‘गुलाबो सिताबो’ ने मुझे मसाला फिल्मों के अध-कचरे किरदारों से निजात दिलाई: बिजेंद्र काला

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रेनू तिवारी । Jun 13 2020 11:47PM

“पान सिंह तोमर” में मशहूर डाकू का साक्षात्कार करने को आतुर रिपोर्टर की काला की भूमिका, “जब वी मेट” में दो लोगों की ट्रेन छुट जाने पर धीमी गति से गाड़ी चलाने वाले ढीठ ड्राइवर के किरदार या फिर “आंखों देखी” में पड़ोसी के किरदार ने लोगों के जेहन पर गहरी छाप छोड़ी है।

नयी दिल्ली। “पान सिंह तोमर” और “जब वी मेट” जैसी फिल्मों में हमारे आम जीवन से जुड़े किरदार निभा कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वाले अभिनेता बिजेंद्र काला का कहना है कि शुजित सरकार की फिल्म “गुलाबो-सिताबो” उनके लिए विशेष है क्योंकि इस फिल्म में उनके किरदार को अच्छी तरह गढ़ा गया है। 55 वर्षीय अभिनेता काला कहते हैं कि जब मसाला फिल्मों में उन्हें अध-कचरी भूमिकाएं मिलती थी तो वह अपने किरदार को इस तरह निभाने की कोशिश करते थे ताकि लोग उनकी भूमिका को नजरअंदाज ना कर पाएं। काला ने बताया, “ ‘पान सिंह तोमर’ के बाद पहली बार मैं एक सी फिल्म में काम कर रहा हूं जिसमें मेरे किरदार को अच्छी तरह लिखा गया है। मुझे बहुत बार अध-कचरे किरदार दिए जाते हैं जिसे मैं खुद से निखारने की कोशिश की है।” 

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“पान सिंह तोमर” में मशहूर डाकू का साक्षात्कार करने को आतुर रिपोर्टर की काला की भूमिका, “जब वी मेट” में दो लोगों की ट्रेन छुट जाने पर धीमी गति से गाड़ी चलाने वाले ढीठ ड्राइवर के किरदार या फिर “आंखों देखी” में पड़ोसी के किरदार ने लोगों के जेहन पर गहरी छाप छोड़ी है। “गुलाबो-सिताबो” में अमिताभ बच्चन और आयुष्मान खुराना मुख्य भूमिका में हैं। इसे शुजित सरकार ने निर्देशित किया है जबकि उनके साथ अक्सर काम करने वाली जूही चतुर्वेदी ने इसकी पटकथा लिखी है। यह एक मकान मालिक और किराएदार की हवेली पर कब्जा जमाने के लिए किए गए विचित्र षडयंत्रों की अनोखी कहानी है। इसमें काला वकील और विजय राज पुरातत्व विभाग के अधिकारी का मजबूत किरदार निभा रहे हैं।

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