मूंगफली तेल तिलहन, सोयाबीन तिलहन कीमतें पिछले स्तर पर, सरसों सहित अन्य खाद्य तेल तिलहन मजबूत
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,650 रुपये प्रति क्विंटल। सीपीओ एक्स-कांडला- 8,150 रुपये प्रति क्विंटल। बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,300 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,400 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन एक्स- कांडला- 8,500 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल। सोयाबीन दाना - 5,065-5,160 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन लूज- 4,830-4,925 रुपये प्रति क्विंटल। मक्का खल (सरिस्का)- 4,015 रुपये प्रति क्विंटल।
दिल्ली बाजार में बुधवार को सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल और बिनौला तेल कीमतों में सुधार का रुख रहा जबकि मूंगफली तेल-तिलहन और सोयाबीन तिलहन कीमतें पूर्वस्तर पर बंद हुईं। बाजार सूत्रों ने कहा कि मंडियों में सरसों की आवक पिछले कारोबारी सत्र के साढ़े चार लाख बोरी से भी और घट गई है जबकि स्वतंत्रता दिवस की छुट्टी के बाद इसके बढ़ने की उम्मीद की जा रही थी। किसानों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम दाम पर नहीं बेचने की स्थिति के कारण आवक घटी है। इस वजह से सरसों तेल तिलहन में सुधार आया। उन्होंने कहा कि शिकागो एक्सचेंज में 15 अगस्त को भी तेजी थी और आज भी यहां तेजी है जिसकी वजह से सोयाबीन तेल कीमतों में भी सुधार दिखा। लेकिन सोयाबीन तिलहन के भाव सामान्य तौर पर पूर्ववत बने रहे।
इसी प्रकार, मलेशिया एक्सचेंज के भी मंगलवार और बुधवार को मजबूत रहने के कारण सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में भी सुधार आया। सूत्रों ने कहा कि बिनौले की आवक नाममात्र है और जो आवक हो भी रही है, वह गुणवत्ता में कमजोर है। आवक कमजोर रहने से बिनौला तेल कीमतों में भी सुधार आया। सरकार को बिनौले की कमजोर गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए इसके एनसीडीईएक्स में रखे स्टॉक की भी जांच करानी चाहिये क्योंकि इससे निकलने वाले खल, बेजुबान मवेशी खाते हैं। उन्होंने कहा कि सस्ते आयातित तेलों की वजह से देशी उपज में विशेषकर सरसों और सोयाबीन की खपत कम हुई और केवल जरुरतमंद किसानों ने ही थोड़ी बहुत बिकवाली की। इसका स्टॉक अभी भी किसानों के पास बचा है। दूसरी ओर, आयातित सूरजमुखी तेल आयात लागत के मुकाबले बंदरगाहों पर थोक में 4-5 प्रतिशत नीचे दाम पर बेचा गया तथा कमोबेश यही हाल सोयाबीन तेल का रहा।
पाम पामोलीन में कम नुकसान होने और बैंकों का ऋणसाख पत्र (एलसी) चलाते रहने की मजबूरी के कारण आयातकों द्वारा पाम, पामोलीन की ओर रुख करने से देश में सूरजमुखी और सोयाबीन जैसे ‘सॉफ्ट आयल’ (नरम तेल) का आयात कम होने की आशंका बन रही है। सूत्रों ने कहा कि बिनौला लगभग समाप्त हो चला है और अब बिनौले की अगली फसल आने पर ही इसकी उपलब्धता हो सकती है। स्थिति यह है कि गुजरात में भी बिनौले या मूंगफली की कमी को सूरजमुखी तेल से पूरा किया जा रहा है। बंदरगाहों पर सूरजमुखी तेल थोक में सबसे सस्ता बिक रहा है मगर अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) अधिक रखे जाने की वजह से उपभोक्ताओं को अभी भी यह तेल महंगे में खरीदना पड़ रहा है। बुधवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे: सरसों तिलहन - 5,660-5,710 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली - 7,865-7,915 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 18,850 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,735-3,020 रुपये प्रति टिन। सरसों तेल दादरी- 10,700 रुपये प्रति क्विंटल। सरसों पक्की घानी- 1,775 -1,870 रुपये प्रति टिन। सरसों कच्ची घानी- 1,775 -1,885 रुपये प्रति टिन। तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,400 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,200 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,650 रुपये प्रति क्विंटल। सीपीओ एक्स-कांडला- 8,150 रुपये प्रति क्विंटल। बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,300 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,400 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन एक्स- कांडला- 8,500 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल। सोयाबीन दाना - 5,065-5,160 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन लूज- 4,830-4,925 रुपये प्रति क्विंटल। मक्का खल (सरिस्का)- 4,015 रुपये प्रति क्विंटल।
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