केंद्र ने गेहूं पर भंडारण सीमा लगाई, कीमतों पर नियंत्रण के लिए आयात शुल्क घटाने पर विचार

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केंद्र ने थोक और खुदरा विक्रेताओं के साथ प्रसंस्करणकर्ताओं के लिए गेहूं भंडार रखने की सीमा को तय कर दिया। इस पहल का मकसद जमाखोरी को रोकना और कीमतों को काबू में रखना है। गेहूं पर स्टॉक सीमा 31 मार्च, 2025 तक वैध रहेगी। केंद्र ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध हटाने के किसी भी प्रस्ताव को भी खारिज किया।

नयी दिल्ली । केंद्र ने सोमवार को थोक और खुदरा विक्रेताओं के साथ प्रसंस्करणकर्ताओं के लिए गेहूं भंडार रखने की सीमा को तय कर दिया। इस पहल का मकसद जमाखोरी को रोकना और कीमतों को काबू में रखना है। गेहूं पर स्टॉक सीमा 31 मार्च, 2025 तक वैध रहेगी। केंद्र ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध हटाने के किसी भी प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया और कहा कि खुदरा कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए जरूरत पड़ने पर खाद्यान्न पर आयात शुल्क में कमी सहित अन्य नीतिगत विकल्पों पर विचार किया जा सकता है। वर्तमान में गेहूं पर 40 प्रतिशत आयात शुल्क है। 

निर्णय की घोषणा करते हुए केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि देश में गेहूं की पर्याप्त उपलब्धता है और बाजार में सट्टेबाजी और खाद्यान्न की जमाखोरी को रोकने के लिए यह निर्णय लिया गया है। चोपड़ा ने कहा, ‘‘मैं देश में गेहूं की कमी को दूर करना चाहता हूं...हम चाहते हैं कि गेहूं की कीमतें स्थिर रहें।’’ पिछले हफ्ते केंद्र ने कीमतों पर लगाम लगाने के लिए तुअर और चना दालों पर स्टॉक सीमा लगा दी थी। चोपड़ा ने कहा कि स्टॉक सीमा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के व्यापारियों/थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं और प्रसंस्करणकर्ताओं पर लागू होगी। 

उन्हें हर शुक्रवार को एक पोर्टल पर गेहूं के स्टॉक की घोषणा करनी होगी। यदि उनके पास मौजूद स्टॉक निर्धारित सीमा से अधिक है तो उन्हें इस अधिसूचना के जारी होने के 30 दिनों के भीतर इसे निर्धारित स्टॉक सीमा तक लाना होगा। एक सरकारी बयान के अनुसार लाइसेंस आवश्यकताएं हटाना, स्टॉक सीमाएं और निर्दिष्ट खाद्य पदार्थों पर आवाजाही प्रतिबंधों को हटाना (संशोधन) आदेश 24 जून 2024 से प्रभाव में आ गया है। यह सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 31 मार्च, 2025 तक लागू रहेगा। स्टॉक सीमा प्रत्येक इकाई पर व्यक्तिगत रूप से लागू होगी। जैसे व्यापारी/थोक व्यापारी- 3000 टन, बड़े खुदरा श्रृंखला विक्रेता- प्रत्येक बिक्रीकेन्द्र के लिए 10 टन तथा उनके सभी डिपो और प्रोसेसर के लिए 3000 टन है। इस महीने की शुरुआत में, केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने अपने तीसरे अनुमान में फसल वर्ष 2023-24 (जुलाई-जून) के लिए गेहूं उत्पादन को संशोधित कर रिकॉर्ड 11 करोड़ 29.2 लाख टन कर दिया। 

फसल वर्ष 2022-23 में गेहूं का उत्पादन 11 करोड़ 5.5 लाख टन रहा। पिछले हफ्ते, खाद्य मंत्रालय ने कहा कि विपणन वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मार्च) के 18 जून तक लगभग 266 लाख टन गेहूं की खरीद की गई थी, जबकि 2023-24 में 262 लाख टन की खरीद हुई थी। चोपड़ा ने यह भी बताया कि एक अप्रैल, 2023 को गेहूं का शुरुआती स्टॉक 82 लाख टन था, जबकि एक अप्रैल, 2024 को यह स्टॉक 75 लाख टन का था। चोपड़ा ने समझाया कि इसलिए गेहूं की कमी (शुरुआती स्टॉक में) सिर्फ 3 लाख टन का ही है। 

खाद्य कानून और अन्य कल्याणकारी योजनाओं की आवश्यकता को पूरा करने के बाद, जो लगभग 184 लाख टन है, आवश्यकतानुसार बाजार में हस्तक्षेप करने के लिए गेहूं का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है। चोपड़ा ने कहा कि हाल ही में मीडिया रिपोर्ट के मद्देनजर स्टॉक सीमा लगाई गई है जिसमें दावा किया गया कि गेहूं सहित आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि जमाखोरी को कम करने के लिए स्टॉक सीमा लगाई गई है। इसके लिए कई उपाए हैं और स्टॉक सीमा उनमें से एक है। चीनी के बारे में, चोपड़ा ने कहा कि सरकार निर्यात की अनुमति देने के किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है। चालू चीनी विपणन वर्ष 2023-24 (अक्टूबर-सितंबर) में, केंद्र ने मिलों को निर्यात के लिए कोई परमिट जारी नहीं किया है। उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने कहा कि तुअर और चना पर स्टॉक सीमा लगाने के सरकार के फैसले से इन दोनों दालों की खुदरा कीमतों में कुछ गिरावट आई है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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