BJP और कांग्रेस की योजनाओं का लाभ उठाने वाले भी हैं मुफ्तखोर !

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दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों में रिकॉर्ड जीत दर्ज करने वाली आम आदमी पार्टी ने यह तो दर्शा दिया कि अच्छी चुनावी रणनीति हमेशा कारगर साबित होती है। दिल्ली के चुनावों में मुफ्तखोर शब्द सबसे ज्यादा आम आदमी पार्टी के खिलाफ इस्तेमाल किया गया। चाहे भाजपा हो या फिर कांग्रेस कोई भी इससे अछूता नहीं रहा है।

दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों में रिकॉर्ड जीत दर्ज करने वाली आम आदमी पार्टी ने यह तो दर्शा दिया कि अच्छी चुनावी रणनीति हमेशा कारगर साबित होती है। जरूरी नहीं कि खरगोश की रफ्तार से ही आगे बढ़ें कभी कछुए की तरह भी काम करना पड़ता है। लेकिन एक सवाल जो सबसे ज्यादा आज के जगत की आवाज मानी जाने वाले सोशल मीडिया में गूंज रही है उस पर बातचीत करेंगे। 

क्या दिल्ली की जनता मुफ्तखोर है ?

दिल्ली के चुनावों में मुफ्तखोर शब्द सबसे ज्यादा आम आदमी पार्टी के खिलाफ इस्तेमाल किया गया। चाहे भाजपा हो या फिर कांग्रेस कोई भी इससे अछूता नहीं रहा है। आम आदमी पार्टी की जीत के बाद मुफ्तखोर शब्द का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया गया। एक तरफ नेता अरविंद केजरीवाल को बधाई दे रहे थे तो दूसरी तरफ मुफ्तखोरों की जीत हुई ऐसा तंज भी कस रहे थे। 

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अगर हम दिल्ली को ध्यान से देखें तो पाएंगे कि दिल्लीवासियों को मुफ्त की सुविधाएं देने के बावजूद पिछले पांच सालों में दिल्ली सरकार का खजाना बढ़ रहा है। इतना ही नहीं सकल घरेलू उत्पाद यानी की जीडीपी के मामले में सबसे तेजी से बढ़ने वालों राज्यों में से एक है। पिछले पांच सालों में GDP में 11 फीसदी से अधिक की बढ़त हुई है।

भाजपा की सरकार बनने के बाद भी दिल्लीवासी मुफ्तखोर होते ?

ये तो अतिशयोक्ति से कम नहीं है। क्योंकि भाजपा ने अपने संकल्पपत्र में कई चीजें मुफ्त में देने की घोषणा की थी। संकल्पपत्र में 200 यूनिट बिजली मुफ्त, 20 हजार लीटर पानी मुफ्त, गरीबों को 2 रुपए प्रति किलो आटा, 9वीं कक्षा के छात्रों को साइकिल, कॉलेज जाने वाली छात्राओं को इलेक्ट्रिक स्कूटी, गरीबों की लड़कियों के अकाउंट में 2 लाख रुपए, गरीब विधवा की बेटी की शादी के लिए 51 हजार रुपए जैसी तमाम घोषणाएं और आप की सभी मुफ्त योजनाएं भी जारी रखेंगे... तो बताईये अगर दिल्ली में आम आदमी पार्टी की जगह भाजपा जीतती तो क्या दिल्लीवासी मुफ्तखोर होते।

क्योंकि हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने तो मुफ्तखोरी की जीत बताई और केजरीवाल की जीत को गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने लोकलुभावन घोषणाओं का परिणाम बताया। 

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तो मेरे प्यारे सोशल मीडिया यूजर्स आप सबसे बस इतना कहना है कि मुफ्त का ज्ञान सुनने से पहले मुफ्त की योजनाओं को पढ़ लें और उसे समझ लें क्योंकि कोई भी नेता इससे अछूता नहीं है।

क्या कांग्रेस ने मुफ्त की बात नहीं कही थी ?

कांग्रेस की बात ही क्या करना जिसका नतीजा ही शून्य हो उसके वादों पर क्या जाएं। लेकिन सुन लो आप लोग क्योंकि जानकारियों का होना जरूरी है। ताकि अब कोई आपको मुफ्तखोर कहे तो आप मुंह बिचकाने की जगह उसे योजनाएं गिना सकें।

कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में 300 यूनिट तक बिजली मुफ्त, छोटे दुकानदारों को 200 यूनिट बिजली, सभी वृद्धों-विधवाओं और दिव्यांगों को 2500 से बढ़ाकर 5000 रुपए की पेंशन, बेटियों को पीएचडी स्तर तक की शिक्षा निःशुल्क और बेरोजगार को बेरोजगारी भत्ता देने की भी बात कही थी। मुफ्त के साथ-साथ कैशबैक की भी बात कही थी।

ये सब भी छोड़िए आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ने से पहले किसानों को 6,000 रुपए सालाना किसान सम्मान निधि के रूप में देने की बात कही थी, उज्जवला योजना के तहत गरीब परिवारों को मुफ्त सलेंडर मुहैया कराया, आयुष्मान भारत योजना के तहत 50 करोड़ लोगों को 5 लाख रुपए तक की स्वास्थ्य सुविधाएं दीं तो क्या इन तमाम योजनाओं का लाभ लेने वाले लोग भी दिल्लीवासियों की तरह मुफ्तखोर हैं ? सोचिएगा क्योंकि इन योजनाओं में से किसी एक योजना का लाभ तो आप भी उठा चुके होंगे तो क्या आप मुफ्तखोर हैं। 

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ये भी जाने दीजिए... वसुधैव कुटुंबकम की बात करते हैं हम यानि कि विश्व एक है। ऐसे में अच्छी चीजें ग्रहण करना अच्छा आचरण माना जाता है। जर्मनी, स्वीडन और नार्वे जैसे देशों में अंडर ग्रेजुएट तक की शिक्षा मुफ्त है । डेनमार्क और फिनलैंड में तो हायर एजुकेशन की सुविधाएं मुफ्त में दे रखी हैं। इसके अलावा कई ऐसे भी देश हैं जो बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी सुविधा अपने देशवासियों को मुफ्त में देते हैं। 

जब ये देश अपनी जनता को ऐसी सुविधाएं दे सकते हैं तो फिर हमारे हिन्दुस्तान की जनता को सरकार द्वारा मिल रही सुविधाएं मुफ्तखोरी की कैसे हुईं ?

दिल्ली की जनता तो इस बात से खुश है कि हमने जो टैक्स भरा, उसका फायदा सरकार हमें सुविधाओं के तौर पर मुहैया करा रही है। जब हमारे संवाददाता जनता के बीच पहुंचे तो उनमें से कुछ लोगों ने कहा कि सरकार का काम कोई बिजनेस करना नहीं है और जो भी पैसा उनके पास आता है उन्हें वह पैसा सुविधाओं के तौर पर जनता को वापस करना चाहिए और यही काम देश की तमाम सरकारों ने किया है।

चाहे वो किसानों की कर्ज माफी के तौर पर हो या फिर छात्र-छात्राओं को लैपटॉप बांटकर या फिर बुजुर्ग दम्पत्तियों को चारों धाम की यात्रा कराने जैसे तरीको से इत्यादि... तो भईया अगर दिल्ली की जनता मुफ्तखोर है तो अलग-अलग तरह की योजनाओं का लाभ उठाने वाले लोग भी मुफ्तखोर हैं। 

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