आरओएससीटीएल योजना का विस्तार समय की मांग: एईपीसी का सरकार से आग्रह
उन्होंने कहा कि निर्यात को मौजूदा 16-17 अरब अमेरिकी डॉलर से 2030 तक 40 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाने के लिए लागत में कटौती, तेजी से मंजूरी, बाजार तथा उत्पाद का विस्तार, क्लस्टर-आधारित मॉडल अपनाने, निवेश लाने के लिए नवाचार पर ध्यान देने आदि की आवश्यकता है। आरओएससीटीएल योजना के तहत परिधान के लिए छूट की अधिकतम दर 6.05 प्रतिशत थी, जबकि ‘मेड-अप’ के लिए यह 8.2 प्रतिशत तक है। ‘मेड-अप’ ऐसे वस्त्र हैं जिनका निर्माण विभिन्न प्रकार के उपयोगी उत्पादों जैसे कैनवास बैग, कालीन, टेपेस्ट्री, तकिया कवर, रसोई लिनेन और अन्य शिल्प वस्तुओं आदि में किया जाता है।
परिधान निर्यातकों की शीर्ष संस्था एईपीसी ने सरकार से आरओएससीटीएल योजना का विस्तार करने का बृहस्पतिवार को आग्रह किया और कहा कि मौजूदा वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं को देखते हुए यह अत्यंत आवश्यक है। परिधान निर्यात संवर्धन परिषद (एईपीसी) के अनुसार, बाजार ‘‘सर्वकालिक’’ निचले स्तर पर है और अमेरिका तथा यूरोपीय संघ (ईयू) के पारंपरिक बाजार मंदी से प्रभावित हैं। एईपीसी के चेयरमैन नरेन्द्र गोयनका ने बयान में कहा कि इस स्थिति को देखते हुए ‘‘इस योजना आरओएससीटीएल (राज्य तथा केंद्रीय करों एवं शुल्क की छूट) को 31 मार्च 2024 से आगे बढ़ाना बेहद आवश्यक है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ इस योजना (आरओएससीटीएल) ने परिधान उद्योग को प्रतिस्पर्धी बने रहने के साथ-साथ व्यवसाय संबंधि योजना तैयार करने में काफी मदद की है।’’ उन्होंने उद्योग जगत से नवप्रवर्तन तथा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आकर्षित करने पर ध्यान केंद्रित करने को भी कहा। गोयनका ने कहा, ‘‘ वर्तमान में परिधान उद्योग को बहुत कम एफडीआई मिलता है, जबकि परिधान क्षेत्र में स्वचालित मार्ग के तहत 100 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति है।’’
उन्होंने कहा कि निर्यात को मौजूदा 16-17 अरब अमेरिकी डॉलर से 2030 तक 40 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाने के लिए लागत में कटौती, तेजी से मंजूरी, बाजार तथा उत्पाद का विस्तार, क्लस्टर-आधारित मॉडल अपनाने, निवेश लाने के लिए नवाचार पर ध्यान देने आदि की आवश्यकता है। आरओएससीटीएल योजना के तहत परिधान के लिए छूट की अधिकतम दर 6.05 प्रतिशत थी, जबकि ‘मेड-अप’ के लिए यह 8.2 प्रतिशत तक है। ‘मेड-अप’ ऐसे वस्त्र हैं जिनका निर्माण विभिन्न प्रकार के उपयोगी उत्पादों जैसे कैनवास बैग, कालीन, टेपेस्ट्री, तकिया कवर, रसोई लिनेन और अन्य शिल्प वस्तुओं आदि में किया जाता है।
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