World Lung Cancer Day 2024: लंग कैंसर क्या है? इसके कौन-कौन से लक्षण हैं? इससे बचाव के उपाय कितने कारगर हैं?

World Lung Cancer Day 2024
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कमलेश पांडे । Aug 1 2024 12:26PM

आम तौर पर लंग कैंसर मनुष्य के फेफड़ों में उत्पन्न होने वाला एक दर्दनाक कैंसर है जो अनियंत्रित कोशिका वृद्धि के कारण होता हुआ पाया जाता है। मसलन, यह कोशिकाएं एक ट्यूमर का निर्माण करती हैं जो फेफड़ों के सामान्य कार्य में बाधा डालता है।

आधुनिक जीवन शैली के बीच लंग कैंसर एक गंभीर और व्यापक जनस्वास्थ्य समस्या बन चुकी है। इसलिए लंग कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाना और इसके प्रति सतर्क रहना किसी भी व्यक्ति विशेष के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

सवाल है कि लंग कैंसर क्या है? इसका लक्षण क्या-क्या है? इससे बचाव के उपाय क्या-क्या है? यह जानना समझना अब सबके लिए जरूरी है, ताकि इस भयानक बीमारी से बचा जा सके।

आम तौर पर लंग कैंसर मनुष्य के फेफड़ों में उत्पन्न होने वाला एक दर्दनाक कैंसर है जो अनियंत्रित कोशिका वृद्धि के कारण होता हुआ पाया जाता है। मसलन, यह कोशिकाएं एक ट्यूमर का निर्माण करती हैं जो फेफड़ों के सामान्य कार्य में बाधा डालता है। चिकित्सा विशेषज्ञों के मुताबिक, लंग कैंसर दो प्रमुख प्रकारों में विभाजित होता है, जिसमें पहला, स्मॉल सेल लंग कैंसर (एससीएलसी) है जो तेजी से बढ़ता और फैलता है। वहीं दूसरा, नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (एनएससीएलसी) है, जो धीरे-धीरे बढ़ता है और अधिक सामान्य होता है। इसलिए जब तक इसकी पहचान किसी को हो पाती है तबतक बहुत देर हो चुकी होती है।

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जहां तक लंग कैंसर के लक्षण की बात है तो इस बीमारी के संकेत मरीज को प्रारम्भ से ही मिलने लगते हैं। इस रोग के विशेषज्ञ चिकित्सक बताते हैं कि अक्सर शुरुआती चरणों में लंग कैंसर के लक्षण और संकेत स्पष्ट नहीं होते हैं। लेकिन कुछ सामान्य लक्षणों में मरीज को लगातार खांसी आना, खांसी होते होते उसमें खून आ जाना, सांस लेने की कमी, सीने में कभी हल्का तो कभी तेज दर्द, रोगी की आवाज में बदलाव या कर्कशता और वजन में अनपेक्षित कमी देखी जाती है। इसलिए इससे पीड़ित व्यक्ति को चाहिए कि जब उसे बताए हुए उपर्युक्त लक्षणों की उपस्थिति महसूस हो तो  तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए और अविलंब अपनी चिकित्सा शुरू करवानी चाहिए।

जहां तक लंग कैंसर के कारण की बात है और उससे जुड़े जोखिम कारक का सवाल है तो यहां पर यही कहा जा सकता है कि लंग कैंसर के कई कारण और जोखिम कारक हो सकते हैं, जिनमें धूम्रपान, दूसरे के हाथ का धूम्रपान, रेडॉन गैस, वातावरणीय प्रदूषण और आनुवंशिकी आदि को प्रमुख करार दिया जाता है। 

पहला, धूम्रपान को लंग कैंसर का सबसे प्रमुख कारण ठहराया जाता है। क्योंकि तम्बाकू में मौजूद हानिकारक रसायन फेफड़ों की कोशिकाओं को धीरे-धीरे भारी क्षति पहुँचाते हैं। इसलिए समझदार व्यक्ति इससे परहेज करते हैं।

दूसरा, दूसरे के हाथ के धूम्रपान को भी इसका प्रमुख कारण बताया जाता है। क्योंकि वैसे लोग जो स्वयं धूम्रपान नहीं करते हैं, लेकिन धूम्रपान करने वाले के पास बैठे या चलते रहते हैं, जिससे उन्हें भी लंग कैंसर का खतरा हो जाता है। इसलिए धूम्रपान यानी बीड़ी, सिगरेट, गांजा, चरस आदि का सेवन करने वाले व्यक्ति से, वैसा न करने वाले व्यक्ति को दूरी बनाकर चलनी चाहिए। 

तीसरा, रेडॉन गैस जो एक प्राकृतिक रेडियोधर्मी गैस है। यह पृथ्वी की सतह के नीचे से निकलती है और घरों में संचित हो सकती है। इसलिए बंद घरों को खोलने के  तुरंत बाद उसमें प्रवेश नहीं करना चाहिए। इसी तरह से मिट्टी के घर में ज्यादा देर तक नहीं ठहरना चाहिए। इससे लंग कैंसर होने की संभावना रहती है।

चतुर्थ, वातावरणीय प्रदूषण भी लंग कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है। क्योंकि वायु प्रदूषण, विशेषकर औद्योगिक और यातायात से संबंधित प्रदूषण में मौजूद सूक्ष्म कण व्यक्ति विशेष के फेफड़े को हानि पहुंचाते रहते हैं, जिससे किसी को भी लंग कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है।

पंचम, आनुवांशिकी को भी लंग कैंसर का एक बड़ा और महत्वपूर्ण कारण समझा जाता है। क्योंकि यदि किसी व्यक्ति के परिवार में लंग कैंसर का इतिहास मौजूद है तो उस व्यक्तिविशेष में भी लंग कैंसर का जोखिम को बढ़ सकता है। इसलिए रोगी को अपने पारिवारिक रोग हिस्ट्री से भी अवगत रहना चाहिए और विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।

जहां तक लंग कैंसर के निदान की बात है तो इसका निदान विभिन्न परीक्षणों और प्रक्रियाओं के माध्यम से किया जाता है। इसके लिए चिकित्सक गण छाती का एक्सरे, सीटी स्कैन, बायोप्सी, स्पूटम साइटोलॉजी आदि का सहारा लेकर लंग कैंसर की पहचान सुनिश्चित करते हैं। पहला, छाती का एक्स-रे प्रारंभिक रूप से लंग कैंसर के संकेतों की जांच के लिए करवाया जाता है। इसे करवाकर चिकित्सक समझ लेते हैं कि बीमारी किस स्टेज में है। दूसरा सीटी स्कैन के माध्यम से फेफड़े की विस्तृत और स्पष्ट चित्र प्राप्त करने के बाद चिकित्सक अपने पेशेवर अनुभव के आधार पर यह बताते हैं कि लंग कैंसर कितना गम्भीर हो चुका है। तीसरा, बायोप्सी के माध्यम से चिकित्सक गण कैंसर कोशिकाओं की पुष्टि करते हैं और इसके उपरांत इलाज करते हैं। चतुर्थ,  स्पूटम साइटोलॉजी के माध्यम से चिकित्सक गण खांसी से निकले बलगम की जांच करवाते हैं। इसके उपरांत यह निर्णय लेते हैं कि अब क्या करना है।

जहां तक लंग कैंसर के उपचार की बात है तो इसका उपचार उसके प्रकार, चरण यानी स्टेज और मरीज की सामान्य स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करता है। सामान्यतया उपचार विकल्पों में सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी, लक्षित थेरेपी का प्रयोग शामिल हैं।

पहला, सर्जरी के दौरान शल्य चिकित्सक को कैंसरयुक्त ट्यूमर को हटाना पड़ता है। यदि सर्जरी सफल हो गई तो रोगी स्वस्थ हो जाता है और अपेक्षित सावधानी बरतता है।

दूसरा, रेडिएशन थेरेपी के दौरान चिकित्सक उच्च ऊर्जा किरणों का प्रयोग कर कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं को नष्ट करता है। इससे लंग कैंसर जल्दी और बिना दर्द दिए ठीक हो जाता है। तीसरा, कीमोथेरेपी के दौरान कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए चिकित्सक के द्वारा दवाओं का प्रयोग किया जाता है, जो अबतक कारगर साबित होती आई हैं। चतुर्थ, लक्षित थेरेपी के क्रम में चिकित्सक विशेष रूप से कैंसर कोशिकाओं को लक्षित करने वाली दवाएं देते हैं, जिससे रोगी जल्द ठीक हो जाता है।

जहां तक लंग कैंसर के रोकथाम की बात है तो इसको रोकने के लिए धूम्रपान को छोड़ना, रेडॉन गैस की जांच, स्वस्थ जीवनशैली अपनाना और वायु प्रदूषण से बचाव के तौर-तरीके को अपनाना सरीखे महत्वपूर्ण उपाय किए जा सकते हैं। पहला, धूम्रपान छोड़ना का तातपर्य यह है कि यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो इसे अविलम्ब छोड़ने का प्रयास करें। इसके अलावा, धूम्रपान न करने वालों को धूम्रपान करने वाले लोगों के आसपास रहने से भी बचना चाहिए। अन्यथा आप लंग कैंसर से ग्रसित हो सकते हैं। दूसरा, रेडॉन गैस की जांच का मतलब यह है कि किसी व्यक्ति के घर में रेडॉन गैस का स्तर क्या है, इसकी जांच करवाएं और फिर उससे सम्बन्धित आवश्यक उपाय करें।

तीसरा, स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं से अभिप्राय यह है कि रोगी संतुलित आहार ले, नियमित व्यायाम करे और पर्याप्त नींद लें। यदि वह ऐसा करेगा तो जल्द स्वस्थ हो सकता है।

चतुर्थ, वायु प्रदूषण से बचाव का तातपर्य यह है कि जितना संभव हो, वायु प्रदूषण से बचें और हमेशा मास्क पहनें। इससे आप लंग कैंसर से बचे रह सकते हैं।

जहां तक लंग कैंसर से जुड़ी जनजागरूकता और शिक्षा की बात है तो इसके प्रति जनजागरूकता बढ़ाने के लिए इससे सम्बन्धित शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना बेहद महत्वपूर्ण है। लिहाजा, हमें शिक्षा कार्यक्रम, मीडिया कैंपेन और स्वास्थ्य जांच कैंप आयोजित करवाने जैसे आवश्यक कदम उठाने चाहिए। पहला, शिक्षा कार्यक्रम के तहत स्कूलों, कॉलेजों, और कार्यस्थलों पर शिक्षा कार्यक्रमों का आयोजन करते रहना चाहिए, ताकि छात्र महत्वपूर्ण बातें सीखकर अपने घर-परिवार और गांव-समाज के लोगों को जागरूक कर सकें। दूसरा, मीडिया कैंपेन के तहत टेलीविजन, रेडियो, और सोशल मीडिया के माध्यम से जनजागरूकता फैलाते रहना चाहिए। क्योंकि चिकित्सा क्षेत्र में अक्सर कहा जाता है कि परहेज से ही रोग का स्थायी निदान सम्भव है। तीसरा, स्वास्थ्य जांच कैंप के तहत लोगों के नियमित स्वास्थ्य जांच और सलाहकार शिविरों का आयोजन करके लंग कैंसर के बारे में सचेत किया जा सकता है।

निष्कर्षत: यह प्रतीत होता है कि लंग कैंसर भले ही एक गंभीर और दर्दनाक बीमारी है, लेकिन उचित समय पर इसका समुचित निदान करके इससे बचा जा सकता है, जबकि सटीक उपचार के साथ इसे नियंत्रित भी किया जा सकता है। इसलिए हमें अपने स्वास्थ्य के बारे में सदैव  जागरूक रहना चाहिए और समय-समय पर अपना स्वास्थ्य जांच करवाते रहना चाहिए। मौजूदा दुनियादारी में सबसे महत्वपूर्ण बात धूम्रपान को छोड़ना, धूम्रपान करने वालों के साथ को छोड़ने और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर कोई भी व्यक्ति लंग कैंसर के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकता है। हम सबको पता है कि हमारा स्वास्थ्य खुद हमारे अपने हाथों में ही है। इसलिए चलिए, आज से ही एक स्वस्थ और धूम्रपान मुक्त जीवन शैली की ओर पहला कदम बढ़ाएं और अन्य लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करें।

- कमलेश पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार

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