रमा एकादशी व्रत से जीवन में नहीं होती धन की कमी
रमा एकादशी के विषय में एक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार मुचुकुंद नाम का एक राजा था वह विष्णु का अनन्य भक्त था। उसकी बेटी का जन्म चंद्रभागा था। विवाह योग्य होने पर उसके पिता ने पुत्री का विवाह चंद्रसेन के बेटे सोभन से कर दिया। सोभन शारीरिक रूप से कमजोर था। चंद्रभागा एकादशी में विश्वास रखती थी और वह एकादशी का व्रत अवश्य करती थी।
कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को रमा एकादशी कहा जाता है। दीवाली से कुछ दिन पहले आने के कारण यह एकादशी बहुत खास होती है। तो आइए हम आपको रमा एकादशी की महिमा के विषय में अवगत कराते हैं।
जानें रमा एकादशी के बारे में
कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाए जाने वाली एकादशी रमा एकादशी कहा जाता है। भगवना विष्णु की पत्नी लक्ष्मी का एक नाम रमा भी है इसलिए इस एकादशी को रमा एकादशी कहा जाता है। इस साल यह एकादशी 24 अक्टूबर को पड़ रही है। इस दिन विष्णु के पूर्णावतार केशव रूप की भी अर्चना की जाती है। इस व्रत को करने से जीवन में कभी भी धन का अभाव नहीं होता है।
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रमा एकादशी व्रत से जुड़ी कथा
रमा एकादशी के विषय में एक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार मुचुकुंद नाम का एक राजा था वह विष्णु का अनन्य भक्त था। उसकी बेटी का जन्म चंद्रभागा था। विवाह योग्य होने पर उसके पिता ने पुत्री का विवाह चंद्रसेन के बेटे सोभन से कर दिया। सोभन शारीरिक रूप से कमजोर था। चंद्रभागा एकादशी में विश्वास रखती थी और वह एकादशी का व्रत अवश्य करती थी। एक बार सोभन ने एकादशी का व्रत किया तथा भूख-प्यास के कारण उसकी मृत्यु हो गयी। चंद्रभागा ने उसके शरीर को जल में प्रभावित कर दिया और उसके बाद रमा एकादशी का व्रत करने लगी। व्रत के प्रभाव से सोभन को नदी से बाहर निकाल लिया गया और वह जीवित हो उठा। उसके बाद मंदराचल पर्वत पर मौजूद एक राज्य का राजा बन गया। इसी बीच मुचुकुंद नगर का एक ब्राह्मण सोभन से मिला। सोभन ने बताया कि इस राज्य के अस्थिर होने कारण वह बाहर जाकर अपनी पत्नी से नहीं मिल सकता है। इस पर चंद्रभागा ने एकादशी व्रत केदौरान प्रार्थना की और विष्णु की कृपा से दिव्य शरीर धारण अपने पति के राज्य में पहुंच गयी। वहां पहुंच कर जैसे ही चंद्रभागा पति के साथ सिंहासन पर बैठी नगर स्थिर हो गया। इस तर रमा एकादशी व्रत के प्रभाव उनका जीवन सुखमय हो गया।
रमा एकादशी व्रत का महत्व
रमा एकादशी व्रत अन्य दिनों की तुलना में हजारों गुना अधिक फल दायी है। इस व्रत के प्रभाव से जीवन की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और किसी प्रकार का कष्ट नहीं होता है।
व्रत का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष पड़ने वाली रमा एकादशी बहुत खास है। इस बार एकादशी 23 अक्टूबर की रात 1 बजकर 8 मिनट से शुरू हो जाएगी। साथ ही एकादशी तिथि 24 अक्टूबर की रात 10 बजकर 18 मिनट तक रहेगी। एकादशी की सुबह द्वादशी को पारण का समय भी बहुत खास होता है। द्वादशी के दिन पारण का समय सुबह 6 बजकर 32 मिनट से 8 बजकर 45 मिनट तक है।
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रमा एकादशी पर ऐसे करें पूजा
रमा एकादशी के दिन विष्णु भगवान के प्रति श्रद्धा रखें। प्रातः जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। उसके बाद विधिवत विष्णु भगवान की पूजा करें। साथ ही विष्णु के साथ देवी लक्ष्मी की अर्चना करना न भूलें। भगवान को प्रसाद का भोग लगाएं और ध्यान रखें कि इस प्रसाद को भक्तों में वितरित करें। उसके बाद दिन में गीता का पाठ करें तथा सायं का विष्णु भगवान के सामने जाप करें।
प्रज्ञा पाण्डेय
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