शाहरुख खान की 'Paheli' से लेकर सोहम शाह की 'Tumbaad' तक, लोककथा पर आधारित फिल्मों ने दर्शकों को किया प्रभावित
हमारे सिनेमा में ज्यादातर प्रेम कहानियां ही बनी हैं या फिर दर्शकों को हीरो को महिमामंडित करने वाली फिल्में देखने को मिलती हैं। लेकिन हिंदी और दूसरी भारतीय फिल्मों में कहानियों के साथ समय-समय पर अलग-अलग तरह के प्रयोग भी होते रहते हैं।
हमारे सिनेमा में ज्यादातर प्रेम कहानियां ही बनी हैं या फिर दर्शकों को हीरो को महिमामंडित करने वाली फिल्में देखने को मिलती हैं। लेकिन हिंदी और दूसरी भारतीय फिल्मों में कहानियों के साथ समय-समय पर अलग-अलग तरह के प्रयोग भी होते रहते हैं। कभी असल जिंदगी पर आधारित कहानियां फिल्मों को प्रेरित करती हैं तो कभी लोककथा पर आधारित फिल्में भी बनती रही हैं। पिछले कुछ सालों में दर्शकों ने ऐसी कई फिल्में देखी हैं, इनमें से सबसे ज्यादा चर्चा 'स्त्री' और 'स्त्री 2' की हुई। लेकिन क्या आप जानते हैं कि स्त्री 2 से पहले भी भारत में लोककथा पर आधारित कई फिल्में बनी हैं? यहां उनमें से कुछ पर एक नजर डालें।
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लैला-मजनू
फिल्म 'लैला-मजनू' साल 1976 में रिलीज हुई थी और 2018 में इसका रीमेक बनाया गया था लेकिन उस समय यह फिल्म नहीं चली। इस साल फिल्म को फिर से रिलीज किया गया और इसने बॉक्स ऑफिस पर मनचाही सफलता हासिल की। दर्शकों ने इस फिल्म की कहानी और गानों की खूब तारीफ की। फिल्म में लैला की मुख्य भूमिका में त्रिप्ति डिमरी और मजनू की भूमिका में अविनाश तिवारी ने अपने बेहतरीन अभिनय के लिए खूब तारीफ बटोरी। यह फिल्म भी लैला मजनू की एक लोकप्रिय लोक कथा पर आधारित थी। इस फिल्म को नए ज़माने के हिसाब से ही दिखाया गया था। निर्देशक साजिद अली ने इस फिल्म को बड़ी शिद्दत से बनाया, जबकि उनके भाई इम्तियाज अली ने लेखन और पटकथा का काम किया।
पहेली
शाहरुख खान का नाम आते ही उनके रोमांटिक अंदाज़ का ही ख्याल आता है, लेकिन फिल्म 'पहेली' (2005) में उन्होंने एक भूत का किरदार निभाया था। यह फिल्म पारंपरिक लोककथा पर आधारित थी, जिसमें एक भूत को एक बिजनेसमैन की पत्नी से प्यार हो जाता है, इसलिए वह बिजनेसमैन का रूप ले लेता है और उसकी पत्नी के साथ रहने लगता है। शाहरुख ने बिजनेसमैन और भूत दोनों की भूमिकाएँ निभाईं, जबकि रानी मुखर्जी ने पत्नी की भूमिका निभाई। इस फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर बड़ी सफलता तो नहीं मिली, लेकिन शाहरुख खान और रानी मुखर्जी को बिल्कुल अलग किरदारों में देखना दर्शकों के लिए एक नया अनुभव था। इस फिल्म का निर्देशन मशहूर अभिनेता अमोल पालेकर ने किया था।
तुम्बाड
राहिल अनिल ब्रेव द्वारा निर्देशित और सोहम शाह अभिनीत 'तुम्बाड' (2019) एक हॉरर फिल्म है जो पौराणिक कथाओं और आतंक को जोड़ती है और एक ऐसे व्यक्ति की कहानी बताती है जिसे महाराष्ट्र में अपने पैतृक घर में एक छिपा हुआ खजाना मिलता है। धन से उसके परिवार और गांव पर एक अभिशाप मिट जाता है।
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मुंज्या
फिल्म 'मुंज्या' ने भी इस साल दर्शकों का ध्यान खींचा, इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन किया और फिल्म हिट साबित हुई। इस फिल्म की कहानी महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में प्रचलित मुंज्या की लोककथा से प्रेरित थी। कोंकण की इस लोककथा के अनुसार, अगर कोई छोटा लड़का जिसका सिर मुंडा दिया जाता है, 10 दिनों के भीतर मर जाता है, तो वह हमेशा के लिए भूत बन जाता है और पीपल के पेड़ पर रहने लगता है। फिल्म में हॉरर के साथ-साथ कॉमेडी का तड़का भी था, इसलिए दर्शकों को यह फिल्म खूब पसंद आई। इस फिल्म के निर्देशक आदित्य सरपोतदार हैं, जो कोंकण क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं, उन्होंने बचपन में मुंजया की लोककथा खूब सुनी थी, इसलिए उनके लिए यह कहानी कहना काफी आसान था।
कांतारा
2022 में रिलीज हुई कन्नड़ फिल्म 'कांतारा' को पूरे देश में पसंद किया गया। यह एक एक्शन थ्रिलर फिल्म है, लेकिन इस फिल्म में ग्रामीण जीवन, पर्यावरण संरक्षण और लोक देवताओं के प्रभाव को जोड़कर कहानी बुनी गई थी। फिल्म 'कांतारा' में लोक देवताओं के एक त्योहार भूत कोला को भी बेहद खूबसूरती से दिखाया गया था। जब दर्शकों ने लोक देवताओं के इस रूप को देखा, तो उनके भीतर एक आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार हुआ। यही वजह है कि फिल्म को कन्नड़ भाषी दर्शकों के अलावा पूरे देश से खूब सराहना मिली। ऋषभ शेट्टी ने इस फिल्म को लिखा, निर्देशित किया और मुख्य किरदार निभाया। वह इन तीनों ही चीजों को बखूबी कर पाए, क्योंकि उन्हें अपनी संस्कृति और लोककथाओं से गहरा लगाव है। जल्द ही इस फिल्म का दूसरा भाग भी रिलीज किया जाएगा।
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