केजरीवाल का इस्तीफा का ऐलान: शराब नीति मामले में ‘ईमानदारी’ का बचाव या सियासी चाल?

Arvind Kejriwal
ANI
अजय कुमार । Sep 16 2024 4:17PM

दिल्ली आबकारी नीति मामले में केजरीवाल की जमानत मिलने के बाद, उन्होंने 15 सितम्बर को आम आदमी पार्टी (AAP) के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि दो दिन बाद वह मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने जा रहे हैं।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में एक ऐसा कदम उठाया है जिसने राजनीतिक पंडितों को चौंका दिया है। सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की घोषणा की है। यह निर्णय एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा प्रतीत होता है, जो न केवल उनकी राजनीतिक छवि को प्रभावित करेगा, बल्कि दिल्ली की राजनीति में भी नया मोड़ ला सकता है।

दिल्ली आबकारी नीति मामले में केजरीवाल की जमानत मिलने के बाद, उन्होंने 15 सितम्बर को आम आदमी पार्टी (AAP) के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि दो दिन बाद वह मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने जा रहे हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह तब तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे जब तक जनता उन्हें फिर से चुनकर भेजेगी। यह निर्णय, हालांकि बहुत से लोगों के लिए एक आश्चर्य की बात हो सकता है, लेकिन यह उनकी रणनीतिक सोच का एक हिस्सा है। इस कदम के पीछे उनका उद्देश्य राजनीतिक परिदृश्य में अपनी ईमानदारी की छवि को और मजबूत करना और दिल्ली की राजनीति में अपनी स्थिति को पुनः स्थापित करना है।

इसे भी पढ़ें: Congress नेता जिसने केजरीवाल से इस्तीफे का ऐलान करवा दिया! क्या है वो फुलप्रूफ प्लान

अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी ने अन्ना हज़ारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से उभरकर राजनीति में प्रवेश किया था। इस आंदोलन ने उन्हें एक ईमानदार और भ्रष्टाचार विरोधी नेता के रूप में स्थापित किया। आम आदमी पार्टी ने स्वयं को ईमानदारी और पारदर्शिता का प्रतीक माना है। इस संदर्भ में, दिल्ली शराब नीति मामले को लेकर विपक्ष, खासकर बीजेपी, ने लगातार पार्टी और केजरीवाल की छवि पर सवाल उठाए हैं। बीजेपी ने बार-बार केजरीवाल के इस्तीफे की मांग की थी और आरोप लगाया था कि उनकी सरकार ने भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है।

हालांकि, केजरीवाल की जमानत के बाद अधिकांश गिरफ्तार किए गए नेताओं को भी जमानत मिल चुकी है, और आम आदमी पार्टी ने इस पर न केवल अपना पक्ष रखा है, बल्कि यह भी दिखाया है कि शराब नीति मामले में कई मुद्दे हैं। पार्टी इस तरह की स्थितियों को जनता के बीच यह संदेश देने के लिए उपयोग कर रही है कि यह मामला राजनीति से प्रेरित हो सकता है और नेताओं को गलत तरीके से फंसाने की कोशिश की जा रही है। इस दृष्टिकोण से, केजरीवाल का इस्तीफा एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, जो उनकी पार्टी के नैरेटिव को मजबूत करने का प्रयास है।

केजरीवाल ने अपने इस्तीफे के फैसले के साथ यह भी कहा है कि उनके पास केवल उनकी ईमानदारी है, और उनके बैंक खाते खाली हैं। उन्होंने यह तर्क किया कि उनका उद्देश्य कभी भी पद और धन के लालच से प्रेरित नहीं रहा। इसके बजाय, उनका प्राथमिक उद्देश्य देश और समाज की सेवा करना है। उनके अनुसार, उनका यह निर्णय जनता के अदालत में अपनी ईमानदारी का परीक्षण कराने का एक तरीका है। वे जनता से यह पूछना चाहते हैं कि क्या वे उन्हें ईमानदार मानते हैं या गुनहगार।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए जमानत आदेश के तहत, केजरीवाल को कुछ शर्तों के साथ जमानत दी गई है। उनमें से एक यह है कि वह अपने दफ्तर या सचिवालय में नहीं जा सकते और केवल उन फाइलों पर साइन कर सकते हैं जिन्हें उपराज्यपाल के पास अनुमोदन के लिए भेजा जाना है। इस स्थिति में, केजरीवाल को दिल्ली में अपनी कार्यशैली और प्रशासनिक स्वतंत्रता को लेकर सीमित जगह मिल रही है। इसके चलते, उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला किया और विधानसभा भंग करने की सिफारिश की है ताकि जल्दी चुनाव कराए जा सकें।

केजरीवाल ने यह भी मांग की है कि दिल्ली में विधानसभा चुनाव फरवरी 2025 के बजाय नवंबर 2024 में कराए जाएं। उनका मानना है कि नवंबर में महाराष्ट्र और झारखंड के साथ चुनाव कराने से बीजेपी को इन राज्यों की सियासत में व्यस्त रहना पड़ेगा और दिल्ली विधानसभा चुनाव पर ध्यान नहीं दे पाएगी। इस रणनीति का उद्देश्य आम आदमी पार्टी को सियासी लाभ दिलाना है और बीजेपी को अपनी चुनावी योजनाओं पर फिर से विचार करने पर मजबूर करना है।

अरविंद केजरीवाल का इस्तीफा एक तरह से बीजेपी और कांग्रेस को भी हैरत में डालने वाला है। खासकर हरियाणा में विधानसभा चुनावों के समय केजरीवाल का इस्तीफा और उनका राजनीतिक सन्देश यह दर्शाता है कि आम आदमी पार्टी किसी भी राजनीतिक स्थिति का फायदा उठाने के लिए तत्पर है। केजरीवाल के इस्तीफे के साथ-साथ मनीष सिसोदिया ने भी चुनाव तक किसी भी पद को ग्रहण नहीं करने का निर्णय लिया है, जो इस बात को प्रमाणित करता है कि पार्टी अपनी ईमानदारी की छवि को बनाए रखने के लिए गंभीर है।

इससे पहले लोकसभा चुनाव के दौरान, केजरीवाल ने भी कुछ प्रमुख राजनीतिक दांव खेले थे और बीजेपी के नेताओं को सफाई देने के लिए मजबूर किया था। अब, हरियाणा और अन्य राज्यों में चुनाव के साथ, केजरीवाल का यह कदम निश्चित रूप से राजनीतिक पिच पर नया मोड़ ला सकता है। उनके इस्तीफे के साथ, वे दिल्ली की राजनीति में एक नया नैरेटिव सेट करने के लिए तैयार हैं, जिससे यह साबित हो सके कि उनकी पार्टी और वे व्यक्तिगत रूप से ईमानदारी और सच्चाई के प्रति प्रतिबद्ध हैं।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़