डीएचएफएल मामला की ऑडिटर रिपोर्ट में लेन-देन में 2,150 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का खुलासा
डीएचएफएल दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत समाधान प्रक्रिया के अंतर्गत है। इस साल की शुरूआत में कंपनी केप्रशासक ने डीएचएफएल के मामलों की जांच के लिये ग्रांट थोर्नटन की सेवा ली थी। शेयर बाजार को दी गयी सूचना में कहा गया है कि ऑडिटर रिपोर्ट के अनुसार 2,150.84 करोड़ रुपये की गड़बडी की गयी।
नयी दिल्ली। कर्ज में फंसी आवास ऋण देने वाली कंपनी डीएचएफएल ने मंगलवार को कहा कि 2,150.84 करोड़ रुपये के लेन-देन में धोखाधड़ी की गयी। लेन-देन की जांच से जुड़े ऑडिटर ग्रांट थोर्नटन ने कहा कि कंपनी की बीमा अनुषंगी का कम मूल्य आंक कर यह गड़बड़ी की गयी। डीएचएफएल दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत समाधान प्रक्रिया के अंतर्गत है। इस साल की शुरूआत में कंपनी केप्रशासक ने डीएचएफएल के मामलों की जांच के लिये ग्रांट थोर्नटन की सेवा ली थी। शेयर बाजार को दी गयी सूचना में कहा गया है कि ऑडिटर रिपोर्ट के अनुसार 2,150.84 करोड़ रुपये की गड़बडी की गयी।
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यह गड़बड़ी उस समय की गयी जब डीएचएफएल ने प्रामेरिका लाइफ इंश्योरेंस में अपनी हिस्सेदारी डीएचएफल इनवेस्टमेंट्स लि. (डीआईएल) को बेचा। इसमें बीमा अनुषंगी का कम मूल्य आंककर धोखाधड़ी की गयी। रिपोर्ट के आधार पर प्रशासक ने कंपनी की प्रामेरिका लाइफ इंश्योरेंस (पूर्व में डीएचएफएलप्रामेरिका लाइफ इंश्योरेंस) में कंपनी की हिस्सेदारी डीआईएल को बेचे जाने से जुड़े समझौतों और कुछ ‘इंटर कॉरपोरेट डिपोजिट’ को लेकर एनसीएलटी (राष्ष्ट्रीय कंपनी विधि न्यााधिकरण) के समक्ष आवेदन किया है। कंपनी के अनुसार ऑडिटर की रिपोर्ट के आधर पर यह तीसरा आवेदन है। कुछ और आवेदन आगे जमा किये जा सकते हैं। इंडियन ओवरसीज बैंक के पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी आर एस कुमार कंपनी के प्रशासक हैं।
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