फिल्मों की शूटिंग बंद होने से मुश्किल में डेली वर्कर्स, भूूखे पेट सोने को मजबूर हुए
भूख क्या होती है इस बात का दर्द वो ही समझ सकता है जो हफ्तों से भूखे पेट सो रहा हो।लॉकडाइन होने से जहां एक तरफ लोग घर के अंदर बैठे हुए हैं वही दूसरी तरफ एक ऐसी समस्या आ गई है जिसके कारण लोगों की जिंदगी पर बन आयी है।
भूख क्या होती है इस बात का दर्द वो ही समझ सकता है जो हफ्तों से भूखे पेट सो रहा हो।लॉकडाइन होने से जहां एक तरफ लोग घर के अंदर बैठे हुए हैं वही दूसरी तरफ एक ऐसी समस्या आ गई है जिसके कारण लोगों की जिंदगी पर बन आयी है। दिहाड़ी पर काम करने वालों की लॉकडाउन के कारण जिंदगी रुक गई है और भुखमरी की हालत हो गई है। देश में कर्फ्यू लग चुका है, जहां भी कोई बाहर दिखाई दे रहा है पुलिस उसे बल के साथ घर में वापस जाने को कह रही हैं। कोरोना से इंसान की जान न जाए ये सब कुछ बस इस लिए किया जा रहा है।
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कोरोना वायरस का प्रकोप इतना खराब है कि एक चंद दिनो में ये पूरे देश को निगलने की ताकत रखता है। कोरोना के कहर ने जिंदगियों को थाम दिया है। मुंबई की बात करें तो मुंबई में बॉलीवुड इंडस्ट्री से कई घर का चूल्हा जलता था लेकिन लॉकडाउन के कारण शूटिंग को रोक दिया गया है। न अब किसी फिल्म का शूट हो रहा है और न ही किसी टीवी शो का, अब सभी अपने घर में बंद है। शूटिंग रुक जाने से जूनियर आरटिस्ट, वर्कर्स, और तकनीशियंश की जिंदगी की मुसीबतें काफी बढ़ गई है। ये सभी रोज शूटिंग के दौरान दिहाड़ी पर काम करते है लेकिन अब ये पाई-पाई को मोहताज हो गये है। कुछ लोगों के घर तो 22 मार्च से खाना नहीं बना। मुंबई में जब एक जूनियर आर्टिस्ट( बदला हुआ नाम आकांक्षा) से बात की तो उन्होंने बताया कि हमारा हाल मत पूछिए क्योंकि हम बता नहीं सकते। हालात इतने खराब है कि बस जिंदा है। 3 महीने पहले
हार्ट अटैक आया था जिसकी दवाई चल रही है। शूटिंग में काम करने से जो पैसे मिलते थे उससे दवाई ले आते थे। दवाई इतनी महंगी है कि कुछ बचता ही नहीं। लॉकडाउन के कारण सब बंद है। पैसे भी नहीं है खाने के लिए, दवाई कहां से लाए। मेडिकल वाले ने कहा कि 9 हजार की दवाई है कहा से खरीदू अब। कर्फ्यू के कारण किसी से मदद भी नहीं मिल रही। समझ नहीं आ रहा है कि क्या करें। घर पर बस चावल है दाल नहीं, दो दिन से केवल नमक चावल खा रही हूं।
ये हालात केवल आकांक्षा के नही है बल्कि इंडस्ट्री में रोज की दिहाड़ी पर काम करने वाले हर वर्कर्स के हैं। फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने इप्लॉइज बीते दिनों इन सभी को आर्थिक मदद और एक महीने का राशन बांटने वाला था लेकिन जब 22 मार्च को पीएम मोदी ने जनता कर्फ्यू की अपील की तो ये काम स्थगित कर दिया गया। आकांक्षा अपना दर्द बताते हुए बार-बार ये कह रही थी कि आप एक औरत हैं इस लिए आपको बता रही हूं आप ये सब किसी से कहना नहीं। उनकी तकलीफ उनके चेहरे पर साफ दिखाई पड़ रही है।
इसके अलावा उन्होंने ये भी बताया कि हमें एक दिन के शूटिंग पर 850 रू मिलते थे। मुश्किल से हफ्ते में दो से तीन दिन काम मिलता था लेकिन लॉकडाउन होने के कारण अब गुजारा करना मुश्किल है।
दूसरी तरफ तकनीशियंस का भी यहीं कहना है। कर्फ्यू के कारण दिहाड़ी का पैसा रुक गया है। सब कह रहे हैं कि मदद करेंगे लेकिन अभी तक कोई मदद नहीं हुई। फंसे हुए पैसे भी मिल जाए तो खाने के लिए हो जाएगे।
आपको बता दें कि बॉलीवुड इंडस्ट्री की लॉकडाउन के कारण कमर टूट गई है। शूटिंग बंद होने से एक दिन का लाखों का नुकसान हो रहा है। ये हालत इस समय देश की आधी जनता की है क्योंकि देश की आधी जनता आज भी दिहाड़ी और मजदूरी पर काम करती हैं।
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