हजार शब्दों को बयां करती है एक तस्वीर, जानें 19 अगस्त को ही क्यों मनाया जाता है विश्व फोटोग्राफी दिवस
विश्व फोटोग्राफी दिवस की शुरुआत साल 2010 में हुई थी लेकिन फोटोग्राफी का इतिहास काफी पुराना है। फ्रांस के जोसेफ नाइसफोर और लुइस डॉगेर ने दुनिया की पहली फोटोग्राफी प्रक्रिया को जनवरी, 1839 में विकसित किया था।
तस्वीरें खींचना हर किसी को पसंद होता है, समय के साथ-साथ तस्वीरों को खींचने की तकनीक में भी इजाफा हुआ है और लोग अक्सर अपने स्मार्टफोन से जगह-जगह की बेहतरीन तस्वीरें खींचते रहते हैं और फिर उसे एडिट करके और भी ज्यादा अत्याधुनिक बना देते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि आज हम इसका जिक्र क्यों कर रहे हैं। दरअसल, 19 अगस्त को विश्व फोटोग्राफी दिवस मनाया जाता है। लेकिन इसके पीछे का इतिहास क्या आप लोगों को पता है तो चलिए आपको इससे जुड़ा हुआ इतिहास बता देते हैं।
विश्व फोटोग्राफी दिवस की शुरुआत साल 2010 में हुई थी लेकिन फोटोग्राफी का इतिहास काफी पुराना है। फ्रांस के जोसेफ नाइसफोर और लुइस डॉगेर ने दुनिया की पहली फोटोग्राफी प्रक्रिया को जनवरी, 1839 में विकसित किया था। जिसे हम डॉगोरोटाइप प्रक्रिया के तौर पर जानते हैं और फिर अगस्त, 1839 में फ्रांस सरकार ने आविष्कार बताते हुए इसकी घोषणा की थी और अगस्त का वो 19वां दिन था। इसी वजह से 19 अगस्त के दिन को विश्व फोटोग्राफी दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
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विश्व फोटोग्राफी दिवस के मौके पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के साथ-साथ अलग-अलग जगहों पर कई आयोजनों का हिस्सा ले सकते हैं। इसके लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर विश्व फोटोग्राफी दिवस हैशटैग के साथ तस्वीरों को पोस्ट करना है। इसके अलावा भी कई एग्जीबिशन भी हो रहे हैं।
'A picture can say thousand words' इस कहावत को आप सभी ने सुना तो है ही और इसे चरितार्थ भी किया होगा। हमारे आस-पास कई सारी चीजें हो रही होती हैं लेकिन हम उसे शब्दों में बयां करने के लिए उतने शब्द नहीं होते जितने में उसे समझाया जा सके। एक तस्वीर हजार शब्दों को कहने की क्षमता रखती है और हमने कई बड़े-बड़े घटनाक्रमों में देखा भी है कि तस्वीरों ने अपनी पूरी कहानी बयां की है।
- अनुराग गुप्ता
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