प्रतिभूति बाजार में लावारिस संपत्तियां कम करने के लिए डिजिलॉकर का इस्तेमाल होः SEBI

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सेबी ने प्रतिभूति बाजार में प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और लावारिस संपत्तियों की संख्या कम करने के लिए डिजिलॉकर के उपयोग का प्रस्ताव दिया। डिजिलॉकर डिजिटल दस्तावेज भंडारण मंच है, जहां सभी जरूरी दस्तावेज प्रमाणित रूप में रखे जा सकते हैं। सेबी ने यह सुझाव भी दिया कि निवेशक की मृत्यु की जानकारी डिजिलॉकर के साथ साझा करनी चाहिए।

नयी दिल्ली । बाजार नियामक सेबी ने प्रतिभूति बाजार में प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और लावारिस संपत्तियों की संख्या कम करने के लिए डिजिलॉकर के उपयोग का प्रस्ताव दिया। डिजिलॉकर एक सरकार-समर्थित डिजिटल दस्तावेज भंडारण मंच है, जहां सभी जरूरी दस्तावेज प्रमाणित रूप में रखे जा सकते हैं। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अपने परामर्श पत्र में कहा कि डिपॉजिटरी और म्यूचुअल फंड को डिजिलॉकर पर डीमैट और म्यूचुअल फंड होल्डिंग के विवरण उपलब्ध कराने चाहिए।

इसके अलावा सेबी ने यह सुझाव भी दिया कि केवाईसी का पंजीकरण करने वाली एजेंसियों (केआरए) को निवेशक की मृत्यु की जानकारी डिजिलॉकर के साथ साझा करनी चाहिए। डिजिलॉकर का उपयोग करने वाले व्यक्ति अपने खातों के लिए व्यक्तियों को नामांकित कर सकते हैं। इस प्रस्ताव का मकसद लावारिस और अज्ञात संपत्तियों को कम करना, और निवेशकों के हितों की रक्षा करते हुए वित्तीय निवेश का सही उत्तराधिकारियों तक सुचारू रूप से हस्तांतरण करना है।

नियामक ने प्रस्ताव दिया कि उपयोगकर्ता की मृत्यु की स्थिति में, डिजिलॉकर भारत के महापंजीयक (आरजीआई) से मृत्यु पंजीकरण की जानकारी या केआरए प्रणाली से मिली जानकारी के आधार पर खाते की स्थिति को अपडेट करेगा। डिजिलॉकर एसएमएस और ईमेल के जरिये नामांकित व्यक्ति को स्वचालित रूप से इस संबंध में सूचित करेगा। इसके बाद नामित व्यक्ति मृतक के डिजिटल रिकॉर्ड तक पहुंच सकता है और संबंधित एएमसी या डिपॉजिटरी भागीदार (डीपी) से संपर्क करके संपत्ति हस्तांतरण की प्रक्रिया शुरू कर सकता है। सेबी ने इन प्रस्तावों पर 31 दिसंबर तक सार्वजनिक टिप्पणियां मांगी हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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