों की बड़ी बातों का जिक्र करें तो आपको बता दें कि बढ़ती महंगाई को काबू में लाने के लिये प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 4.9 प्रतिशत कर दिया गया है। आरबीआई के इस कदम से कर्ज महंगा होगा और कर्ज की मासिक किस्त यानी ईएमआई बढ़ेगी। हम आपको याद दिला दें कि इससे पहले, चार मई को आरबीआई ने अचानक से रेपो दर में 0.4 प्रतिशत की वृद्धि की थी जिसके बाद लगभग सभी बैंकों ने कर्ज की ईएमआई बढ़ा दी थी। अब आरबीआई के आज के फैसले के बाद ईएमआई में फिर से वृद्धि हो जायेगी।
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हम आपको बता दें कि आरबीआई मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई दर को ध्यान में रखता है। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए अपने मुद्रास्फीति के अनुमान को बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले अप्रैल में रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति के 5.7 प्रतिशत के स्तर पर रहने का अनुमान लगाया था। हम आपको बता दें कि रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत के स्तर पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। हालांकि, खुदरा मुद्रास्फीति पिछले लगातार चार माह से केंद्रीय बैंक के संतोषजनक स्तर छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। इसी के चलते रेपो दर में वृद्धि करने का कदम उठाया गया है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा भी है कि मुद्रास्फीति को लेकर जोखिम बना हुआ है। हाल के समय में टमाटर के दाम बढ़े हैं, जिससे खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ सकती है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की ऊंची कीमतों की वजह से भी मुद्रास्फीति के ऊपर जाने का जोखिम है। उन्होंने यह भी कहा कि युद्ध ने नई चुनौतियां पैदा की हैं। इससे मौजूदा आपूर्ति श्रृंखला की दिक्कतें और बढ़ी हैं, जिसके चलते दुनियाभर में खाद्य, ऊर्जा और जिंसों के दाम बढ़े हैं। उन्होंने कहा, ‘‘दुनियाभर के देश मुद्रास्फीति से जूझ रहे हैं, जो दशक के उच्चस्तर पर है। साथ ही मांग-आपूर्ति का अंतर भी बना हुआ है। युद्ध की वजह से आज मुद्रास्फीति का भी ‘वैश्वीकरण’ हुआ है यानी आज दुनियाभर में महंगाई है।
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इसके अलावा आरबीआई ने क्रेडिट कार्ड को यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) से जोड़ने की अनुमति दे दी है। इस सुविधा से और लोग इस ऐप के जरिये भुगतान कर सकेंगे। फिलहाल यूपीआई उपयोगकर्ता के डेबिट कार्ड के जरिये बचत या चालू खातों को जोड़कर भुगतान को सुगम बनाता है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि इसकी शुरुआत आरबीआई प्रवर्तित भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) द्वारा जारी रूपे क्रेडिट कार्ड से होगी। हम आपको बता दें कि यूपीआई देश में भुगतान का लोकप्रिय माध्यम बन गया है। इस मंच से करीब 26 करोड़ उपयोगकर्ता और पांच करोड़ कारोबारी जुड़े हैं।
इसके अलावा आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष (2022-23) के लिए 7.2 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को कायम रखा है। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि शहरी मांग में सुधार देखने को मिला है, जबकि ग्रामीण मांग की स्थिति भी धीरे-धीरे बेहतर हो रही है, जिसके मद्देनजर उसने वृद्धि दर के अनुमान में बदलाव नहीं किया है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है और केंद्रीय बैंक वृद्धि को समर्थन देता रहेगा। हालांकि, गवर्नर ने आगाह किया है कि रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से वृद्धि के मोर्चे पर जोखिम है। हम आपको बता दें कि विश्वबैंक ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 7.5 प्रतिशत कर दिया है। बढ़ती मुद्रास्फीति, आपूर्ति श्रृंखला की दिक्कतों और भू-राजनीतिक तनाव के मद्देनजर भारत के वृद्धि दर के अनुमान को घटाया गया है लेकिन अब आरबीआई ने आर्थिक वृद्धि दर के अपने पूर्व के अनुमान को कायम रखा है।
बहरहाल, जिस तरह से रेपो दर में दो लगातार वृद्धि हुई हैं उसको लेकर लोगों के मन में आशंका है कि कहीं तीसरी वृद्धि भी जल्द ना हो जाये। इसके बारे में आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास का कहना है कि नीतिगत दर को लेकर आने वाले समय में कदम परिस्थितियों पर निर्भर करेगा। हम आपको बता दें कि रिजर्व बैंक ने अपने नीतिगत रुख में बदलाव किया है और इसमें ‘उदार रुख बरकरार’ रखने की शब्दावली को ‘प्रोत्साहन उपाय वापस लेने’ से परिवर्तित कर दिया है। इसके अलावा क्रिप्टोकरेंसी को लेकर लोगों को लग रहा था कि शायद आरबीआई इस पर कुछ निर्णय लेगा लेकिन केंद्रीय बैंक ने अभी गेंद सरकार के पाले में डालते हुए कहा है कि वह इस मामले समेत विभिन्न मामलों में सरकार के लगातार संपर्क में है और केंद्र की तरफ से परिचर्चा पत्र जारी होने का इंतजार करेगा।
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