मुआवजे पर अटॉर्नी जनरल की राय को लेकर जीएसटी परिषद की बैठक में होगी चर्चा: सीतारमण
जीएसटी परिषद की पिछली बैठक में इस मुद्दे पर विचार-विमर्श हुआ था। सदस्यों ने इस मामले में अपने विचार रखे थे। उसके बाद इसपर अटॉर्नी जनरल से कानूनी राय लेने पर विचार किया गया।
केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद ने मार्च में परिषद द्वारा बाजार से कर्ज लेने की वैधता पर सरकार के मुख्य विधि अधिकारी अटॉर्नी जनरल की राय लेने का फैसला किया। था। मुआवजा के लिए धन की कमी की भरपाई के लिए बाजार से कर्ज जुटाने की चर्चा हो रही है। परिषद में राज्यों के वित्त मंत्री भी शामिल हैं। सीतारमण ने कहा कि अटॉर्नी जनरल की राय मिल गई है। ‘‘हम के मुआवजे के मुद्दे पर ही जीएसटी परिषद की बैठक करेंगे।’’ उन्होंने कहा कि बैठक की तारीख पर जल्द फैसला लिया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि अटॉर्नी जनरल की राय है कि केंद्र सरकार राज्यों को देय जीएसटी मुआवजे के धन की कमी का भुगतान करने को बाध्य नहीं है। मुआवजा कोष में कमी की भरपाई का तरीका जीएसटी परिषद को ढूंढना है। अगस्त, 2019 से उपकर से प्राप्त राजस्व में कमी आने के बाद राज्यों को जीएसटी मुआवजे का भुगतान मुद्दा बना हुआ है। केंद्र को 2017-18 और 2018-19 में जुटाए गए अधिशेष उपकर को मुआवजे पर खर्च करना पड़ा।The focus is on restructuring. @FinMinIndia is actively engaged with @RBI on this. In principle, the idea that there may be a restructuring required, is well taken: Finance Minister @nsitharaman at the National Executive Committee meeting of @ficci_india
— PIB in Maharashtra 🇮🇳 (@PIBMumbai) July 31, 2020
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जीएसटी कानून के तहत जीएसटी के एक जुलाई, 2017 से क्रियान्वयन के बाद राज्यों को पहले पांच साल तक राजस्व नुकसान की भरपाई द्विमासिक आधार पर की जाती है। राजस्व नुकसान की कमी की गणना 2015-16 को आधार वर्ष के हिसाब से जीएसटी संग्रह में सालाना 14 प्रतिशत की वृद्धि के अनुमान के आधार पर की जाती है। जीएसटी के ढांचे के तहत कर के चार स्लैब पांच प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत हैं। सबसे ऊंचे कर स्लैब में विलासिता वाली या अहितकर वस्तुओं पर उपकर लगता है। इस उपकर का इस्तेमाल राज्यों को राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए किया जाता है। केंद्र ने 2019-20 में 1.65 लाख करोड़ रुपये का जीएसटी मुआवजा जारी किया था। हालांकि, 2019-20 में उपकर से जुटाई गई राशि कम यानी 95,444 करोड़ रुपये रही थी। 2018-19 में मुआवजे का भुगतान 69,275 करोड़ रुपये और 2017-18 में 41,146 करोड़ रुपये रहा था।
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