Lockdown के 31वें दिन रिकॉर्ड 1,752 नए मामले सामने आए, अब तक 743 मरे

coronavirus

कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये लागू लॉकडाउन में 20 अप्रैल से ढील मिलने के बाद महाराष्ट्र में 559 औद्योगिक इकाइयों ने परिचालन शुरू कर दिया है। उधर, पंजाब में करीब एक हजार इकाइयों को परिचालन शुरू करने की इजाजत दी गयी है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सशस्त्र बलों के शीर्ष कमांडरों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि देश का ध्यान कोरोना वायरस महामारी से निपटने पर केंद्रित रहने के दौरान विरोधियों को अपने नापाक इरादों पर आगे बढ़ने का कोई मौका नहीं मिलने पाए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एक उच्च स्तरीय बैठक में सिंह ने सशस्त्र बलों की तैयारियों की समीक्षा की। सिंह ने सशस्त्र बलों से फिजूल खर्च से बचने और देश की अर्थव्यवस्था पर महामारी के प्रतिकूल प्रभाव के मद्देनजर वित्तीय संसाधनों का समुचित उपयोग सुनिश्चित करने को कहा। वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने सिंह को जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा के साथ ही चीन से लगी 3,500 किलोमीटर लंबी सीमा की स्थिति से अवगत कराया। नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने रक्षा मंत्री को हिंद महासागर क्षेत्र की स्थिति के बारे में जानकारी दी जहां चीन युद्धपोतों और पनडुब्बियों की तैनाती बढ़ा रहा है। अधिकारियों ने कहा कि इस क्षेत्र में लगभग सभी देशों का ध्यान कोरोना वायरस महामारी से निपटने पर होने के बावजूद जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों को भेजने का पाकिस्तान का प्रयास जारी है। जम्मू-कश्मीर पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने बुधवार को कहा था कि पाकिस्तान कोविड-19 संक्रमित आतंकवादियों को कश्मीर भेज रहा है ताकि घाटी के लोगों में बीमारी फैल सके। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सिंह ने उम्मीद जतायी कि कोरोना वायरस से मुकाबला करते हुए सेनाएं सुनिश्चित करेंगी कि विरोधियों को मौजूदा स्थिति का फायदा उठाने का मौका न मिले। बैठक में नौसेना प्रमुख के अलावा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे, वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया, रक्षा सचिव अजय कुमार और सचिव रक्षा (वित्त) गार्गी कौल ने भी भाग लिया। सेना, नौसेना और भारतीय वायु सेना की प्रमुख कमानों के शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बैठक में भाग लिया। अधिकारियों ने बताया कि सिंह ने शीर्ष सैन्य कमांडरों को ऐसे कार्यों और परियोजनाओं की पहचान करने को कहा जिनसे लॉकडाउन हटने के बाद अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार में सहायता मिल सकती है।

देश में कोविड-19 ने ली 723 जानें

देश में कोरोना वायरस महामारी के कारण गुरुवार से आज तक 37 और लोगों की जान जाने के साथ ही, कोविड-19 से मरने वालों की संख्या बढ़कर 723 पहुंच गई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक शुक्रवार को कोरोना वायरस संक्रमण के रिकॉर्ड 1,752 नए मामले सामने आए जिन्हें मिलाकर संक्रमित लोगों की कुल संख्या 23,452 पहुंच गई। इससे पहले 20 अप्रैल को एक दिन में सबसे ज्यादा 1,540 मामले सामने आए थे। मंत्रालय ने कहा देश में अभी 17,915 कोविड-19 मरीजों का इलाज चल रहा है जबकि 4,813 लोगों को ठीक होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई तथा एक व्यक्ति विदेश चला गया। मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि अत: अब तक करीब 20.52 प्रतिशत मरीज ठीक हो चुके हैं। भारतीय आयुर्विज्ञान शोध परिषद (आईसीएमआर) ने कहा कि 24 अप्रैल को सुबह नौ बजे तक 23,502 नमूने संक्रमित पाए गए थे। स्वास्थ्य मंत्रालय के 23,452 मरीजों के आंकड़े में 77 विदेशी नागरिक भी शामिल हैं। मंत्रालय के आंकड़ों में कहा गया कि गुरुवार की शाम से कुल 37 लोगों की मौत इस बीमारी से हुई है। इनमें से 14 मरीजों की जान महाराष्ट्र में, नौ की गुजरात में, तीन की उत्तर प्रदेश में, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना में दो-दो और कर्नाटक में एक मरीज की जान गई है। अब तक हुई कुल 723 मौत में से महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 283 लोगों की जान गई है। उसके बाद गुजरात में 112, मध्य प्रदेश में 83, दिल्ली में 50, आंध्र प्रदेश में 29, राजस्थान में 27 और तेलंगाना में 26 लोगों की मौत हुई है। उत्तर प्रदेश में मरने वालों की संख्या 24 तक पहुंच गई है जबकि तमिलनाडु में 20 और कर्नाटक में 18 लोग इस बीमारी से जान गंवा चुके हैं। मंत्रालय के मुताबिक, पंजाब में 16 लोगों की मौत इस बीमारी से हुई है जबकि पश्चिम बंगाल में 15 जान गई हैं। कोविड-19 से जम्मू-कश्मीर में पांच, केरल, झारखंड और हरियाणा में तीन-तीन मौत हुई हैं। मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में दो लोगों की मौत हुई जबकि मेघालय, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा और असम में एक-एक व्यक्ति की जान इस बीमारी से गई। हालांकि विभिन्न राज्यों में दर्ज किये गए आंकड़ों के हिसाब से तालिका के मुताबिक, शुक्रवार तक कुल 23,577 संक्रमण के मामले सामने आए जबकि 743 लोगों की इस बीमारी से जान जा चुकी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और राज्यों द्वारा घोषित मौत के आंकड़ों के एक जैसे न होने की वजह अधिकारियों के मुताबिक हर राज्य के मामलों के आकलन में होने वाली प्रक्रियागत देरी है। मंत्रालय के शाम को अद्यतन किये गए आंकड़े के मुताबिक देश में सबसे ज्यादा संक्रमण के मामले महाराष्ट्र से आए हैं जहां संक्रमित लोगों की कुल संख्या 6,430 है इसके बाद गुजरात में 2,624, दिल्ली में 2,376, राजस्थान में 1,964, मध्य प्रदेश में 1,852 और तमिलनाडु में 1,683 मामले सामने आए हैं। उत्तर प्रदेश में कोविड-19 के मरीजों की संख्या बढ़कर 1,604 हो गई है जबकि तेलंगाना में 984 तो आंध्र प्रदेश में 955 मरीज मिले हैं। पश्चिम बंगाल में संक्रमण के 514 मामले सामने आए हैं तो कर्नाटक में इनकी संख्या 463 है, केरल में 448 और जम्मू कश्मीर में 427 मामले मिले हैं। पंजाब में 277 तो हरियाणा में 272 कोविड-19 के मामले सामने आए हैं। बिहार में कोरोना वायरस के 176 मामले आए हैं जबकि ओडिशा में 90 लोग संक्रमित मिले हैं। झारखंड में 55 और उत्तराखंड में संक्रमण के 47 मामले सामने आए हैं। हिमाचल प्रदेश में अब तक 40 मरीज मिले हैं जबकि छत्तीसगढ़ और असम में 36-36 संक्रमित मरीज मिले हैं। मंत्रालय के मुताबिक, चंडीगढ़ में 27, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में 22 और लद्दाख में 18 मामले सामने आए हैं। मेघालय में कोविड-19 के 12 मामले मिले हैं जबकि गोवा और पुडुचेरी में सात-सात लोगों में इसकी पुष्टि हुई है। मणिपुर और त्रिपुरा में दो-दो मामले मिले हैं जबकि मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश में एक-एक व्यक्ति में संक्रमण मिला है। मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर कहा, “हमारे आंकड़े आईसीएमआर के साथ सामंजस्य स्थापित कर रहे हैं।”

इसे भी पढ़ें: मुस्लिम युवाओं को कट्टर बना रहा है तबलीगी जमात, ऐसे संगठन प्रतिबंधित होने चाहिए

अहमदाबाद, सूरत, हैदराबाद, चेन्नई में स्थिति खास तौर पर गंभीर

केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण फैलने से पैदा हुई स्थिति अहमदाबाद, सूरत, हैदराबाद और चेन्नई सहित बड़े या उभरते हॉटस्पॉट इलाकों में खास तौर पर गंभीर है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि देश के कुछ हिस्सों में लॉकडाउन दिशानिर्देशों का उल्लंघन पाया जाना लोगों के स्वास्थ्य के लिये एक गंभीर खतरा है और इसकी वजह से कोरोना वायरस संक्रमण फैल सकता है। बयान में कहा गया है, ‘‘बड़े हॉटस्पॉट जिलों या उभरते हॉटस्पॉट शहरों, जैसे कि अहमदाबाद और सूरत (गुजरात), ठाणे (महाराष्ट्र), हैदराबाद (तेलंगाना) और चेन्नई (तमिलनाडु) में स्थिति विशेष रूप से गंभीर है।’’ उल्लेखनीय है कि ‘हॉटस्पॉट’ कोरोना वायरस से अत्यधिक प्रभावित क्षेत्र को कहा जा रहा है। केंद्र सरकार ने देश में कोविड-19 हॉटस्पॉट जिलों में जमीनी स्थिति का जायजा लेने के लिये 10 अंतर-मंत्रालयीय केंद्रीय टीम (आईएमसीटी) गठित की है। इनमें से पांच टीमें अहमदाबाद, सूरत (दोनों गुजरात में), ठाणे (महाराष्ट्र), हैदराबाद (तेलंगाना) और चेन्नई (तमिलनाडु) में मुआयना कर रही हैं। वहीं, पहले गठित की गई टीमें मुंबई, पुणे (दोनों महाराष्ट्र में), इंदौर (मध्य प्रदेश), जयपुर (राजस्थान) और पश्चिम बंगाल (कोलकाता और उससे लगे जिलों के लिये एक टीम तथा दूसरी टीम उत्तर बंगाल) के लिये हैं। गृह मंत्रालय ने कहा कि देश के कुछ जिलों में लॉकडाउन दिशानिर्देशों के उल्लंघन के कई मामले सामने आये हैं, जिनसे स्वास्थ्य को गंभीर खतरा पैदा हो रहा है और कोरोना वायरस संक्रमण फैलने का खतरा भी उत्पन्न हो रहा है। इस तरह, ये उल्लंघन आम लोगों के हितों के खिलाफ हैं। मंत्रालय ने कहा, ‘‘इन उल्लंघनों में अग्रिम मोर्चे पर तैनात स्वास्थ्यकर्मियों से हिंसा, पुलिसकर्मियों पर हमले, बाजारों में सामाजिक मेल जोल से दूरी और पृथक-वास स्थापित करने का विरोध आदि शामिल है।’’ मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि यदि इस तरह की घटनाएं हॉटस्पॉट जिलों या उभरते हॉटस्पॉट स्थलों में या संक्रमण के अत्यधिक प्रसार संभावित इलाकों में बगैर किसी रोक-टोक के जारी रहने दी गई तो यह देश के लोगों के स्वास्थ्य के लिये एक गंभीर खतरा पैदा करेंगी। आईएमसीटी केंद्र सरकार की विशेषज्ञता का उपयोग करेगी और कोविड-19 के प्रसार को प्रभावी रूप से रोकने तथा संक्रमण से निपटने की राज्यों की कोशिशों को मजबूत करेगी। मंत्रालय ने कहा कि ये टीमें मौके पर स्थिति का आंकलन करेगी और इसके समाधान के लिये राज्य प्राधिकारों को आवश्यक निर्देश जारी करेंगी तथा आम आदमी के व्यापक हित में अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपेंगी। आईएमसीटी कई मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेंगी, जिनमें आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत जारी दिशानिर्देशों के मुताबिक लॉकडाउन का अनुपालन एवं क्रियान्वयन कराना, आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित कराना, घरों से बाहर लोगों की आवाजाही में उनके बीच दूरी रखवाना, स्वास्थ्य सुविधाओं, अस्पतालों के बुनियादी ढांचे की तैयारियां तथा जिले में आंकड़े एकत्र करना आदि शामिल हैं। बयान में कहा गया है कि ये टीमें स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा, जांच किट, पीपीई (निजी सुरक्षा उपकरण) और अन्य सुरक्षा उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करना तथा मजदूरों एवं गरीब लेागों के लिये राहत शिविरों की दशा आदि भी देखेंगी। 

ग्रामीण भारत की संकल्प शक्ति की सराहना की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को पंचायतों के अध्यक्षों एवं प्रतिनिधियों से कहा कि कोरोना संकट का सबसे बड़ा संदेश और सबक यह है कि हमें आत्मनिर्भर बनना ही पड़ेगा ताकि अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बाहर का मुंह नहीं देखना पड़े। उन्होंने कहा कि प्रत्येक पंचायतों, जिला और राज्य को अपनी बुनियादी जरूरतों की पूर्ति करने में सक्षम होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने इसके साथ ही सामाजिक दूरी को सरल शब्दों में परिभाषित करने के ‘दो गज की दूरी’ के मंत्र की सराहना भी की। प्रधानमंत्री ने ‘राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस’ पर ग्राम पंचायतों के सरपंचों और अध्यक्षों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संवाद करते हुए कहा, ''इस संकट के दौरान गांव देहात से प्रेरणादायी बातें सामने आयी हैं। ऐसे समय में जब लोगों का ज्ञान और कौशल कसौटी पर था तब भारत के गांवों ने इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में सर्वश्रेष्ठ प्रयास प्रदर्शित किये हैं।’’ उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों से कहा, ''आप सभी ने दुनिया को मंत्र दिया है- ‘दो गज दूरी’ का, या कहें ‘दो गज देह की दूरी’ का मंत्र। इस मंत्र के पालन पर गांवों में बहुत ध्यान दिया जा रहा है।’’ मोदी ने कहा कि गांव में आसान शब्दों में कही गई इस बात से सामाजिक दूरी को अच्छे तरीके से व्यक्त किया गया है और लोगों ने कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में इस सिद्धांत एवं पारंपरिक मूल्यों का अच्छे तरीके से पालन किया है। संबोधन के दौरान उन्होंने अपना चेहरा ‘गमछे’ से ढका हुआ था। राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर यह कार्यक्रम पहले उत्तर प्रदेश के झांसी में आयोजित किया जाना था लेकिन कोविड-19 महामारी के मद्देनजर लागू लॉकडाउन के कारण यह वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये किया गया। प्रधानमंत्री ने कहा, ''कोरोना वायरस महामारी ने हमारे लिए अनेक मुसीबतें पैदा की हैं, जिनकी हमने कभी कल्पना तक नहीं की थी। लेकिन इससे भी बड़ी बात ये है कि इस महामारी ने हमें नई शिक्षा और संदेश भी दिया है।’’ उन्होंने कहा, ''कोरोना वायरस संकट ने अपना सबसे बड़ा संदेश हमें दिया है कि हमें आत्मनिर्भर बनना पड़ेगा।’’ मोदी ने कहा, ‘‘अब यह देखना बहुत जरूरी हो गया है कि गांव अपनी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए कैसे आत्मनिर्भर बनें, जिला अपने स्तर पर, राज्य अपने स्तर पर, और इसी तरह पूरा देश कैसे आत्मनिर्भर बने ?’’ उन्होंने कहा, ''अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए हमें बाहर का मुंह नहीं देखना पड़े, अब यह बहुत आवश्यक हो गया है।’’ मोदी ने कहा कि भारत में ये विचार सदियों से रहा है लेकिन आज बदली हुई परिस्थितियों ने, हमें फिर ये याद दिलाया है कि आत्मनिर्भर बनो। हमारे देश की ग्राम पंचायतों की इसमें बहुत बड़ी भूमिका है। लॉकडाउन के नियमों का पालन करने के लिये लोगों की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके कारण ही दुनियाभर में भारत की चर्चा हो रही है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी ने हम सभी के काम करने के तरीके को बहुत बदल दिया है। मोदी ने कहा कि इतना बड़ा संकट आया, लेकिन इन 2-3 महीनों में हमने यह भी देखा कि भारत का नागरिक, सीमित संसाधनों के बीच, अनेक कठिनाइयों के सामने झुकने के बजाय उनसे मुकाबला कर रहा है। प्रधानमंत्री के साथ संवाद के दौरान देशभर की ग्राम पंचायतों के सरपंचों, सदस्यों आदि ने संकट से निपटने को लेकर अपने अपने अनुभव साझा किये और बताया कि लोग पूरे संकल्प के साथ लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज की परिस्थिति में देश को आगे ले जाने की शुरुआत, देश को आत्मनिर्भर बनाने की शुरुआत, गाँव की सामूहिक शक्ति से ही होगी।

इसे भी पढ़ें: लॉकडाउन में जनता की बेहतर तरीके से मदद नहीं कर पाये राजनीतिक दल

केंद्रीय टीम ने बातचीत की इजाजत मांगी

कोराना वायरस संकट से पैदा हुई स्थिति का आकलन करने के लिये कोलकाता का दौरा कर रही केंद्रीय टीम ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल सरकार को एक पत्र लिख कर कोविड-19 संक्रमण से होने वाली मौत के कारणों की जांच करने वाली समिति के कामकाज के बारे में एक विस्तृत ब्योरा मांगा। साथ ही, समिति के सदस्यों के साथ बातचीत करने की भी इजाजत देने की मांग की। मुख्य सचिव राजीव सिन्हा को लिखे एक पत्र में वरिष्ठ अधिकारी अपूर्व चंद्रा के नेतृत्व वाली केंद्रीय टीम ने कोविड-19 रोगियों की मौत की घोषणा को चिकित्सकों की समिति द्वारा मंजूरी देने की प्रक्रिया के बारे में जानना चाहा है। चंद्रा ने सिन्हा को लिखे पत्र में कहा, ''23 अप्रैल को प्रधान स्वास्थ्य सचिव ने चिकित्सकों की समिति गठित किये जाने के लिये कुछ कारण बताये। साथ ही, यह भी जिक्र किया था कि यदि किसी कोविड-19 मरीज की मौत सड़क दुर्घटना में होती है, तो कोरोना वायरस संक्रमण से मरने वाला मरीज नहीं कहा जा सकता।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीम (आईएमसीटी) ने सहमत करने वाला कोई कारण नहीं पाया क्योंकि सड़क दुर्घटना में हुई मौत और रोग से अस्पताल में हुई मौत के बीच कोई तुलना नहीं हो सकती।’’ टीम ने उन सभी कोविड-19 मरीजों का केस रिकार्ड मांगा है, जिनमें मौत का कारण समिति द्वारा कुछ और बताया गया है। चंद्रा ने कहा, ‘‘हम यह जानना चाहते हैं कि क्या समिति भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) दिशानिर्देशों या मेडिकल प्रैक्टिस के अनुरूप है।’’

घर पर इबादत और इफ्तार की अपील

देश के प्रमुख मुस्लिम संगठनों और अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने शनिवार से आरंभ हो रहे रमजान के पवित्र महीने में लॉकडाउन के मद्देनजर मुस्लिम समुदाय के लोगों से घर पर इबादत और इफ्तार करने की अपील की है। जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने कहा कि देश के कई हिस्सों में चांद नजर आया है और ऐसे में शनिवार को पहला रोजा होगा। उन्होंने कहा कि लोग इस बार अपने घर पर इबादत करें। इस्लामी कैलेंडर के रमजान महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखते हैं। वे भोर के समय से लेकर सूर्यास्त के बीच कुछ भी खाते-पीते नहीं हैं। रमजान के बाद ईद का त्यौहार मनाया जाता है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा, ‘‘कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लोग घरों पर इबादत करें, घर से बाहर नही निकलें, कोई आयोजन नहीं करें और सरकारी दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करें।’’ केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने लोगों की रमजान की मुबारकबाद देते हुए लोगों से लॉकडाउन का पालन करने की अपील की है। वह पिछले कुछ दिनों के भीतर लोगों से लॉकडाउन और सामाजिक दूरी का पालन करने की कई बार अपील कर चुके हैं।

इसे भी पढ़ें: नर सेवा नारायण सेवा के मंत्र को जपते हुए संघ कर रहा है जरूरतमंदों की मदद

पुरी रथयात्रा के आयोजन को लेकर प्रधानमंत्री से बातचीत

ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने पुरी में भगवान जगन्नाथ की इस वर्ष की रथ यात्रा के आयोजन के संबंध में शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ चर्चा की। कोरोना वायरस के कारण सदियों पुराने इस धार्मिक आयोजन को लेकर अनिश्चितता की स्थिति बनी हुयी है। मुख्यमंत्री कार्यालय के एक सूत्र ने बताया, "मुख्यमंत्री ने शुक्रवार सुबह प्रधानमंत्री से फोन पर बातचीत की और भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा के आयोजन के बारे में चर्चा की।" पटनायक ने ओडिशा में कोविड-19 की स्थिति से प्रधानमंत्री को अवगत कराया। राज्य में अब तक कोरोना वायरस के 90 मामले सामने आए हैं जबकि 33 मरीज ठीक हो चुके हैं। वहीं एक मरीज की मौत हो गयी है। सूत्रों ने कहा कि पटनायक ने प्रधानमंत्री को बताया कि हर साल लगभग 10 लाख श्रद्धालु यह उत्सव मनाने के लिए पुरी में एकत्र होते हैं। उन्होंने कहा कि रथ यात्रा के अवसर पर जब बड़ी संख्या में लोग एकत्र होंगे तो सामाजिक दूरी का पालन किस प्रकार किया जाएगा, इस पर भी चर्चा हुयी। यह त्योहार इस वर्ष 23 जून को आयोजित होना है। ‘‘जगन्नाथ संस्कृति’’ के शोधकर्ता भास्कर मिश्रा ने बताया कि यह वार्षिक रथ यात्रा 1736 से लगातार होती आ रही है। ओडिशा के विपक्षी दलों- कांग्रेस और भाजपा ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि वह रथ यात्रा के संबंध में जल्द से जल्द निर्णय ले। तय कार्यक्रम के अनुसार, रथों के निर्माण का काम 26 अप्रैल से शुरू होना चाहिए जबकि प्रसिद्ध स्नान यात्रा जून की शुरुआत में होगी। पुरी में 12वीं सदी का मंदिर श्रद्धालुओं के लिए 22 मार्च से बंद है, हालांकि पुजारी हमेशा की तरह मंदिर में अनुष्ठान कर रहे हैं।

कर्फ्यू हटाने पर क्या बोले अमरिन्दर सिंह

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह ने शुक्रवार को कहा कि तीन मई के बाद कर्फ्यू हटाने पर कोई भी निर्णय इस मामले पर गठित विशेषज्ञों की समिति की सलाह पर ही लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि लोगों की जिंदगी बचाना मेरी प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री ने कहा, 'मैं पंजाब में लॉकडाउन समाप्त करने की रणनीति पर इस मामले में गठित विशेषज्ञों की सलाह पर विचार करूंगा।' सिंह ने अग्रणी उद्योगपतियों, आर्थिक मामलों के विशेषज्ञों, राजनयिकों और विभिन्न देशों के राजदूतों से संवाद के दौरान यह बात कही। 20 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति शनिवार को अपनी रिपोर्ट दे सकती है। पंजाब में कोरोना वायरस के प्रकोप के मद्देनजर 23 मार्च को कर्फ्यू लगाया गया था। राज्य में कोरोना वायरस संक्रमण से अबतक 17 लोगों की मौत हो चुकी है।

मास्क लगाना अनिवार्य किया

गोवा सरकार ने शुक्रवार को कोरोना वायरस के खिलाफ एहतियाती उपाय के तहत घरों से बाहर निकलने पर लोगों के लिए मास्क लगाना अनिवार्य कर दिया। एक बयान में सरकार ने कहा कि जो इस आदेश का उल्लंघन करेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। बयान में कहा गया है, ''राज्य में कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए लागू गोवा महामारी रोग अधिनियम, कोविड-19 विनियमों के तहत सड़कों, अस्पतालों, कार्यस्थलों समेत सार्वजनिक स्थानों पर मास्क लगाना अनिवार्य है।’’ बयान में कहा गया है,‘‘ उल्लंघनकर्ताओं को 100 रूपये जुर्माना देना होगा और जुर्माना नहीं भरने पर उनके विरूद्ध भादसं की धारा 188 (जनसेवक द्वारा विधिवत घोषित आदेश का उल्लंघन) के तहत कार्रवाई होगी।’’ राज्य में सात व्यक्तियों में कोरोना वायरस संक्रमण पाया गया है। वे सभी गोवा के ही निवासी हैं और अब स्वस्थ हो गये है।

इसे भी पढ़ें: जमातियों पर लिबरल गैंग की लंबी खामोशी बहुत कुछ बोल रही है

चेन्नई सहित कई शहरी इलाकों में पूर्ण बंद के आदेश

कोविड-19 क प्रसार की रोकथाम के लिए प्रतिबंधों को और मजबूती से लागू करते हुए मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी ने शुक्रवार को घोषणा की कि रविवार से चेन्नई, कोयंबटूर और मदुरै में चार दिनों के लिए पूर्ण बंद लागू होगा। इस बंद में राशन की दुकानें खुलने और लोगों की आवाजाही पर पूर्ण प्रतिबंध होगा। इसका साथ ही 26 अप्रैल से पश्चिमी तमिलनाडु में सेलम और तिरपुर में तीन दिनों के लिए यही प्रतिबंध लागू रहेंगे। पलानीस्वामी ने लोगों को आश्वासन दिया कि सचल बिक्री केंद्र या मोबाइल आउटलेट के माध्यम से फल-सब्जियां उनके घरों तक पहुंचा दी जाएंगी। सरकार ने शहरी क्षेत्रों में सब्जियों और फलों की बिक्री करने वाले मोबाइल आउटलेट (मिनी ट्रक और रिक्शा) को पहले से ही संचालित कर दिया था और पलानीस्वामी ने लोगों से अपील की थी कि वे एक बार में कम से कम एक सप्ताह के लिए खाद्य सामग्री खरीद लें और हर रोज बाजारों में जाने से बचें। राज्य में कोविड-19 महामारी की स्थिति पर एक समीक्षा बैठक के बाद पलानीस्वामी ने कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और चिकित्सा विशेषज्ञों ने कहा है कि शहरी क्षेत्रों में प्रतिबंध लगाने से संक्रमण के प्रसार को रोकने में मदद मिलेगी। इन चार दिनों के दौरान केवल अम्मा कैंटीन, एटीएम, अस्पताल, लैब, फार्मेसियों और एंबुलेंस जैसी संबद्ध सेवाएं जारी रहेंगी।

बिहार के छात्रों ने किया प्रदर्शन

हरियाणा और असम के लगभग 1,400 छात्र शुक्रवार को सुबह राजस्थान के कोटा से अपने अपने घरों को रवाना हो गए, वहीं राजस्थान के अलग-अलग शहरों और कस्बों में रहने वाले दो हजार से अधिक छात्र शाम को अपने-अपने घरों को रवाना होंगे। इस बीच बिहार के छात्रों ने अपने राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से घर वापसी के लिये इंतजाम करने की अपील करते हुए यहां मौन प्रदर्शन किया। इस कवायद की निगरानी कर रहे कोटा के एडीएम (प्रशासन) नरेन्द्र गुप्ता ने कहा कहा कि असम के छात्रों को ले जा रहीं 18 और हरियाणा के छात्रों को ले जा रहीं 31 बसों को शुक्रवार को कोटा से रवाना होना था। उन्होंने कहा कि हरियाणा के लगभग एक हजार और असम के लगभग 400 छात्रों ने शुक्रवार को सुबह अपने गृह राज्यों के लिये यात्रा शुरू की। राजस्थान के अलग अलग शहरों और कस्बों के दो हजार से अधिक छात्र शाम के समय कोटा से रवाना होंगे। इस बीच, लॉकडाउन के बाद से यहीं फंसे बिहार के 1,200 से अधिक छात्रों ने बृहस्पतिवार को अपने राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मदद की गुहार लगाई। उन्होंने अपील लिखीं तख्तियां हाथों में लेकर सामाजिक दूरी का पालन करते हुए मौन प्रदर्शन भी किया।

लघु उद्यमों के लिए बन रहा है कोष

लघु और मध्यम उद्योगों के केंद्र, राज्य सरकारों और लोक उपक्रमों पर बकायों के चुकाने के लिए सरकार एक लाख करोड़ रुपये का कोष बनाएगी। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को यह बात कही। गडकरी ने कहा कि उन्होंने कोष बनाने की योजना तैयार कर ली है। प्रस्ताव को मंत्रिमंडल के सामने रखा जाएगा और वित्त मंत्रालय की मंजूरी मिलने के बाद इस पर कार्रवाई की जाएगी। मंत्री ने कहा, ‘‘हमने एक लाख करोड़ रुपये का कोष बनाने का निर्णय किया है। हम इस कोष का बीमा कराएंगे और सरकार इसका प्रीमियम जमा करेगी। हमने एक फॉर्मूला तैयार किया है जिसमें कोष के आधार पर ब्याज का बोझ बैंक, भुगतान पक्ष और भुगतान पाने वालों के बीच साझा किया जाएगा। यह कोष एमएसएमई कंपनियों का लोक उपक्रमों, केंद्र और राज्य सरकारों पर बकाये को चुकाने के काम आएगा। गडकरी के पास एमएसएमई के साथ सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय का भी प्रभार है। उन्होंने कहा कि इस कोष से एमएसएमई कंपनियों की एक सीमा तक मदद की जा सकेगी। यह समय के साथ काम करने वाला कोष होगा इसलिए इससे बाजार में अतिरिक्त नकदी पहुंचाने में भी आसानी होगी।

घर से काम कर रहे कर्मचारियो की ‘उत्पादकता’ 65 प्रतिशत

कोरोना वायरस महामारी की वजह से आज देश में ज्यादातर कर्मचारी घर से काम (वर्क फ्रॉम होम) कर रहे हैं। इन कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों का मानना है कि घर से काम कर रहे कर्मचारियों की उत्पादकता 65 प्रतिशत है। यानी वे दफ्तर में बैठकर जितना काम करते थे, घर से उसका 65 प्रतिशत ही कर पा रहे हैं। बेंगलुरु की शोध कंपनी फीडबैक इनसाइट्स की एक रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया है। हालांकि, खुद कर्मचारियों का मानना है कि घर से काम करने से उनकी उत्पादकता 78 प्रतिशत रह गई है। इस सर्वे में 550 लोगों की राय शामिल की गई है। इनमें 450 कर्मचारी और 100 शीर्ष अधिकारी शामिल हैं। सर्वे में वाहन कलपुर्जा, रसायन, निर्माण, टिकाऊ उपभोक्ता सामान, ग्लास, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, पैकेजिंग, लॉजिस्टिक्स, मशीन उपकरण, सूचना प्रौद्योगिकी सहित 18 क्षेत्रों के कर्मचारियों-शीर्ष अधिकारियों की राय को शामिल किया गया है। सर्वे के अनुसार 65 प्रतिशत कर्मचारी अपनी व्यक्तिगत स्थिति और टीम के लोगों साथ संपर्क की कमी को लेकर चिंतित हैं। करीब 56 प्रतिशत कर्मचारियों ने कहा कि उन्हें नेटवर्क के मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है। 47 प्रतिशत का कहना था कि घर से काम करने से उन्हें ध्यान बंटने की चुनौती से भी जूझना पड़ रहा है।

इसे भी पढ़ें: रेलवे स्टेशनों की उद्घोषणाएँ कभी कानफाड़ू लगती थीं, अब सुनने को तरस गये हैं

निजी स्कूलों को सिर्फ ट्यूशन फीस लेने का निर्देश

कोविड-19 के कारण देशव्यापी बंद के मद्देजनर हरियाणा सरकार ने निजी स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे फिलहाल छात्रों से प्रति माह के आधार पर सिर्फ ट्यूशन फीस ही लें। सरकार ने निर्देश दिया है कि शुल्क में भवन व रखरखाव शुल्क, प्रवेश शुल्क, कंप्यूटर फीस और अन्य शुल्क न लिये जाएं। स्कूली शिक्षा विभाग के एक प्रवक्ता ने शुक्रवार को कहा कि इन दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते पाए जाने पर स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने एक बयान में कहा कि कोविड-19 संकट के मद्देनजर सभी जिला शिक्षा अधिकारियों और जिला प्राथमिक शिक्षा अधिकारियों से स्कूली शिक्षा विभाग द्वारा जारी दिशानिर्देशों का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित कराने को कहा गया है। प्रवक्ता ने कहा कि निर्देश के तहत निजी विद्यालयों से मासिक ट्यूशन शुल्क बढ़ाने से बचने को कहा गया है और साथ ही बंद की अवधि के दौरान छात्रों से परिवहन शुल्क भी नहीं लेने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा कि विद्यालयों की यूनीफॉर्म, किताबों, अभ्यास पुस्तिकाओं, प्रायोगिक फाइल आदि के दामों में भी किसी तरह का बदलाव नहीं किया जाएगा। साथ ही कोई भी निजी स्कूल ट्यूशन फीस के अलावा मासिक शुल्क में किसी तरह का अन्य कोई छिपा शुल्क नहीं जोड़ेगा। बंद की वजह से सभी स्कूलों में तीन मई तक के लिये छुट्टी है।

आईआईएम से इंटर्न मांगे

केंद्र सरकार ने कोविड-19 महामारी से निपटने में उसके अधिकार प्राप्त समूहों की मदद के लिए भारतीय प्रबंध संस्थानों (आईआईएम) से इंटर्न मुहैया कराने को कहा है। कार्मिक मंत्रालय ने इन संस्थानों को पत्र लिखकर आंकड़ों के विश्लेषण आदि कार्यों में अधिकारियों के समूहों की सहायता के लिए इंटर्न के तौर पर एमबीए छात्रों के नाम बताने को कहा है। सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के लिए समग्र और एकीकृत योजना बनाने के लिहाज से 11 अधिकार प्राप्त समूह बनाये हैं। पत्र में कहा गया है, ‘‘सक्षम प्राधिकार की मंजूरी से निर्णय लिया गया है कि उक्त अधिकार प्राप्त समूहों को इंटर्न छात्रों की मदद दी जा सकती है जो काम सौंपे जाने की तारीख से आठ सप्ताह की अवधि तक काम करेंगे।’’ इसमें कहा गया कि आईआईएम और उसके नॉलेज पार्टनर इंटर्न के नाम प्रस्तावित करेंगे जिनका ऑनलाइन इंटरव्यू लिया जाएगा तथा उनके बायोडाटा, अनुभव एवं साक्षात्कारों के आधार पर उनका चयन किया जाएगा।

प्रिंस चार्ल्स ने आपात राहत कोष की शुरुआत की

ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स ने शुक्रवार को भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका के लिए कोविड-19 आपात अपील राहत कोष की शुरुआत की। उन्होंने इसकी शुरुआत ‘ब्रिटिश एशियन ट्रस्ट’ के शाही संरक्षक के तौर पर की है। यह ट्रस्ट दक्षिण एशिया के विकास से जुड़ा संगठन है। प्रिंस चार्ल्स भी पिछले महीने के अंत में खुद कोरोना वायरस के संक्रमण से ठीक हुए हैं। ब्रिटिश राजगद्दी के 71 वर्षीय उत्तराधिकारी चार्ल्स ने महामारी के दौरान ‘‘महत्वपूर्ण भूमिका’’ के लिए ब्रिटेन के एशियाई समुदाय की सराहना की। उन्होंने समुदाय से अपील की है कि वे अपने मूल देशों की मदद के लिए खुले दिल से दान करें। ट्रस्ट ने अपनी वेबसाइट पर ऑनलाइन दान प्रणाली स्थापित की है और लोगों से अपील की है कि वे एकमुश्त या मासिक रूप से दान करें। दान की राशि न्यूनतम तीन पाउंड से होनी चाहिए। प्रिंस चार्ल्स ने इस ट्रस्ट की स्थापना 2007 में दक्षिण एशिया में गरीबी से लड़ने के लिए की थी।

-नीरज कुमार दुबे

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़