मंजूरी तो मिल गई, फिर भी उत्पादन से दूर हैं उद्योग, जानिए कारण
भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने आग्रह किया है कि रेड जोन के भीतर, हॉटस्पॉट्स या कंटेनमेंट ज़ोन का स्पष्ट सीमांकन होना चाहिए, जैसा कि गृह मंत्रालय द्वारा कहा गया है। इन कंटेनमेंट ज़ोन के बाहर की आर्थिक गतिविधियों की अनुमति दी जानी चाहिए।
कोरोना वायरस के कारण पूरे देश में लॉक डाउन लागू है। फिलहाल इस संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में इस लॉक डाउन का खुलना फिलहाल मुश्किल लग रहा है लेकिन आर्थिक गतिविधियों को सुचारू रखने के लिए अब उद्योगों को खोलने की अनुमति गृह मंत्रालय दे चुका है। परंतु गृह मंत्रालय के आदेश के बावजूद भी उद्योग नहीं खुल पा रहे हैं और उनके गेट पर ताले लटके हुए हैं। दरअसल, इसका सबसे बड़ा कारण है वह शर्तें जिससे उद्योगों को पूरा करना है। दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए उद्योग जगत ने सरकार से कुछ मांगे की है। इंडस्ट्री ने औद्योगिक इकाइयों को फिर से शुरू करने के लिए दिशानिर्देशों की ठीक-ठीक ट्यूनिंग की मांग की है और कहा है कि निर्माण को सुनिश्चित करने के लिए नियमों में अधिक स्पष्टता होनी चाहिए और व्यावसायिक संस्थाओं को दंडित नहीं किया जाए।
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कई उद्योगों ने कहा है कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) इकाइयां और स्टार्टअप कंपनियां सार्वजनिक परिवहन प्रणाली पर निर्भर रहते हैं अत: बाहर से आने वाले श्रमिकों के लिए विशेष परिवहन सुविधा का व्यवस्था करा पाना मुश्किल है। दिशानिर्देश यह भी निर्धारित करते हैं कि इन वाहनों को केवल 30-40% यात्री क्षमता के साथ काम करने की अनुमति दी जानी चाहिए। फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) ने आग्रह किया है कि कार्यस्थल की निकटता के भीतर रहने वाले श्रमिक सोशल डिस्टेंशिंग का पालन कर निजी वाहन से आवागमन कर सकते हैं। और, बिना अतिरिक्त बोझ के स्वच्छता के किसी भी नियम को जोड़कर उद्योग को फिर से शुरू करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया को दिशानिर्देशों में जोड़ा जा सकता है, जिससे कि कंपनियों पर अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा।
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भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने आग्रह किया है कि रेड जोन के भीतर, हॉटस्पॉट्स या कंटेनमेंट ज़ोन का स्पष्ट सीमांकन होना चाहिए, जैसा कि गृह मंत्रालय द्वारा कहा गया है। इन कंटेनमेंट ज़ोन के बाहर की आर्थिक गतिविधियों की अनुमति दी जानी चाहिए। इसमें आग्रह किया गया है कि कंटेनमेंट ज़ोन को दैनिक आधार पर परिभाषित किया जा सकता है। बड़े उद्योग के लिए यह भी बताया है गया है कि किसी कर्मचारी में कोरोना का पता लगने पर पूरी इकाइयों को बंद करना भी संभव नहीं है और दिशानिर्देशों में परिवर्तन का सुझाव दिया गया है, जिसका आसानी से पालन किया जा सकता है। इसी तरह, शिफ्टों के बीच एक घंटे के अंतराल की आवश्यकता निरंतर प्रक्रिया संयंत्रों में संभव नहीं है, जहां पारियों के कंपित परिवर्तन की अनुमति दी जा सकती है।
उद्योगों के अंदर प्रवेश से पहले थर्मल स्क्रीनिंग को जरूरी बताया गया है लेकिन फिक्की इसकी जगह कुछ और चाहता है। फिक्की के अनुसार निर्माण क्षेत्र में आने वाले वर्कर कोरोना से संबंधित self-declaration दे। इसके अलावा सीआईआई ने यह भी कहा है कि भले ही निर्माण कार्यों को शुरू करने की अनुमति दे दी गई है लेकिन इसके लिए जो जरूरी आवश्यकताएं हैं वहां अभी भी राहत नहीं दी गई है। ऐसे में निर्माण को सुचारू चला पाना मुश्किल हो रहा है क्योंकि सप्लाई चेन पूरी तरीके से ठप है। सैनिटाइजर से हाथ धुलवाना, मास्क लगाकर काम करवाना तथा काम करने वाले लोगों को निर्माण क्षेत्र में ही रहने का प्रबंध कराना छोटे इकाईयों के लिए मुश्किल भरा कार्य है। इससे उनके बजट पर भी असर पड़ेगा। CII ने बताया है कि अंतर-राज्य की सीमाएँ बंद होने के कारण बाज़ारों में माल की आवाजाही में समस्याएं पैदा हो रही हैं। सीआईआई ने मांग की है कि भूटान, बांग्लादेश और नेपाल में निर्यात के लिए, सड़क परिवहन की अनुमति दी जा सकती है।
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