Jammu and Kashmir में 8,000 हेक्टेयर में मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने का प्रयास
इस साल फरवरी में प्रशासन ने इस केंद्र शासित प्रदेश में मोटे अनाज के उत्पादन और खपत को बढ़ाने के अलावा पोषक अनाज को बढ़ावा देने के लिए 15 करोड़ रुपये की परियोजना को भी मंजूरी दी थी। अधिकारियों ने कहा कि इस परियोजना का उद्देश्य लगभग 8,000 हेक्टेयर भूमि में पारंपरिक मोटे अनाज खेती को पुनर्जीवित करना और प्रति हेक्टेयर उत्पादकता को 10 से बढ़ाकर 20 क्विंटल तक दोगुना करना है।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने केंद्र शासित प्रदेश में 8,000 हेक्टेयर भूमि पर पारंपरिक मोटे अनाज की फसलों की खेती को पुनर्जीवित करने का लक्ष्य रखा है। यह प्रक्रिया जम्मू क्षेत्र के 10 जिलों में किसानों को 100 प्रतिशत सब्सिडी के साथ मोटे अनाज की सात किस्मों के बीज उपलब्ध कराकर शुरू की जाएगी। इस साल फरवरी में प्रशासन ने इस केंद्र शासित प्रदेश में मोटे अनाज के उत्पादन और खपत को बढ़ाने के अलावा पोषक अनाज को बढ़ावा देने के लिए 15 करोड़ रुपये की परियोजना को भी मंजूरी दी थी। अधिकारियों ने कहा कि इस परियोजना का उद्देश्य लगभग 8,000 हेक्टेयर भूमि में पारंपरिक मोटे अनाज खेती को पुनर्जीवित करना और प्रति हेक्टेयर उत्पादकता को 10 से बढ़ाकर 20 क्विंटल तक दोगुना करना है।
कृषि उत्पादन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने कहा कि तीन साल की अवधि में लागू की जाने वाली परियोजना का उद्देश्य मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देना, उनका मूल्यवर्धन करना और किसानों के लिए उद्यमशीलता के अवसर पैदा करना है। परियोजना के हिस्से के रूप में कृषि विभाग ने मोटा अनाज उगाने के लिए 1,400 हेक्टेयर क्षेत्र निर्धारित किया है और किसानों को 100 प्रतिशत सब्सिडी के साथ बीज उपलब्ध कराया जा रहा है। कृषि (लागत) विभाग के संयुक्त निदेशक, ए एस रीन ने पीटीआई-को बताया, ‘‘2023 मोटे अनाज का अंतरराष्ट्रीय वर्ष है।
जम्मू संभाग के 10 जिलों में कृषि विभाग ने मोटे अनाज के उत्पादन के लिए 1,400 हेक्टेयर क्षेत्र निर्धारित किया है। हमारे पास मोटे अनाज की सात अलग-अलग किस्में हैं। हम किसानों को लगभग 100 प्रतिशत सब्सिडी पर बीज उपलब्ध कराने जा रहे हैं।’’ रीन ने कहा कि अगर कोई किसान छोटा प्रसंस्करण संयंत्र शुरू करना चाहता है, तो सरकार चार से 5.25 लाख रुपये की सब्सिडी प्रदान कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘हम मोटे अनाज वाले रेस्तरां को भी बढ़ावा दे रहे हैं और मोटा अनाज आधारित भोजन पेश करने के लिए उन्हें दो लाख रुपये की सब्सिडी प्रदान कर रहे हैं।’’
मोटा अनाज को जलवायु परिवर्तन के प्रति सहिष्णुपन के कारण ‘‘चमत्कारिक अनाज’’ या ‘‘भविष्य की फसल’’ के रूप में जाना जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भारत सरकार के एक अनुरोध के बाद मोटे अनाज के स्वास्थ्य लाभ और टिकाऊ उत्पादन और खपत के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किया है। डुल्लू ने कहा कि सरकार कृषक समुदाय के बीच मोटे अनाज के बारे में जागरूकता पैदा करने पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है।
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