कांग्रेस ने छोटी बचत योजनाओं पर पुरानी ब्याज दर बहाल करने की मांग की
कांग्रेस ने राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र और लोक भविष्य निधि समेत लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरें कम करने के फैसले को संवेदनहीन और मूर्खतापूर्ण करार देते हुए बुधवार को कहा कि अगले तीन महीने के लिए पुरानी ब्याज दर बहाल करनी चाहिए।
नयी दिल्ली। कांग्रेस ने राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र और लोक भविष्य निधि समेत लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरें कम करने के फैसले को संवेदनहीन और मूर्खतापूर्ण करार देते हुए बुधवार को कहा कि अगले तीन महीने के लिए पुरानी ब्याज दर बहाल करनी चाहिए। पार्टी के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने सरकार से यह आग्रह भी किया कि नए वित्तीय पैकेज की घोषणा करनी चाहिए क्योंकि पिछले दिनों जिस पैकेज की घोषणा की गई थी वह लोगों को राहत पहुंचाने में नाकाफी है।
पूर्व वित्त मंत्री ने ट्वीट किया, पीपीएफ और लघु बचत पर ब्याज दर कम करना तकनीकी रूप से सही हो सकता है, लेकिन ऐसा करने के लिए यह गलत समय था। चिदंबरम ने कहा, इस बहुत ही मुश्किल घड़ी और आय को लेकर जारी अनिश्चितता के दौर में लोग अपनी बचत पर ब्याज से होने वाली आय पर निर्भर होते हैं। सरकार को इस निर्णय पर तत्काल पुनर्विचार करना चाहिए और पहले की ब्याज दर को 30 जून तक बहाल करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा, मेरे विचार से हमें विकास दर को लेकर चिंता नहीं करनी चाहिए। फिलहाल लोगों की जिंदगी बचाने पर जोर होना चाहिए। पार्टी प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने सरकार से आग्रह किया कि छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर में कटौती को वापस लेने के साथ ही अगले तीन महीने के लिए ईएमआई पर ब्याज माफ किया जाए। उन्होंने वीडियो लिंक के माध्यम से संवाददाताओं से कहा, देश कोरोना वायरस के संकट से गुजर रहा है।
आज जब देशवासी कोरोना वायरस महामारी, आर्थिक मंदी, महंगाई की मार झेल रहा है, तो उसे केंद्र सरकार से राहत की उम्मीद थी। लेकिन आज एक अमानवीय आदेश के जरिए केंद्र सरकार ने छोटी बचत पर ब्याज दर में कटौती कर दी। उन्होंने आरोप लगाया कि यह निर्णय संवेदनहीन और मूर्खतापूर्ण है। शेरगिल ने कहा, हमारी दो मांगें हैं। पहली यह कि ब्याज दरों में कटौती को वापस लिया जाए। दूसरी यह है कि अगले तीन महीने के लिए ईएमआई पर ब्याज माफ किया जाए। गौरतलब है कि सरकार ने मंगलवार को राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र और लोक भविष्य निधि समेत लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरें 2020-21 की पहली तिमाही के लिये 1.4 प्रतिशत तक घटा दीं। बैंक जमा दरों में कटौती के बीच यह कदम उठाया गया है।
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