पाकिस्तान से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक, विदेशी धरती पर बने हैं भगवान शिव के मंदिर
भगवान शिव का बहुत सुंदर और प्राचीन मंदिर इंडोनेशिया के जावा में है। 10वीं शताब्दी में बना भगवान शिव का यह मंदिर प्रम्बानन मंदिर के नाम से जाना जाता है। ये मंदिर काफी विशाल हैं। इसकी दूरी शहर से लगभग 17 कि.मी. की है।
देवों के देव महादेव के भक्त केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में हैं। भोले नाथ की अपार शक्ति से पूरी दुनिया वाकिफ है। कहते है भोलेनाथ को देवों का देव इस लिए कहा जाता हैं क्योंकि भगवान शिव ही इस जगत के रचयिता हैं। इसी लिए भूमि, धर्म, जाति, देश, पहनावा, संस्कृति, परंपरा आदि सब कुछ अलग होने के बाद भी शिवा के भक्त भारत के बाहर कई देशों में है। आइये जानते है वो कौन से देश हैं जहां शिव की आराधना होती है और उनकी विशाल प्रतिमा बनी है-
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मुन्नेस्वरम मंदिर- श्रीलंका
श्रीलंका में स्थित इस मंदिर का इतिहास अगर देखा जाए तो इसके अंश रामायण काल से जुड़े हैं। कहते है की जब राम और रावण का युद्ध हुआ था और राम जी ने रावण पर विजय हासिल की फिर भगवान राम शिव का आशीर्वाद लेने के लिए इस मंदिर के स्थान पर शिव की पूजा की थी। तब से इस मंदिर में शिव की आराधना की जाती है।
शिवा-विष्णु मंदिर- मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया
1987 में बने भगवान शिवा- विष्णु के इस मंदिर की लोकप्रियता बहुत है और ऑस्ट्रेलिया में हिंदू धर्म तेजी से लोकप्रिय होता जा रहा है। पिछले एक दशक में दक्षिण एशिया से आए लोगों के कारण हिंदू धर्म फैल रहा है। वर्ष 2016 की जनगणना के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया में 4,40,000 हिंदू रहते हैं, और 2006 से हिंदू आबादी में 1.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इस मंदिर की वास्तुकला हिन्दू और ऑस्ट्रेलियाई परंपराओं का अच्छा उदाहरण है।
प्रम्बानन मंदिर- इंडोनेशिया
भगवान शिव का बहुत सुंदर और प्राचीन मंदिर इंडोनेशिया के जावा में है। 10वीं शताब्दी में बना भगवान शिव का यह मंदिर प्रम्बानन मंदिर के नाम से जाना जाता है। ये मंदिर काफी विशाल हैं। इसकी दूरी शहर से लगभग 17 कि.मी. की है। मंदिर बहुत सुंदर और प्राचीन होने के साथ-साथ, इससे जुड़ी एक कथा के लिए भी प्रसिद्ध है।
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कटासराज मंदिर- पाकिस्तान
भारत और पाकिस्तान का विवाद तो सालों पुराना है जो न जाने कब खत्म होगा। पाकिस्तान एक मुस्लिम देश है इसके बावजूद पाकिस्तान में बना है भगवान शिव का विशाल मंदिर। ये मंदिर पाकिस्तान के कटस में एक पहाड़ी पर स्थित है। माना जाता है कि महाभारत काल में भी यह मंदिर था। पांडवों की इस मंदिर से कई कथाएं जुड़ी हैं। इस मंदिर का कुंड भगवान शिव के आंसुओं से बना है।
कैलाश मानसरोवर
भगवान के भक्त शिव की भक्ति में लीन होने के बाद उनके दर्शन के लिए कभी भी जा सकते हैं। इसी लिए हर साल तिब्बत के मानसरोवर झील से घिरा हुआ कैलाश पर्वत जोकि की चीन की सरहद के अंदर आता है, वहां तक पहुंच जाते है। कहा जाता है कि यहां साक्षात भगवान शिव विराजमान हैं। इससे जुड़ी कई पौराणिक कहानियां है।
रामलिंगेश्वर मंदिर- मलेशिया
यह मंदिर मलेशिया की राजधानी क्वालालम्पुर में है। सन 2012 में मलेशिया सरकार ने मंदिर और आस पास का क्षेत्र मंदिर का प्रबंधन करने वाली ट्रस्ट के हवाले कर दिया।
- सुषमा तिवारी
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