नक्कटैया मेले में झांकियों के जरिए होता है सामाजिक कुरीतियों का प्रदर्शन

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नक्कटैया मेला विजयादशमी के एक सप्ताह बाद कार्तिक कृष्ण चतुर्थी की रात को लगता है। इस बार नक्कटैया मेला 17 अक्टूबर को आयोजित किया जाएगा। इस मेले में रामचरित मानस की घटनाओं का क्रमवार प्रदर्शन होता है।

करवा-चौथ की रात में बनारस शहर में विश्व प्रसिद्ध नक्कटैया मेला लगता है। नक्कटैया मेला में रामचरित मानस में वर्णित घटनाओं का प्रदर्शन होता है और तमाम तरह की सामाजिक बुराइयों की झांकी निकलती है तो आइए हम आपको बनारस के नक्कटैया मेले के बारे में कुछ खास बातें बताते हैं। 

नक्कटैया मेला के बारे में जानें 

नक्कटैया मेला विजयादशमी के एक सप्ताह बाद कार्तिक कृष्ण चतुर्थी की रात को लगता है। इस बार नक्कटैया मेला 17 अक्टूबर को आयोजित किया जाएगा। इस मेले में रामचरित मानस की घटनाओं का क्रमवार प्रदर्शन होता है। सबसे पहले लक्ष्मण अमर्यादित सुपर्णखा की नाक काटते हैं। उसके बाद सुपर्णखा अपने भाइयों खर-दूषण के साथ सैन्य शक्तियों का प्रदर्शन होता है। राम के साथ इनके युद्ध का प्रदर्शन ही इस मेले का मुख्य आकर्षण होता है। यह युद्ध यात्रा में होता है जो पिशाच मोचन से लेकर संकटमोचन तक चलता है।  

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लाखों की होती है भीड़

नक्कटैया मेले में लाखों की भीड़ होने के कारण इसे लक्खी मेला भी कहा जाता है। मेले में दिखाई जाने वाली लीला न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी मशहूर है। 


सामाजिक कुरीतियों के माध्यम से होता है प्रदर्शन

राम के खिलाफ सुपर्णखा का सैन्य प्रदर्शन बहुत से भयावह और चमत्कृत दृश्यों के जरिए भी होता है। इसमें देश की विभिन्न सामाजिक कुरीतियों और समकालीन समस्याओं को लोगों द्वारा प्रदर्शन किया जाता है। साथ ही सामाजिक कुरीतियों जैसे शराबी, गौनहारिन और राक्षसों का भी प्रदर्शन होता है। यही नहीं विभिन्न प्रकार के देवी-देवताओं की भी झांकी निकलती है जिसमें दुर्गा जी और काली मां के मुखौटे और देवताओं के वस्त्र और मुकुट पहने हुए लोग भी रहते हैं। 


नक्कटैया का इतिहास 

बनारस के पारंपरिक लक्खी मेले में शामिल चेतगंज की नक्कटैया को विशाल रूप मिला था अंग्रेजों के कारण। बनारस के बाबा फतेह राम अंग्रेजों के दमन पर आधारित लाग विमान को इस नक्कटैया मेले में शामिल करते थे। तत्कालीन नक्कटैया मेले की खासियत यह थी कि उस समय के अंग्रेज कलेक्टर ही नक्कटैया के जुलूस का उद्घाटन करते थे।

पुरानी परम्परा का निर्वाह करते हुए आज भी कलेक्टर ही आधीरात को जुलूस का उद्घाटन करते है। महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद ने भी नक्कैटया मेले में क्रांतिकारियों के लिए वार्षिक सम्मेलन का स्थान बनाया था। इन स्वतंत्रता सेनानियों की खास बात यह है कि चंद्रशेखर आजाद और उनके सभी क्रांतिकारी साथी मेला में शामिल होकर नक्कटैया का हिस्सा बनते थे। आजादी के समय चेतगंज क्षेत्र में स्थित सरस्वती वाचनालय सभी क्रांतिकारियों के मिलने की जगह हुआ करती थी।

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इस बार की नक्कटैया है खास 

इस बार नक्कटैया बहुत खास है। इस नक्कटैया में प्लास्टिक से आजादी का नारा बुलंद किया जाएगा। इसमें ऐसी झांकियों को शामिल किया जाएगा जिसमें प्लास्टिक के विकल्प के साथ ही उससे होने वाले नुकसानों के बारे में भी दर्शाया जाएगा। साथ कश्मीर विधानसभा भवन पर तिरंगा फहराते हुए दिखाया जाएगा जो धारा 370 हटाने का सूचक होगा। एयरफोर्स में हाल में गठित महिला फाइटर विंग की झांकी का भी नक्कटैया के मेले में प्रदर्शन होगा जो नारी सशक्तिकरण की मिसाल पेश करेगा। मिर्जापुर, प्रयागराज, आजमगढ़, ज्ञानपुर, जौनपुर, प्रतापगढ़ और फूलपुर जिलों के सौ से अधिक लाग विमान इस साल नक्कटैया मेले में सम्मिलित होंगे।

प्रज्ञा पाण्डेय

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